Edited By Mahima,Updated: 08 Nov, 2024 12:38 PM
उत्तर प्रदेश महिला आयोग ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आयोग ने प्रस्ताव दिया है कि पुरुष टेलर महिलाओं के कपड़ों की माप नहीं ले सकेंगे, और जिम, योगा सेंटर, कोचिंग सेंटर सहित अन्य सार्वजनिक स्थानों पर महिला कर्मचारियों की...
नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश महिला आयोग ने महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर एक अहम प्रस्ताव दिया है। आयोग ने निर्णय लिया है कि पुरुष टेलर अब महिलाओं के कपड़ों की माप नहीं ले सकेंगे। यह कदम महिलाओं के खिलाफ होने वाली छेड़छाड़ की घटनाओं को देखते हुए उठाया गया है। आयोग का कहना है कि कई बार पुरुष दर्जी से महिलाओं का माप लेते समय छेड़छाड़ की घटनाएं सामने आई हैं, जिसके कारण यह फैसला लिया गया।
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर नए दिशा-निर्देश
उत्तर प्रदेश महिला आयोग की ओर से जारी किए गए नए दिशा-निर्देशों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को लेकर कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। आयोग ने खासकर उन स्थानों पर सुरक्षा बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है, जहां महिलाओं की पब्लिक डीलिंग होती है। इसके तहत जिम, योगा सेंटर, कोचिंग सेंटर, बुटीक और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था को सख्त करने का सुझाव दिया गया है। आयोग का कहना है कि जब भी महिलाएं पुरुष दर्जी से कपड़ों का माप लेने जाती हैं, तो कभी-कभी छेड़छाड़ जैसी घटनाएं घटित होती हैं। इन घटनाओं से बचने के लिए आयोग ने यह प्रस्ताव दिया है कि पुरुष टेलर को महिलाओं के कपड़े मापने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
जिम, योगा सेंटर और बुटीक में महिला कर्मचारियों की अनिवार्यता
महिला आयोग ने यह भी सुझाव दिया है कि जिम, योगा सेंटर और बुटीक जैसे संस्थानों में महिलाओं की ट्रेनिंग और मैनेजमेंट के लिए महिला कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए। इसके साथ ही, इन जगहों पर सीसीटीवी कैमर और डीवीआर की व्यवस्था भी अनिवार्य की जाए। इससे महिलाओं को सुरक्षा मिलेगी और किसी भी आपत्तिजनक घटना की स्थिति में साक्ष्य मिल सकेगा। आयोग का मानना है कि इस तरह की सुरक्षा व्यवस्था से महिलाओं को असुरक्षित महसूस करने की स्थिति में मदद मिलेगी। इसके अलावा, आयोग ने पार्किंग स्पॉट्स, पब्लिक वॉशरूम और सार्वजनिक परिवहन में भी सुरक्षा बढ़ाने की सिफारिश की है।
कोचिंग सेंटर और स्कूल बसों में महिलाओं का होना अनिवार्य
आयोग ने कोचिंग सेंटर और स्कूल की बसों में महिला सुरक्षाकर्मी या महिला शिक्षक की नियुक्ति की सिफारिश की है। उनका कहना है कि स्कूल बसों में महिलाओं का होना जरूरी है ताकि बच्चों के साथ किसी भी प्रकार की असुरक्षा की स्थिति न उत्पन्न हो। इसके अलावा, सीसीटीवी कैमरे इन स्थानों पर लगाए जाएं, ताकि महिलाओं के साथ किसी प्रकार का उत्पीड़न होने पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।आयोग ने यह भी कहा कि शौचालयों में उचित और सुरक्षित व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि महिलाएं बिना डर के शौचालयों का उपयोग कर सकें। स्कूल, कॉलेज और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह की व्यवस्था महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ावा देगी और उन्हें एक सुरक्षित माहौल मिलेगा।
नाट्य केंद्रों और विशेष दुकानों पर महिला कर्मचारियों की नियुक्ति
महिला आयोग ने नाट्य केंद्रों (theater halls) और विशेष दुकानों, जैसे महिलाओं के कपड़े और सामान बेचने वाले स्टोर्स पर महिला कर्मचारियों की नियुक्ति की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका कहना है कि इन स्थानों पर महिलाएं सुरक्षित महसूस करेंगी, और महिलाएं जब खरीदारी के लिए जाएं, तो उन्हें किसी भी तरह की असहज स्थिति का सामना न करना पड़े।
आयोग का यह कदम क्यों जरूरी है?
उत्तर प्रदेश महिला आयोग के अध्यक्ष लक्ष्मी यादव ने बताया कि यह कदम महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। उन्होंने कहा, "हमारी प्राथमिकता महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा प्रदान करना है। खासकर उन स्थानों पर जहां महिलाओं को विकृत मानसिकता वाले पुरुषों का सामना करना पड़ता है, हमें उन स्थानों पर सख्त सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।" उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सीसीटीवी कैमरे और महिला कर्मचारियों की नियुक्ति के अलावा, महिलाओं की सुरक्षा के प्रति समाज की मानसिकता में बदलाव लाना भी बेहद जरूरी है।
महिला आयोग के प्रस्ताव का उद्देश्य
महिला आयोग का यह प्रस्ताव केवल नियामक कदम नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य सामाजिक और मानसिक बदलाव लाना भी है। आयोग का मानना है कि जब तक महिलाओं को हर जगह और हर स्थिति में सुरक्षित महसूस नहीं होगा, तब तक उनकी वास्तविक स्वतंत्रता का कोई मतलब नहीं होगा। इस कदम से महिलाओं को अपनी सुरक्षा और सम्मान की चिंता किए बिना सार्वजनिक स्थानों पर स्वतंत्रता से कार्य करने का अवसर मिलेगा। उत्तर प्रदेश महिला आयोग द्वारा दिया गया यह प्रस्ताव महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक अहम कदम माना जा रहा है। अगर ये दिशा-निर्देश लागू होते हैं, तो इससे महिलाओं की सुरक्षा में एक बड़ा सुधार हो सकता है। इसके अलावा, इससे समाज में महिलाओं के अधिकारों के प्रति एक सकारात्मक संदेश जाएगा और महिलाओं को सार्वजनिक जीवन में ज्यादा आत्मविश्वास मिलेगा। यह फैसला महिला आयोग की तरफ से महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है, और यह उस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल हो सकती है, जहां महिलाओं को हर क्षेत्र में पूरी स्वतंत्रता और सुरक्षा मिल सके।