15000 से ज्यादा लाशों का किया पोस्टमार्टम, मिलिए 18 साल में एक भी ‘छुट्टी’ न लेने वाले डॉक्टर से

Edited By Pardeep,Updated: 21 Feb, 2025 10:46 PM

post mortem of more than 15 thousand corpses was done

देश के कॉर्पोरेट जगत में कर्मचारियों के काम के घंटों को लेकर जारी बहस के बीच इंदौर के एक सरकारी अस्पताल के 64 वर्षीय चिकित्सक ने अनूठा कारनामा कर दिखाया है। अस्पताल प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक, इस चिकित्सक ने गुजरे 18 वर्ष में महीने भर के...

नेशनल डेस्कः देश के कॉर्पोरेट जगत में कर्मचारियों के काम के घंटों को लेकर जारी बहस के बीच इंदौर के एक सरकारी अस्पताल के 64 वर्षीय चिकित्सक ने अनूठा कारनामा कर दिखाया है। अस्पताल प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक, इस चिकित्सक ने गुजरे 18 वर्ष में महीने भर के चिकित्सा अवकाश के अलावा कोई भी सामान्य छुट्टी नहीं ली है। 

शासकीय गोविंद बल्लभ पंत जिला चिकित्सालय के मुख्य अधीक्षक डॉ. जीएल सोढ़ी ने शुक्रवार को मीडिया को बताया कि अस्पताल में शव परीक्षण विभाग की शुरुआत छह नवंबर 2006 को हुई थी और डॉ. भरत बाजपेयी तब से इस इकाई में पदस्थ हैं। उन्होंने बताया कि गुजरे 18 वर्ष में बाजपेयी ने सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाला कोई भी सामान्य अवकाश नहीं लिया हालांकि तबीयत बेहद खराब होने के कारण वह एक महीने के चिकित्सा अवकाश पर जरूर रहे थे। 

मुख्य अधीक्षक ने कहा,‘‘गुजरे 18 वर्षों में बाजपेयी 15,000 से ज्यादा शवों के पोस्टमॉर्टम कर चुके हैं। उनका लगातार पोस्टमॉर्टम करना काम से उनका गहरा लगाव दिखाता है।'' मृत्यु और न्याय को लेकर अलग-अलग उद्धरण बाजपेयी के कार्यालय से लेकर शव परीक्षण कक्ष के बाहर लिखे दिखाई देते हैं, जिनमें प्रमुख हैं ‘चैतन्य की मदद करते हुए मृत्यु यहां मुदित रहती है' और ‘क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात नहीं कहोगे?' 

बाजपेयी के मुताबिक, उनके परिवार में आए सुख-दु:ख के कई अवसरों पर भी उन्होंने अपने काम को तरजीह दी क्योंकि मेडिकोलीगल मामलों में पोस्टमॉर्टम कानूनी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण अंग होता है और इसे टाला नहीं जा सकता। उन्होंने कहा,‘‘मैंने अपने बेटे की शादी के दिन भी दो शवों के पोस्टमॉर्टम किए थे। पोस्टमॉर्टम के बाद मैं शाम को बेटे की बारात और विवाह समारोह में शामिल हुआ था। मैं खुशकिस्मत हूं कि मेरे परिवार के लोगों ने हमेशा तालमेल बनाए रखा और मुझे काम पर जाने से कभी नहीं रोका।'' बाजपेयी (64) अगस्त में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। 

उन्होंने कहा,‘‘मेरे कर्तव्य के केंद्र में हमेशा मुर्दे रहे। इसलिए मुझे कहने दीजिए कि मुझे जिंदा इंसानों के साथ मुर्दों से भी मोहब्बत है। मैंने हमेशा चाहा कि मैं जिस भी मुर्दे का पोस्टमॉर्टम करूं, उसे अदालत में न्याय मिले।'' बगैर छुट्टी लिए पोस्टमॉर्टम करने को लेकर बाजपेयी का जुनून राष्ट्रीय कीर्तिमान के रूप में दो बार ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' के पन्नों पर भी दर्ज हो चुका है। 

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