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भक्ति हो तो ऐसी! नेपाल से प्रयागराज तक उल्टे मुंह चलकर दंपत्ति कर रहा महाकुंभ यात्रा

Edited By Parminder Kaur,Updated: 11 Feb, 2025 11:19 AM

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सनातन धर्म में महाकुंभ का बहुत खास महत्व है। इस साल उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है, जहां लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं। कुछ लोग अपने वाहनों से आ रहे हैं, तो कुछ भक्त पैदल ही लंबी यात्राएं तय...

नेशनल डेस्क. सनातन धर्म में महाकुंभ का बहुत खास महत्व है। इस साल उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है, जहां लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं। कुछ लोग अपने वाहनों से आ रहे हैं, तो कुछ भक्त पैदल ही लंबी यात्राएं तय कर रहे हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है, जिसने सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। इस वीडियो में एक दंपत्ति उल्टे मुंह चलते हुए महाकुंभ की यात्रा कर रहा है।

नेपाल से शुरू की अनोखी पदयात्रा

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह दंपत्ति नेपाल के बांके जिले से अपनी यह अनोखी यात्रा कर रहा है। रूपन दास (54 वर्ष) अपनी पत्नी पतिरानी के साथ करीब 500 किलोमीटर की पदयात्रा पर निकले हैं। दोनों कोहलपुर नगरपालिका के वार्ड नंबर 7 लखनपुर के निवासी हैं। इस यात्रा को शुरू करने से पहले उन्होंने अपने गांव के हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की और फिर महाकुंभ में संगम स्नान करने के संकल्प के साथ उल्टे मुंह चलकर प्रयागराज की ओर बढ़ने लगे।

अयोध्या में किए रामलला के दर्शन

अपनी यात्रा के दौरान दंपत्ति ने अयोध्या पहुंचकर श्रीराम जन्मभूमि के दर्शन भी किए। यात्रा के 13वें दिन वे उत्तर प्रदेश के पयागीपुर तक पहुंच चुके हैं। इस तरह की पदयात्रा विरले ही देखने को मिलती है, जिससे लोग उनकी श्रद्धा और समर्पण की सराहना कर रहे हैं।

लोग कर रहे हैं मदद, लेकिन दंपत्ति ने भोजन करने से किया इनकार

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इस कठिन यात्रा में कई लोग उनकी मदद के लिए आगे आए हैं, जब डॉ. कुंवर दिनकर प्रताप सिंह को दंपत्ति की यात्रा के बारे में पता चला, तो उन्होंने अपने साथी अंशू श्रीवास्तव और अरुण कुमार मिश्रा के साथ मिलकर उनकी सहायता करने की योजना बनाई, जब दंपत्ति प्रतापगंज बाजार के पास पहुंचे, तो उन्होंने उन्हें रोककर भोजन कराने का आग्रह किया। हालांकि, रूपन दास और उनकी पत्नी ने भोजन करने से इनकार कर दिया। कई बार आग्रह करने पर उन्होंने केवल गन्ने का रस और गुड़ का सेवन किया।

जन कल्याण के लिए कर रहे पदयात्रा

रूपन दास ने बताया कि उनकी यह यात्रा केवल व्यक्तिगत आस्था के लिए नहीं है, बल्कि जन कल्याण और सनातन धर्म के प्रचार के लिए भी है। उनका कहना है कि इस यात्रा के जरिए वे लोगों को आध्यात्मिकता और भक्ति का संदेश देना चाहते हैं। उनकी इस अनोखी पदयात्रा ने सोशल मीडिया पर काफी चर्चा बटोरी है, और लोग इसे सनातन धर्म के प्रति उनकी गहरी आस्था का प्रतीक मान रहे हैं। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि यह दंपत्ति कब तक प्रयागराज पहुंचता है और महाकुंभ में संगम स्नान करता है।

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