वायनाड में प्रियंका गांधी ने 4 लाख वोटों के अंतर से राहुल गांधी का रिकॉर्ड तोड़ा

Edited By Mahima,Updated: 23 Nov, 2024 03:59 PM

priyanka gandhi broke rahul gandhi s record wayanad 3 65 lakh votes

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से खाली हुई केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर 13 नवंबर को उपचुनाव पर मतदान हुआ था। नतीजे आज जारी किए जाएंगे। ताजा रुझानों में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी बढ़त बनाए हुए हैं। वायनाड में प्रियंका गांधी 5.57 लाख...

नेशनल डेस्क: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से खाली हुई केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर 13 नवंबर को उपचुनाव पर मतदान हुआ था। नतीजे आज जारी किए जाएंगे। ताजा रुझानों में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी बढ़त बनाए हुए हैं। वायनाड में प्रियंका गांधी 5.57 लाख से अधिक वोटों से आगे चल रही हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सत्यन मोकेरी 1.89 लाख से अधिक वोटों से पीछे चल रहे हैं, जबकि भाजपा की नव्या हरिदास लगभग 1.02 लाख वोटों के साथ तीसरे स्थान पर हैं।

प्रियंका गांधी ने 2024 के चुनावों में राहुल गांधी के 4 लाख वोटों के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 3.68 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की है। यह मतदान में गिरावट के बावजूद है।वायनाड उपचुनाव में मतदान लगभग 65 प्रतिशत रहा, जो इस साल अप्रैल में हुए लोकसभा चुनावों में लगभग 74 प्रतिशत से कम है और 2019 के आम चुनावों में पहाड़ी निर्वाचन क्षेत्र में 80 प्रतिशत से अधिक मतदान से काफी कम है।
पहले के अपडेट के मुताबिक, प्रियंका गांधी का यहां मुकाबला बीजेपी की नव्या हरिदास और वाम मोर्चा (CPI) के सत्यन मोकेरी से है। इस सीट पर मतदान की काउंटिंग जारी है, और शुरुआती रुझानों में प्रियंका गांधी को बढ़त मिलती दिख रही है।

- प्रियंका गांधी वाड्रा  622338 (+ 410931) (Congress)
- सत्यन मोकेरी 
622338 (+ 410931) (CPI) 
- नव्या हरिदास 
622338 (+ 410931) (BJP) 

राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी वायनाड सीट
वायनाड लोकसभा सीट पहले राहुल गांधी के नाम पर थी। उन्होंने 2019 में इस सीट से जीत दर्ज की थी, लेकिन बाद में उन्होंने संसद से इस्तीफा दे दिया, जिसके कारण यह सीट खाली हो गई। राहुल गांधी ने दोनों सीटों, वायनाड और रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ा था और दोनों जगह से जीत प्राप्त की थी। लेकिन बाद में उन्होंने वायनाड सीट को छोड़ने का निर्णय लिया। राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस को इस सीट की अहमियत और यहां के मतदाताओं के विश्वास को बनाए रखने के लिए एक मजबूत उम्मीदवार की जरूरत थी। इस लिहाज से कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा को वायनाड उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया। प्रियंका गांधी का यहां उतरना कांग्रेस के लिए न सिर्फ राजनीतिक मजबूती को दर्शाता है, बल्कि यह एक संदेश भी है कि पार्टी इस सीट पर किसी तरह की लापरवाही नहीं बरतना चाहती। 

प्रियंका गांधी को मिल रही बंपर बढ़त
वायनाड लोकसभा सीट पर हो रही मतगणना के शुरुआती रुझानों के मुताबिक, प्रियंका गांधी वाड्रा ने बीजेपी की नव्या हरिदास और CPI के सत्यन मोकेरी को पीछे छोड़ते हुए बंपर बढ़त बना ली है। वह 2 लाख से ज्यादा वोटों से बढ़त बना चुकी हैं। हालांकि, जैसे-जैसे काउंटिंग आगे बढ़ रही है, और अंतिम नतीजे सामने आ रहे हैं, यह आंकड़ा और भी स्पष्ट होगा। वायनाड सीट पर प्रियंका गांधी का मुकाबला बीजेपी की नव्या हरिदास और वाम मोर्चा (CPI) के सत्यन मोकेरी से है। नव्या हरिदास, जो कोझिकोड नगर निगम की पार्षद हैं, इस सीट पर बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार हैं। 

वायनाड में उम्मीदवारों का उत्साह 
वायनाड की सीट पर कांग्रेस, बीजेपी और वाम मोर्चा के कार्यकर्ता बड़ी उम्मीदों के साथ मतगणना स्थल पर जुटे हुए हैं। कांग्रेस और बीजेपी कार्यकर्ता खासे उत्साहित हैं, जबकि CPI के कार्यकर्ता भी उम्मीद जताते हुए काउंटिंग प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं। प्रियंका गांधी के लिए यह चुनावी मुकाबला विशेष रूप से अहम है, क्योंकि कांग्रेस की इस सीट पर पकड़ बनी हुई है, और वायनाड के लोगों से उनका गहरा संबंध भी है। प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी ने कांग्रेस को राज्य में एक नई ताकत दी है और पार्टी ने इसे एक प्रमुख चुनावी मुद्दा भी बनाया है। 

प्रियंका गांधी को उम्मीदवार बनाने के पीछे की रणनीति
कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को वायनाड सीट से उम्मीदवार बनाने के फैसले को रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना है। राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के लिए यह सीट नाक का सवाल बन गई थी, क्योंकि यह सीट पार्टी की परंपरागत रूप से मजबूत सीटों में गिनी जाती है। प्रियंका गांधी को उम्मीदवार बनाने का मकसद वायनाड के मतदाताओं में कांग्रेस के प्रति विश्वास को और मजबूत करना था, साथ ही यह भी सुनिश्चित करना था कि पार्टी इस सीट को खोने न पाए। प्रियंका गांधी का वायनाड में उतरना न केवल उनकी राजनीतिक पहचान को और मजबूती देता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि कांग्रेस इस चुनावी क्षेत्र में भविष्य में और भी मजबूत स्थिति में आना चाहती है।

 

 

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