पंजाब  केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राघवेंद्रपी. तिवारी ने भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस), शिमला के निदेशक का अतिरिक्त प्रभार संभाला

Edited By Parveen Kumar,Updated: 26 Jul, 2024 07:24 PM

prof raghavendra p tiwari took additional charge as director of shimla

पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राघवेंद्र पी. तिवारी को भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा भारतीय उन्नत अध्ययन संस्थान (आईआईएएस), शिमला में निदेशक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

बठिंडा, 26 जुलाई : पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राघवेंद्र पी. तिवारी को भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा भारतीय उन्नत अध्ययन संस्थान (आईआईएएस), शिमला में निदेशक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। उन्होंने यह भूमिका 26 जुलाई 2024 को संभाली। प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी एक प्रख्यात शिक्षाविद हैं, जिनके पास 41  वर्षों का अकादमिक अनुभव है। उन्होंने डॉ. हरिसिंह गौरविश्वविद्यालय, सागर, म.प्र. के कुलपति के रूप में साढ़े पांच सालत कसेवाएँ प्रदान की और अब वह अगस्त 2020 से पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा के कुलपति के रूप मेंकार्यरत हैं।

प्रो. तिवारी के नेतृत्व में पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय ने शिक्षा और अनुसंधान में महत्वपूर्णमील के पत्थर हासिल किए हैं। विश्वविद्यालय को नैक मूल्यांकन के अपने दूसरे चक्र में 'ए+' ग्रेड से मान्यता प्राप्त हुई हैऔर साथ ही ,इस संस्थान को एनआईआरएफ इंडिया रैंकिंग में विगत पांच वर्षों से लगातार पांच बार 'भारत के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों' में स्थानदिया गया है। प्रो. तिवारी ने विश्वविद्यालय में एनईपी-2020 की सिफारिशों को लागू करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें एक बहु-विषयक दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ एलओसीएफ-आधारित बहु-विषयक पाठ्यक्रम, एबीसी, एमईई, आदि की शुरुआत की गई है।

आईआईएएस के निदेशक का अतिरिक्त प्रभार संभालने के बाद, प्रो. तिवारी को आईआईएएस सोसायटी की अध्यक्ष और गवर्निंग बॉडी की चेयरपर्सन प्रो. शशिप्रभा कुमार से शुभकामनाएँ प्राप्त हुईं। इस महत्वपूर्ण अवसर पर पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के अधिकारियों और संकाय सदस्यों ने भी प्रो. तिवारी को बधाई दी। सीयू पंजाब के रजिस्ट्रार डॉ. विजय शर्मा ने कहा कि यह सीयू पंजाब बिरादरी के लिए बहुत गर्व का क्षण है कि उनके कुलपति को एक प्रतिष्ठित संस्थान आईआईएएस, शिमला का नेतृत्व करने की यह अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है।

शिक्षा मंत्रालय की एक अधिसूचना के अनुसार, प्रो. तिवारी नियमित निदेशक की नियुक्ति तक आईआईएएस, शिमला के निदेशक (अतिरिक्तप्रभार) के रूप में कार्य करते रहेंगे। आईआईएएस शिमला एक प्रमुख शोधसंस्थान है जिसका उद्घाटन प्रो. एस. राधाकृष्णन द्वारा 20 अक्टूबर 1965 को किया गया था।यह संस्थान मानविकी, सामाजिक विज्ञान और प्राकृतिक विज्ञान में अनुसंधान के लिए अनुकूलवातावरण प्रदान करता है। संस्थान का उद्देश्य बौद्धिक खोज और संवाद की संस्कृति को बढ़ावा देना है। 

अंत : विषय अध्ययनों को बढ़ावा देना और विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान की उन्नति में योगदान देना है।आईआईएएस शिमला के स्थान से जुड़ी एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि जिस भवन में संस्थान स्थित है, उसे मूल रूपसे 1884 से 1888 तक भारत के वायसराय लॉर्ड डफरिन के घर के रूप में बनाया गया था।

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