new immigration policy: कनाडा भारतीय छात्रों को डिपोर्ट करने की तैयारी में, ब्रैम्पटन की सड़कों पर पंजाबी स्टूडेंट्स...

Edited By Anu Malhotra,Updated: 11 Oct, 2024 01:28 PM

protests by punjabi students deportation to canada

कनाडा में जारी निर्वासन की आशंका को लेकर पंजाबी छात्रों का विरोध प्रदर्शन तेजी से बढ़ता जा रहा है। सैकड़ों छात्रों ने कनाडा सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए new immigration policy के विरोध में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया है। यह विरोध...

नेशनल डेस्क:  कनाडा में जारी निर्वासन की आशंका को लेकर पंजाबी छात्रों का विरोध प्रदर्शन तेजी से बढ़ता जा रहा है। सैकड़ों छात्रों ने कनाडा सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए new immigration policy के विरोध में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया है। यह विरोध विशेष रूप से उन छात्रों में आक्रोश पैदा कर रहा है जो अपने सुनहरे भविष्य की उम्मीद के साथ वहां पहुंचे थे।

विरोध का कारण:
new immigration policy: कनाडा सरकार की नई नीति, जो स्नातकोत्तर कार्य परमिट (PGWP) के लिए पात्र अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या को सीमित करती है, ने विशेष रूप से पंजाबी छात्रों के सपनों को धूमिल कर दिया है। इन छात्रों को उम्मीद थी कि पढ़ाई पूरी करने के बाद वे स्थायी निवास (PR) के लिए आवेदन कर सकेंगे, लेकिन नई नीति ने उनकी योजनाओं पर पानी फेर दिया है।

आर्थिक और मानसिक दबाव: छात्रों ने भारी फीस और अन्य खर्चों का भुगतान करके कनाडा की शिक्षा प्रणाली में प्रवेश किया था। अब वे खुद को एक असुरक्षित स्थिति में पाते हैं, जहां वे निर्वासन का सामना कर रहे हैं।

प्रदर्शन का विस्तार:
ब्रैम्पटन में विरोध: विरोध का मुख्य केंद्र ब्रैम्पटन है, जहां बड़ी संख्या में पंजाबी छात्र सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्रों ने अपने हाथों में तख्तियां लेकर अपनी नाराजगी जताई, जिन पर लिखा था, "हमारे भविष्य से खेलना बंद करो" और "अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को निशाना बनाना बंद करो"।

सपनों का टूटना: छात्रों का कहना है कि उन्होंने बेहतर भविष्य की तलाश में कनाडा का रुख किया था, लेकिन अब वे खुद को अनिश्चित भविष्य के साथ अधर में लटके हुए पाते हैं। उनके जीवन के कई महत्वपूर्ण साल कनाडा में निवेश करने के बावजूद, वे अब खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

इस नीति के चलते, छात्रों का भविष्य असुरक्षित हो गया है, और वे अपने सपनों को बचाने के लिए सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हो गए हैं।

 प्रदर्शन का मुख्य केंद्र ब्रैम्पटन और अन्य शहर बने हैं, जहां छात्रों का कहना है कि वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित और निराश हैं। इन छात्रों का मानना है कि उनके साथ अन्याय हुआ है, क्योंकि उन्होंने न केवल अपनी पढ़ाई के लिए फीस चुकाई, बल्कि आर्थिक योगदान भी दिया, फिर भी वे अब डिपोर्टेशन का सामना कर रहे हैं।

विरोध के प्रमुख बिंदु:
छात्रों की निराशा: छात्रों का कहना है कि उन्होंने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ ट्यूशन फीस और टैक्स का भुगतान किया है, जिससे कनाडा की अर्थव्यवस्था में भी योगदान दिया, लेकिन फिर भी उनके PR के आवेदन अब खतरे में हैं।

स्थायी प्रदर्शन: ब्रैम्पटन में क्वीन स्ट्रीट पर अगस्त के अंत से जारी स्थायी विरोध प्रदर्शन को बड़ी संख्या में समर्थन मिल रहा है। कई पंजाबी समुदाय के नेता, गायक, और अन्य मशहूर हस्तियां जैसे रूपिंदर हांडा और गुरु रंधावा ने छात्रों के समर्थन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।

समुदाय का समर्थन: 54 ट्रेड यूनियनों और प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों की वकालत करने वाले संगठनों ने भी इन छात्रों के विरोध का समर्थन किया है। इसके अलावा, 9-जवान सपोर्ट नेटवर्क के प्रमुख बिक्रम ने स्थानीय सांसदों से इस मुद्दे को उठाने की अपील की है।

सरकार का रुख:
कनाडाई सरकार ने इस विरोध प्रदर्शन के बावजूद अपनी नीति पर स्पष्टीकरण दिया है। उनका कहना है कि यह सीमा आवश्यक है ताकि कनाडा की आव्रजन प्रणाली स्थिर और टिकाऊ बनी रहे। हालांकि, उन्होंने छात्रों की निराशा और उनके संघर्षों को समझने की बात भी कही है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपनी नीति में कोई बदलाव करने का संकेत नहीं दिया है। विरोध के बावजूद, कनाडाई सरकार अपनी नीति पर अडिग है। इमिग्रेशन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (IRCC) के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह कदम आप्रवासन प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। प्रवक्ता ने छात्रों की निराशा को समझने की बात कही, लेकिन यह भी बताया कि कनाडा को अपने आर्थिक और सामाजिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए श्रमिकों के प्रवाह को नियंत्रित करना होगा।

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