Edited By Harman Kaur,Updated: 05 Mar, 2025 01:10 PM

आधार कार्ड से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। अब प्राइवेट ऐप्स भी आपके आधार कार्ड तक पहुँच सकेंगे। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने इसके लिए नया पोर्टल Aadhaar Good Governance Portal लॉन्च किया है। इससे पहले आधार का एक्सेस...
नेशनल डेस्क: आधार कार्ड से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। अब प्राइवेट ऐप्स भी आपके आधार कार्ड तक पहुंच सकेंगे। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने इसके लिए नया पोर्टल Aadhaar Good Governance Portal लॉन्च किया है। इससे पहले आधार का एक्सेस केवल कागजों तक ही सीमित था, लेकिन अब यह डिजिटल प्रोसेस में बदल गया है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि प्राइवेट ऐप्स और कंपनियों को आधार की प्रमाणीकरण प्रक्रिया से जुड़ी जानकारी आसानी से मिल सके, जिससे लोन और अन्य प्रक्रियाएं और भी सरल हो जाएं।
क्या है Aadhaar Good Governance Portal?
Aadhaar Good Governance Portal का उद्देश्य आधार की प्रमाणीकरण प्रक्रिया को ऑटोमेटिक बनाना है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आधार कार्ड असली है या नकली, डेटा अपडेट है या नहीं और किसी तरह की छेड़छाड़ तो नहीं की गई। यह पोर्टल फर्जीवाड़े को कम करने में मदद करेगा और आधार कार्ड की पहचान करना आसान बना देगा।
कैसे काम करेगा यह पोर्टल?
जब किसी व्यक्ति को आधार के ऑथेंटिकेशन की जरूरत होगी, तो वह ऐप पर आधार नंबर डालकर रजिस्टर नंबर पर आई हुई ओटीपी डाल सकेगा, जैसा कि आमतौर पर लोन के दौरान किया जाता है। इसे आमतौर पर e-KYC कहा जाता है। इसी तरह, जब आधार की फोटोकॉपी किसी प्रक्रिया में इस्तेमाल होती है, तो यह प्रोसेस थोड़ा कठिन हो सकता था, क्योंकि ओटीपी की प्रक्रिया करनी पड़ती थी। लेकिन अब यह प्रक्रिया और आसान होगी। इससे लोन, हेल्थ केयर, एजुकेशन और सरकारी योजनाओं में होने वाली देरी को भी कम किया जा सकेगा।
क्या करना होगा प्राइवेट ऐप्स और कंपनियों को?
प्राइवेट ऐप्स को आधार की ऑथेंटिकेशन जानकारी प्राप्त करने के लिए swik.meity.gov.in पोर्टल पर जाकर रजिस्टर करना होगा। उन्हें यह बताना होगा कि वे सरकारी, गैर सरकारी या प्राइवेट संस्थान हैं और उन्हें आधार जानकारी क्यों चाहिए, जैसे कि जन्मतिथि या पता का सत्यापन। बता दें कि इस पोर्टल में सरकार चेहरे की पहचान (face authentication) को भी जोड़ने की योजना बना रही है, जिससे ओटीपी की प्रक्रिया खत्म हो सके और फर्जीवाड़े की संभावना भी कम हो।