Edited By Yaspal,Updated: 25 Jul, 2024 05:17 PM
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन के ‘दरबार हॉल' और ‘अशोक हॉल' का नाम बदले जाने के बाद केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इस सरकार के लिए दरबार का नहीं, बल्कि ‘‘शहंशाह'' का सिद्धांत है।
नेशनल डेस्कः कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन के ‘दरबार हॉल' और ‘अशोक हॉल' का नाम बदले जाने के बाद केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इस सरकार के लिए दरबार का नहीं, बल्कि ‘‘शहंशाह'' का सिद्धांत है। राष्ट्रपति भवन के प्रतिष्ठित ‘दरबार हॉल' और ‘अशोक हॉल' के नाम गुरूवार को बदलकर क्रमश: ‘गणतंत्र मंडप' और ‘अशोक मंडप' कर दिए गए। इस बारे में पूछे जाने पर प्रियंका गांधी ने संसद भवन परिसर में कहा, ‘‘दरबार का नहीं, शहंशाह का सिद्धांत है।''
इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने ऐतिहासिक राष्ट्रपति भवन के ‘‘दरबार हॉल‘' और ‘‘अशोक हॉल‘' का नाम बदलकर क्रमश: ‘‘गणतंत्र मंडप‘‘ और ‘‘अशोक मंडप‘' कर दिया है। राष्ट्रपति भवन की ओर से गुरुवार को जारी बयान में दी गई है। राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में विभिन्न राष्ट्रीय पुरस्कारों और अन्य महत्वपूर्ण समारोहों का आयोजन किया जाता है।
बयान में कहा गया है कि स्वतंत्र भारत में दरबार शब्द अप्रासंगिक हो चूका है, गणतांत्रिक देश की भावना के अनुसार, इसका नया नामकरण करते हुए कहा गया है कि भारतीय समाज में गणतांत्रिक व्यवस्था की जड़ें प्राचीन काल से गहरी हैं। राष्ट्रपति भवन का अशोक हॉल अंग्रेज़ों के समय में बॉलरूम (नृत्यकक्ष) के रूप में प्रयोग में लाया जाता था।
उल्लेखनीय है कि ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के दौरान राजधानी कलकत्ता (कोलकाता) से दिल्ली स्थानांतरित किए जाने से पहले गवर्नर जनरल कलकत्ता(अब कोलकाता) के गवर्नमेंट हाउस में रहते थे। लॉर्ड वेलेस्ली के नाम से प्रसिद्ध भारत में तत्कालीन गवर्नर जनरल रिचर्ड कोली वेलेस्ली (1798 और 1805) ने इस भवन के निर्माण का आदेश दिया। इसका निर्माण 1912 में शुरू हुआ और 17 साल में पूरा हुआ। यह भवन 321 एकड़ में फैला हुआ है।