Edited By Mahima,Updated: 24 Oct, 2024 03:00 PM
चेन्नई के एक मामले में, एक पोस्ट ऑफिस को 50 पैसे न लौटाने के लिए ग्राहक मनसा को ₹15,000 हर्जाने के रूप में देने का आदेश दिया गया। मनसा ने एक लेटर भेजने के लिए ₹30 का भुगतान किया, लेकिन क्लर्क ने राशि को राउंड ऑफ करने का दावा किया। UPI का उपयोग करने...
नेशनल डेस्क: हाल ही में चेन्नई के गिरुगम्बाक्कम इलाके में एक अनोखा मामला सामने आया है, जिसमें एक पोस्ट ऑफिस को ग्राहक को 50 पैसे वापस न लौटाने के लिए 15,000 रुपए हर्जाने के तौर पर चुकाने का आदेश दिया गया है। यह घटना एक सामान्य लेटर पोस्ट करने के दौरान हुई, जो उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
घटना का प्रारंभ
दिसंबर 2023 में मनसा नामक एक महिला पोलीचलूर पोस्ट ऑफिस गईं। उन्होंने एक लेटर भेजने के लिए डाक शुल्क का भुगतान किया, जो 29.50 रुपए था। मनसा ने 30 रुपए का नोट दिया, जिसके लिए उन्हें केवल 50 पैसे की वापसी चाहिए थी। लेकिन जब उन्होंने क्लर्क से 50 पैसे मांगे, तो क्लर्क ने बताया कि सिस्टम के अनुसार राशि को 30 रुपए तक राउंड ऑफ कर दिया जाता है, इसलिए 50 पैसे वापस नहीं किए जा सकते।
ग्राहक की आपत्ति
मनसा ने इस उत्तर को स्वीकार नहीं किया और क्लर्क को समझाया कि राउंड ऑफ करने की यह प्रथा उपभोक्ता के अधिकारों का उल्लंघन करती है। उन्होंने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए जोर दिया। इस बीच, मनसा ने यह भी कहा कि अगर 50 पैसे वापस नहीं किए जा सकते, तो वह UPI के माध्यम से भुगतान करने की कोशिश करेंगी।
UPI भुगतान में असुविधा
जब मनसा ने UPI के माध्यम से भुगतान की पेशकश की, तो पोस्ट ऑफिस के अधिकारियों ने तकनीकी समस्याओं का हवाला देकर UPI से पैसे लेने से मना कर दिया। इस स्थिति ने मनसा को और भी अधिक निराश किया। उन्होंने महसूस किया कि उनका उचित व्यवहार और अधिकारों की अनदेखी की जा रही है।
उपभोक्ता आयोग में शिकायत
निराश होकर, मनसा ने उपभोक्ता आयोग में अपनी शिकायत दर्ज कराई। आयोग में अपनी शिकायत में उन्होंने बताया कि कैसे पोस्ट ऑफिस की राउंड ऑफ प्रथा और तकनीकी समस्याओं ने उनके उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन किया। मनसा ने यह स्पष्ट किया कि उपभोक्ता को अपने पैसे की उचित वापसी का अधिकार है।
उपभोक्ता आयोग की सुनवाई
उपभोक्ता आयोग ने मामले की सुनवाई की और दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। मनसा ने जोर देकर कहा कि राउंड ऑफ की प्रथा उपभोक्ताओं के लिए अनुचित है और इसे खत्म किया जाना चाहिए। वहीं, पोस्ट ऑफिस के अधिकारियों ने अपनी दलील में कहा कि डिजिटल भुगतान में समस्याएं होने के कारण UPI से लेनदेन नहीं किया गया। आयोग ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद यह स्वीकार किया कि पोस्ट ऑफिस ने मनसा से 50 पैसे की वापसी न करके अनुचित व्यवहार किया। आयोग ने कहा कि सॉफ्टवेयर की खराबी के कारण मनसा से अधिक पैसे लिए गए, जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत अनुचित व्यापार व्यवहार है।
हर्जाने का आदेश
आयोग ने अंततः पोस्ट ऑफिस को आदेश दिया कि वह मनसा को 50 पैसे की बजाय 15,000 रुपए का मुआवजा दे। यह निर्णय उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना गया। आयोग ने स्पष्ट किया कि किसी भी ग्राहक को उसके अधिकारों का उल्लंघन नहीं होने दिया जाएगा, चाहे वह राशि कितनी ही छोटी क्यों न हो। यह मामला उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है। मनसा के साहस ने साबित कर दिया कि जब उपभोक्ता अपने अधिकारों के लिए खड़े होते हैं, तो उन्हें न्याय मिल सकता है। यह घटना हमें यह भी सिखाती है कि छोटे विवादों में भी सही कार्रवाई करने से बड़े परिणाम मिल सकते हैं।