मेडिकल कॉलेज में रैगिंग, सीनियर्स ने दी दर्दनाक सजा, 18 साल के छात्र की हुई मौत

Edited By Utsav Singh,Updated: 17 Nov, 2024 06:47 PM

ragging in medical college seniors gave painful punishment

देश में रैगिंग के खिलाफ कड़े नियम और सख्त कानून होने के बावजूद, यह समस्या लगातार बनी हुई है। हर साल किसी न किसी विश्वविद्यालय से रैगिंग के मामले सामने आते रहते हैं। इसके बावजूद, छात्र संगठन, विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकारें इसे पूरी तरह से समाप्त...

नेशनल डेस्क : देश में रैगिंग के खिलाफ कड़े नियम और सख्त कानून होने के बावजूद, यह समस्या लगातार बनी हुई है। हर साल किसी न किसी विश्वविद्यालय से रैगिंग के मामले सामने आते रहते हैं। इसके बावजूद, छात्र संगठन, विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकारें इसे पूरी तरह से समाप्त करने में नाकाम साबित हो रही हैं। कुछ ऐसा ही मामला गुजरात के पाटन जिले के एक मेडिकल कॉलेज से आया है जहां एमबीबीएस के 18 वर्षीय छात्र की रैगिंग के दौरान कथित तौर पर तीन घंटे तक खड़े रहने के कारण मौत हो गई। पुलिस के एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी। मेडिकल कॉलेज ने शनिवार को हुई इस घटना की जांच शुरू कर दी है। मृतक छात्र को उसके वरिष्ठ छात्रों द्वारा काफी देर तक खड़े रहने के लिए मजबूर किया गया, जिसके कारण वह बेहोश हो गया था। वह कॉलेज में एमबीबीएस प्रथम वर्ष का छात्र था।

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यह घटना शनिवार रात पाटन के धारपुर स्थित जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के छात्रावास में हुई। कॉलेज के डीन डॉ. हार्दिक शाह ने बताया कि पीड़ित छात्र अनिल मेथानिया को उसके सीनियर छात्रों द्वारा रैगिंग के दौरान कथित तौर पर तीन घंटे तक खड़ा रखा गया, जिसके कारण वह बेहोश हो गया और उसकी मौत हो गई। डॉ. हार्दिक शाह ने कहा, ‘‘अनिल मेथानिया के बेहोश हो जाने पर उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे बचाने के सभी प्रयास विफल रहे और उसे मृत घोषित कर दिया गया। अनिल के सहपाठियों ने बताया कि उसकी मौत कॉलेज के छात्रावास में तीन घंटे तक खड़े रहने और सीनियर छात्रों के सामने अपना परिचय देने के बाद हुई। ''

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डीन ने कहा कि कॉलेज की रैगिंग निरोधक समिति ने मामले की जांच शुरू कर दी है और यदि सीनियर छात्र रैगिंग के लिए जिम्मेदार पाए गए तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। बालिसाना पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि छात्र के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और दुर्घटनावश मौत होने का मामला दर्ज कर लिया गया है। कॉलेज के एमबीबीएस के प्रथम वर्ष के एक छात्र ने पहचान गुप्त रखे जाने की शर्त पर बताया कि सात-आठ वरिष्ठ छात्रों ने जूनियर छात्रों के एक समूह को लगभग तीन घंटे तक खड़े रहने और एक-एक करके अपना परिचय देने के लिए मजबूर किया।

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छात्र ने कहा, ‘‘उन्होंने हमें खड़े रहने के लिए मजबूर किया और कहा कि हम आक्रोशित न हों। आखिर में एक छात्र जो हमारे साथ खड़ा था, बेहोश हो गया। हम उसे अस्पताल ले गए जहां उसकी मौत हो गई।'' मेथानिया के एक रिश्तेदार धर्मेन्द्र मेथानिया ने संवाददाताओं को बताया कि परिवार को कॉलेज और सरकार से न्याय मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अपने चाचा का फोन आया कि मेरा चचेरा भाई बेहोश होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जब मैं यहां पहुंचा तो पता चला कि उसकी मौत हो चुकी है।'' 

 

 

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