Edited By Utsav Singh,Updated: 21 Aug, 2024 08:36 PM
महाराष्ट्र के बदलापुर में दो नाबालिग लड़कियों के साथ हुए दुष्कर्म मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि न्याय हर नागरिक का अधिकार है और इसे पुलिस या प्रशासन की ‘मर्जी’ पर निर्भर नहीं छोड़ा जा सकता।
महाराष्ट्र : महाराष्ट्र के बदलापुर में दो नाबालिग लड़कियों के साथ हुए दुष्कर्म मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि न्याय हर नागरिक का अधिकार है और इसे पुलिस या प्रशासन की ‘मर्जी’ पर निर्भर नहीं छोड़ा जा सकता। कोलकाता और बदलापुर में हुए मामलों के विरोध में देशभर में चल रहे प्रदर्शनों के बीच, राहुल गांधी ने X पर एक पोस्ट के माध्यम से अपनी बात रखी। उन्होंने उल्लेख किया कि पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार और अब महाराष्ट्र में बेटियों के खिलाफ होने वाले घिनौने अपराध इस बात पर विचार करने को मजबूर करते हैं कि हम समाज के रूप में किस दिशा में जा रहे हैं। राहुल गांधी ने इस स्थिति को चिंताजनक बताते हुए कहा कि यह समाज के स्वास्थ्य और हमारी सामूहिक नैतिकता पर गहरा सवाल उठाता है।
क्या अब FIR दर्ज कराने के लिए भी आंदोलन करना पड़ेगा?
कांग्रेस अध्यक्ष ने बदलापुर में दो मासूम लड़कियों के साथ हुए दुष्कर्म के बाद उठाए गए कदमों पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि इस गंभीर अपराध के बावजूद, पीड़ितों को न्याय दिलाने की प्रक्रिया तब शुरू नहीं की गई जब तक जनता ने ‘न्याय की गुहार’ लगाते हुए सड़कों पर प्रदर्शन नहीं किया। उन्होंने चिंता जताई कि क्या अब FIR दर्ज कराने के लिए भी आंदोलन करना पड़ेगा? कांग्रेस अध्यक्ष ने यह सवाल उठाया कि आखिरकार, पीड़ितों को पुलिस थाने तक पहुंचना और अपनी शिकायत दर्ज कराना इतना कठिन क्यों हो गया है। उनका कहना था कि यह स्थिति यह दर्शाती है कि पुलिस और प्रशासनिक तंत्र में कितनी असंवेदनशीलता और लापरवाही बढ़ गई है।
न्याय हर नागरिक का बुनियादी अधिकार है...
राहुल गांधी ने कहा कि अक्सर अपराधों को छिपाने के प्रयास न्याय की प्रक्रिया से अधिक प्राथमिकता पाते हैं, और इसका सबसे गंभीर प्रभाव महिलाओं और कमजोर वर्ग के लोगों पर पड़ता है। उन्होंने इस बात की ओर इशारा किया कि जब FIR दर्ज नहीं की जाती, तो यह न केवल पीड़ितों को हतोत्साहित करता है, बल्कि अपराधियों को भी प्रोत्साहित करता है और उनके हौसले को बढ़ावा देता है। उन्होंने इस गंभीर स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सभी सरकारों, नागरिकों और राजनीतिक दलों को गहराई से विचार करने की जरूरत है कि समाज में महिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाएं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि न्याय हर नागरिक का बुनियादी अधिकार है और इसे पुलिस और प्रशासन की 'मर्जी' के अधीन नहीं किया जा सकता।