लोकसभा में बैंकिंग सेवाओं के शुल्क और कर्मचारियों के काम के बोझ पर उठे सवाल

Edited By Rahul Rana,Updated: 03 Apr, 2025 05:58 PM

questions raised in lok sabha on the charges of banking services

लोकसभा में कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने बृहस्पतिवार को बैंकिंग सेवाओं के शुल्कों पर चिंता जताते हुए सरकार से इस दिशा में ध्यान देने की अपील की। चिदंबरम ने इस मुद्दे को शून्यकाल में उठाते हुए कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में ग्राहकों से वसूले जाने वाले...

नेशनल डेस्क: लोकसभा में कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने बृहस्पतिवार को बैंकिंग सेवाओं के शुल्कों पर चिंता जताते हुए सरकार से इस दिशा में ध्यान देने की अपील की। चिदंबरम ने इस मुद्दे को शून्यकाल में उठाते हुए कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में ग्राहकों से वसूले जाने वाले शुल्क अब गैरजरूरी हो गए हैं और इन्हें समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने इस संदर्भ में बैंकिंग क्षेत्र की तुलना घरेलू विमानन सेवाओं से की, जहां सीट से लेकर भोजन तक, हर सुविधा के लिए अतिरिक्त शुल्क वसूला जाता है। बैंकिंग सेवाओं के शुल्कों और बैंक कर्मचारियों के काम के बोझ को लेकर उठाए गए ये मुद्दे लोकसभा में महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गए हैं। दोनों सांसदों ने इन मुद्दों को सरकार के सामने रखा और आशा जताई कि इन पर जल्द ही समाधान निकाला जाएगा। बैंकिंग क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता को लेकर यह एक बड़ा कदम हो सकता है, जिससे ग्राहकों और कर्मचारियों दोनों के लिए लाभकारी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकें।

बैंकिंग सेवाओं पर वसूले जा रहे अतिरिक्त शुल्क

चिदंबरम ने कहा कि बैंकों में ग्राहकों से एटीएम से धन निकालने, चेकबुक लेने जैसी सामान्य सेवाओं पर शुल्क लिया जा रहा है, और कुछ बैंकों में तो अपने ही खाते में जमा धन की एक न्यूनतम सीमा से कम होने पर जुर्माना भी लिया जाता है। उन्होंने इसे एक अत्यधिक और अनावश्यक खर्च बताया और सरकार से आग्रह किया कि इस पर तुरंत ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा, "यह संभव है कि एक दिन बैंक शाखाओं में प्रवेश करने और अधिकारियों से बात करने के लिए भी शुल्क लिया जाए, जो कि एक अव्यावहारिक स्थिति होगी।"

बैंक कर्मचारियों के काम के बोझ पर तृणमूल कांग्रेस का विरोध

वहीं, तृणमूल कांग्रेस की सदस्य प्रतिमा मंडल ने भी शून्यकाल के दौरान एक अन्य गंभीर मुद्दा उठाया। उन्होंने बैंक कर्मचारियों पर अत्यधिक काम के बोझ का आरोप लगाते हुए सरकार से उनके लिए पांच दिन के कामकाजी सप्ताह की मांग की। प्रतिमा मंडल ने कहा कि बैंक कर्मचारियों को भारी दबाव का सामना करना पड़ता है और उन्हें लंबे समय तक काम करना पड़ता है, जिससे उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि बैंक कर्मचारियों के कार्य घंटे कम किए जाएं और उन्हें बेहतर कार्य वातावरण प्रदान किया जाए।

सरकार से समाधान की उम्मीद

बैंकिंग क्षेत्र में शुल्कों के बढ़ते बोझ और कर्मचारियों पर काम के अत्यधिक दबाव को लेकर दोनों सांसदों ने सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की है। चिदंबरम ने कहा कि यदि सरकार इन समस्याओं पर ध्यान नहीं देती है, तो इससे बैंकिंग क्षेत्र में और भी अधिक असंतोष और समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर उचित समाधान निकालेगी। वहीं, प्रतिमा मंडल ने बैंक कर्मचारियों के लिए अधिक आरामदायक कार्य वातावरण की आवश्यकता को रेखांकित किया, ताकि वे अपनी नौकरी में अधिक खुशहाल और संतुष्ट महसूस कर सकें। 
 

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