Edited By Anu Malhotra,Updated: 16 Oct, 2024 11:45 AM
कनाडा में हाल ही में उभरे राजनयिक संकट ने भारतीय समुदाय, खासकर हिंदुओं के बीच चिंता को बढ़ा दिया है। खालिस्तान समर्थक गुटों के बढ़ते प्रभाव और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के उनके प्रति नरम रुख से वहां के हिंदुओं पर खतरे की स्थिति उत्पन्न हो...
नेशनल डेस्क: कनाडा में हाल ही में उभरे राजनयिक संकट ने भारतीय समुदाय, खासकर हिंदुओं के बीच चिंता को बढ़ा दिया है। खालिस्तान समर्थक गुटों के बढ़ते प्रभाव और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के उनके प्रति नरम रुख से वहां के हिंदुओं पर खतरे की स्थिति उत्पन्न हो गई है। ट्रूडो के खालिस्तान समर्थकों के साथ खड़े होने की वजह से भारत और कनाडा के बीच तनाव गहराता जा रहा है, जिससे कनाडा में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ रही हैं।
जस्टिन ट्रूडो की राजनीतिक रणनीति
विशेषज्ञों का मानना है कि जस्टिन ट्रूडो यह सब आगामी 2025 के चुनावों के मद्देनज़र कर रहे हैं। कनाडा में बढ़ती महंगाई और बेरोज़गारी के चलते ट्रूडो की लोकप्रियता में गिरावट आई है, और उनकी सत्ता में वापसी की संभावनाएं धूमिल होती नज़र आ रही हैं। इन परिस्थितियों में, ट्रूडो खालिस्तान समर्थक सिख समुदाय को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उनके वोटों से राजनीतिक लाभ प्राप्त किया जा सके।
जगमीत सिंह और खालिस्तान का प्रभाव
ट्रूडो की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह से नज़दीकियां और उनके खालिस्तान समर्थक विचार भी इस रणनीति का हिस्सा माने जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रूडो, सिख वोटों को हासिल करने के लिए कनाडाई हिंदुओं को भी निशाना बना सकते हैं, जिससे देश में सामाजिक तनाव और बढ़ सकता है।
हरदीप सिंह निज्जर मामला: भारत पर लगाए गए आरोप
18 जून 2023 को खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में ट्रूडो ने भारत पर आरोप लगाया कि इस हत्या में भारत सरकार के एजेंट शामिल थे। ट्रूडो अब इस मुद्दे पर कनाडा के अन्य राजनीतिक दलों का समर्थन भी जुटा रहे हैं। फाइव आईज एलायंस को भी इस कूटनीतिक संघर्ष से अवगत कराकर, उन्होंने पश्चिमी देशों का समर्थन हासिल करने की कोशिश की है।
साक्ष्य की कमी और जांच में देरी
कनाडा सरकार द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों के बावजूद, उन्होंने अब तक कोई ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं किया है। रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) ने भी इस मामले में कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ट्रूडो का दावा सही होता, तो अब तक जांच एजेंसियां ठोस कार्रवाई कर चुकी होतीं।
भारत को बदनाम करने का प्रयास
विश्लेषकों का कहना है कि ट्रूडो खालिस्तान समर्थकों को खुश करने के लिए भारत को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। वे इस मामले को विदेशी हस्तक्षेप आयोग में भी उठा रहे हैं, और इसके जरिए भारत पर दोष मढ़ने की योजना बना रहे हैं। ट्रूडो को 16 अक्टूबर को इस आयोग के समक्ष पेश होना है, और माना जा रहा है कि वह इसे एकतरफा जांच के रूप में इस्तेमाल कर भारत की छवि खराब करने का प्रयास करेंगे।
यह स्पष्ट है कि जस्टिन ट्रूडो अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए खालिस्तान समर्थक सिखों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इसके परिणामस्वरूप भारत-कनाडा के संबंधों में गंभीर दरार पैदा हो गई है, जिसका असर दोनों देशों के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक संबंधों पर पड़ेगा।