Edited By Mahima,Updated: 16 Dec, 2024 11:39 AM
जीएसटी काउंसिल 21 दिसंबर को बैठक में पुराने और इस्तेमाल किए गए वाहनों पर जीएसटी बढ़ाकर 18% करने पर विचार कर सकती है। इससे सेकेंड-हैंड वाहन बाजार पर असर पड़ सकता है, खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों के सेकेंड-हैंड मार्केट में गिरावट आ सकती है।
नेशनल डेस्क: भारत में पुराने और इस्तेमाल किए गए वाहनों का बाजार पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है। पुराने वाहनों को खरीदने वाले उपभोक्ताओं के लिए यह एक सस्ता विकल्प होता है, जिससे वे कम कीमत पर अच्छा वाहन प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, अब यह सेक्टर महंगा हो सकता है। दरअसल, जीएसटी काउंसिल अगले कुछ दिनों में पुराने और इस्तेमाल किए गए वाहनों पर जीएसटी दर को 12% से बढ़ाकर 18% करने पर विचार कर सकती है।
जीएसटी काउंसिल की सिफारिश
जीएसटी काउंसिल की फिटमेंट कमेटी ने पुराने वाहनों पर जीएसटी दर बढ़ाने की सिफारिश की है, जिसे 12% से बढ़ाकर 18% किया जा सकता है। यह परिवर्तन पुराने और इस्तेमाल किए गए वाहनों के लिए लागू हो सकता है, और इसका असर इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) पर भी पड़ सकता है। वर्तमान में, इन वाहनों पर जीएसटी की दर सप्लायर के मार्जिन के आधार पर तय होती है, जिससे टैक्स का बोझ अपेक्षाकृत कम होता है। लेकिन अब इस दर में बढ़ोतरी का प्रस्ताव है, जिससे पुराने वाहनों की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
इलेक्ट्रिक वाहनों पर प्रभाव
इसके अलावा, इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) पर भी बदलाव हो सकता है। वर्तमान में, नए इलेक्ट्रिक वाहनों पर 5% जीएसटी लगता है, ताकि इस क्षेत्र में ग्रोथ को बढ़ावा दिया जा सके। लेकिन सेकेंड-हैंड ईवी पर अगर 18% जीएसटी लागू किया जाता है, तो यह इन वाहनों को और भी महंगा बना सकता है। खासकर उन ग्राहकों के लिए यह एक बड़ा झटका हो सकता है, जो सस्ते में सेकेंड-हैंड ईवी खरीदने का विचार कर रहे हैं। इस बदलाव से सेकेंड-हैंड ईवी वाहनों की बिक्री कम हो सकती है, और यह मार्केट के आकर्षण को भी प्रभावित कर सकता है।
पुरानी गाड़ियों की मरम्मत
इससे पहले से ही, सेकेंड-हैंड वाहनों के मरम्मत और रखरखाव के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इनपुट पार्ट्स और सर्विसेज पर 18% जीएसटी लागू होता है। इसका मतलब यह है कि पहले से ही इन वाहनों की रखरखाव लागत में बढ़ोतरी हो चुकी है। यदि जीएसटी दर बढ़ाई जाती है, तो यह और भी अधिक महंगा हो सकता है, जिससे इन वाहनों की कुल कीमत में और इजाफा होगा। इस बदलाव से सेकेंड-हैंड वाहनों के खरीदारों की संख्या में गिरावट आ सकती है, और वाहन की बिक्री पर इसका नकारात्मक असर हो सकता है।
जीएसटी दरों का मौजूदा ढांचा
अभी जो जीएसटी दरें लागू हैं, उनमें 1200cc या उससे अधिक की इंजन क्षमता वाले पेट्रोल, LPG और CNG से चलने वाले वाहनों पर 18% जीएसटी लगता है। इसी तरह, 1500cc या उससे अधिक इंजन क्षमता वाले डीजल वाहनों पर भी 18% जीएसटी है। इसके अलावा, 1500cc से अधिक इंजन क्षमता वाली स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल्स (SUVs) पर भी 18% जीएसटी लागू है। ऐसे में, अगर सेकेंड-हैंड वाहनों पर जीएसटी दर बढ़ाई जाती है, तो यह इन वाहनों के लिए मौजूदा टैक्स ढांचे के अनुरूप हो सकता है। हालांकि, यह बदलाव सेकेंड-हैंड इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है, क्योंकि इससे उनका आकर्षण कम हो सकता है।
21 दिसंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक
जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक 21 दिसंबर 2024 को राजस्थान के जैसलमेर में आयोजित होने जा रही है। इस बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और राज्य वित्त मंत्रियों के साथ अन्य अधिकारी भी हिस्सा लेंगे। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जा सकता है, जैसे कि टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर जीएसटी में बदलाव, हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर छूट, जीएसटी स्लैब की समीक्षा, और पुराने वाहनों पर जीएसटी दर में वृद्धि पर चर्चा की जा सकती है। इस बैठक के दौरान, पुरानी और इस्तेमाल किए गए वाहनों के बाजार पर असर डालने वाले कई बड़े फैसले किए जा सकते हैं।
जीएसटी दर में बढ़ोतरी से जुड़े संभावित प्रभाव
अगर पुराने वाहनों पर जीएसटी दर बढ़ाई जाती है, तो इसका असर भारतीय वाहन बाजार पर व्यापक रूप से पड़ सकता है। पहले से ही जीएसटी की दर 18% लग रही है, लेकिन अगर इसे बढ़ाकर 18% किया जाता है, तो यह ग्राहकों को पुराने वाहनों की खरीदारी में झटका दे सकता है। खासकर उन लोगों के लिए जो अपनी पुरानी कार या बाइक को बेचने के बाद दूसरी सेकेंड-हैंड वाहन खरीदने की योजना बना रहे थे। इसके अलावा, यह इलेक्ट्रिक वाहनों के सेकेंड-हैंड बाजार के लिए भी एक चुनौती हो सकता है, क्योंकि इससे उनके लिए आकर्षण कम हो सकता है। भारत में जीएसटी काउंसिल पुराने और इस्तेमाल किए गए वाहनों पर जीएसटी दर को बढ़ाकर 18% करने पर विचार कर सकती है। इससे सेकेंड-हैंड वाहन महंगे हो सकते हैं और ग्राहकों के लिए इनकी खरीदारी कम आकर्षक हो सकती है। विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार में इस बदलाव से गिरावट देखने को मिल सकती है।