Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 22 Apr, 2025 01:18 PM
पॉपकॉर्न लंग्स को मेडिकल भाषा में Bronchiolitis Obliterans कहा जाता है। यह एक गंभीर और दुर्लभ फेफड़ों की बीमारी है जिसमें फेफड़ों की सबसे छोटी वायुमार्ग यानी ब्रॉन्कियोल्स में सूजन आ जाती है और वहां स्कार टिशू बनने लगते हैं।
नेशनल डेस्क: पॉपकॉर्न लंग्स को मेडिकल भाषा में Bronchiolitis Obliterans कहा जाता है। यह एक गंभीर और दुर्लभ फेफड़ों की बीमारी है जिसमें फेफड़ों की सबसे छोटी वायुमार्ग यानी ब्रॉन्कियोल्स में सूजन आ जाती है और वहां स्कार टिशू बनने लगते हैं। इससे धीरे-धीरे व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
❖ बीमारी को ‘पॉपकॉर्न लंग्स’ क्यों कहा जाता है?
इस बीमारी का नाम पॉपकॉर्न लंग्स इसलिए पड़ा क्योंकि 2000 के दशक की शुरुआत में यह बीमारी सबसे पहले माइक्रोवेव पॉपकॉर्न फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों में पाई गई थी। ये लोग डायसिटाइल (Diacetyl) नामक रसायन के संपर्क में थे, जो कृत्रिम मक्खन के स्वाद के लिए इस्तेमाल होता है। यही रसायन फेफड़ों को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है।
❖ कैसे होती है ये बीमारी?
पॉपकॉर्न लंग्स होने के पीछे सबसे बड़ा कारण वेपिंग यानी ई-सिगरेट है। इसके अलावा कई अन्य रसायन और स्थितियां भी इस बीमारी को जन्म दे सकती हैं:
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डायसिटाइल (Diacetyl): यह वेपिंग लिक्विड, पॉपकॉर्न फ्लेवरिंग और कुछ फूड प्रोडक्ट्स में पाया जाता है।
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अन्य जहरीले रसायन: फॉर्मल्डिहाइड, क्लोरीन, नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे रसायन।
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श्वसन संक्रमण: जैसे न्यूमोनिया और ब्रॉन्काइटिस।
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इम्यून सिस्टम की गड़बड़ियां: जैसे रूमेटॉइड आर्थराइटिस या फेफड़े ट्रांसप्लांट के बाद की रिएक्शन।
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ई-सिगरेट और वेपिंग: इनमें मौजूद डायसिटाइल और अन्य हानिकारक तत्व सबसे बड़ा कारण बन रहे हैं।
❖ लक्षण जो आप नजरअंदाज न करें
पॉपकॉर्न लंग्स के लक्षण अक्सर धीरे-धीरे दिखाई देते हैं, लेकिन जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती है, इसके संकेत भी गंभीर होने लगते हैं:
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लगातार रहने वाली सूखी खांसी
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सांस लेने में तकलीफ, खासकर शारीरिक श्रम के दौरान
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सीने में जकड़न या घरघराहट
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थकावट और सांस फूलना
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अस्थमा जैसा लक्षण, लेकिन अस्थमा की दवाओं से राहत नहीं मिलती
❖ कितना खतरनाक है यह रोग?
यह बीमारी लाइलाज मानी जाती है। एक बार अगर ब्रॉन्कियोल्स को नुकसान हो गया, तो उसे पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता। लेकिन समय पर इलाज से इसके लक्षणों को कंट्रोल में रखा जा सकता है और आगे की खराबी को रोका जा सकता है।
❖ इससे बचाव कैसे करें?
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वेपिंग से दूरी बनाएं: सबसे जरूरी है कि ई-सिगरेट और वेपिंग प्रोडक्ट्स से पूरी तरह परहेज करें।
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रसायनों से सुरक्षा: फैक्ट्री या इंडस्ट्रियल एरिया में काम करने वालों को मास्क और प्रोटेक्टिव गियर पहनना चाहिए।
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नियमित चेकअप: खासकर उन लोगों को जो ऐसे वातावरण में काम करते हैं, जहां जहरीले गैसों और रसायनों का खतरा है।
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स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: धूम्रपान और तंबाकू छोड़ें, संतुलित आहार लें और नियमित व्यायाम करें।
❖ ब्रायना का मामला क्यों बन गया चेतावनी?
अमेरिका की 17 वर्षीय चीयर लीडर ब्रायना मार्टिन को तीन साल से वेपिंग की लत थी। एक दिन अचानक सांस फूलने की समस्या के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच के बाद पता चला कि उसे पॉपकॉर्न लंग्स है। डॉक्टरों के मुताबिक उसका फेफड़ा 80% तक खराब हो चुका था। अब उसे जिंदगीभर इस बीमारी से लड़ना पड़ेगा।
❖ युवाओं को क्यों सतर्क होने की जरूरत है?
आजकल सोशल मीडिया और ट्रेंड्स के चक्कर में युवा तेजी से ई-सिगरेट और वेपिंग की ओर आकर्षित हो रहे हैं। वे इसे स्टाइल समझते हैं, जबकि हकीकत में यह जानलेवा आदत बन चुकी है। WHO और मेडिकल एक्सपर्ट्स पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि वेपिंग युवाओं में फेफड़ों की बीमारियों का नया कारण बन रहा है।