Edited By Pardeep,Updated: 08 Feb, 2025 06:45 AM

वृंदावन के प्रसिद्ध संत श्री प्रेमानंद महाराज के बारे में कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि वे अपने स्वास्थ्य के कारण पदयात्रा स्थगित कर रहे हैं। उनके आश्रम ने 6 फरवरी को एक आधिकारिक पोस्ट जारी किया था, जिसमें यह कहा गया था कि अब महाराज पदयात्रा नहीं...
नेशनल डेस्कः वृंदावन के प्रसिद्ध संत श्री प्रेमानंद महाराज के बारे में कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि वे अपने स्वास्थ्य के कारण पदयात्रा स्थगित कर रहे हैं। उनके आश्रम ने 6 फरवरी को एक आधिकारिक पोस्ट जारी किया था, जिसमें यह कहा गया था कि अब महाराज पदयात्रा नहीं करेंगे, क्योंकि उनकी सेहत और मार्ग पर बढ़ती भक्तों की भीड़ को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया था। इस सूचना के बाद, उनके अनुयायी और भक्त मायूस हो गए थे, लेकिन अगले ही दिन, एक चमत्कारी मोड़ आया।
भक्तों के बीच फिर से आए प्रेमानंद महाराज
सूचना जारी होने के एक दिन बाद, 7 फरवरी को प्रेमानंद महाराज अपने भक्तों से मिलने बाहर निकले। हजारों भक्त जो उनके दीदार के लिए पहले से ही उनके आश्रम के पास जमा थे, उनकी एक झलक पाने के लिए सड़क पर बैठ गए थे। जैसे ही महाराज आश्रम से बाहर आए, भक्तों के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ गई। उन्होंने सुबह करीब 4 बजे कुछ दूर तक गाड़ी से यात्रा की, और फिर पैदल यात्रा करते हुए आश्रम तक पहुंचे। इस दौरान, भक्तों ने राधा-राधा के जयकारों से माहौल को भक्तिमय बना दिया।
पदयात्रा में बदलाव
शुक्रवार की सुबह, प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा में कुछ बदलाव देखे गए। वे सामान्य तौर पर 2 बजे मार्ग पर निकलते थे, लेकिन शुक्रवार वह करीब 4 बजे बाहर आए। इस बार उनके स्वागत के लिए पहले जैसी आतिशबाजी और बड़े साउंड सिस्टम्स का इस्तेमाल नहीं किया गया, जिससे उनके भक्तों को बदलाव का एहसास हुआ। हालांकि, उनके दर्शन के बाद भक्तों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। कई भक्त हाथों में फूल लेकर उनका स्वागत करने के लिए सड़क पर खड़े थे।
प्रेमानंद महाराज का संदेश और भक्तों की प्रतिक्रिया
प्रेमानंद महाराज ने इस अवसर पर अपने भक्तों से मिलकर उनका अभिवादन स्वीकार किया और स्वास्थ्य के कारण उनके पदयात्रा में परिवर्तन की वजह भी स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि यह बदलाव उनके व्यक्तिगत स्वास्थ्य और भक्तों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया है। हालांकि, इसके बावजूद, प्रेमानंद महाराज की यात्रा से जुड़े कार्यक्रमों में बदलाव ने भक्तों को निराश नहीं किया, बल्कि उन्हें यह विश्वास दिलाया कि उनका संत इस समय में भी उनके साथ हैं।