राहुल और प्रियंका गांधी को संभल जाने की नहीं मिली अनुमति, गाजियाबाद बॉर्डर से लौटे दिल्ली

Edited By Mahima,Updated: 04 Dec, 2024 01:06 PM

rahul and priyanka gandhi did not get permission to go to sambhal

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को संभल जाने की अनुमति नहीं मिली, जब उनका काफिला गाजियाबाद बॉर्डर पर पुलिस ने रोक लिया। वे वहां हाल ही में हुई हिंसा में मारे गए लोगों से मिलने जा रहे थे। प्रशासन ने बाहरी नेताओं का प्रवेश 10 दिसंबर तक रोक दिया, जबकि...

नेशनल डेस्क: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा बुधवार को उत्तर प्रदेश के संभल जिले का दौरा करने के लिए निकले थे। उनका इरादा वहां हाल ही में हुई हिंसा में मारे गए लोगों से मिलने और स्थिति का जायजा लेने का था। हालांकि, उनका काफिला गाजियाबाद बॉर्डर पर पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद दिल्ली लौटने पर मजबूर हो गया। प्रशासन ने संभल जिले में विपक्षी नेताओं के प्रवेश पर रोक लगा दी थी, जिसका कारण स्थानीय हिंसा को लेकर बनी तनावपूर्ण स्थिति को नियंत्रित करना बताया गया।

गाजियाबाद बॉर्डर पर कड़ा प्रशासनिक प्रतिबंध
राहुल और प्रियंका गांधी का काफिला जब दिल्ली से उत्तर प्रदेश की तरफ बढ़ा, तो उन्हें गाजियाबाद बॉर्डर पर पुलिस ने रोक लिया। सुरक्षा अधिकारियों ने बैरिकेडिंग कर रखी थी और रास्ते में पुलिस की भारी तैनाती थी। राहुल गांधी ने अपनी टीम के साथ पुलिस से आग्रह किया कि वे उन्हें संभल जाने की अनुमति दें और वे पुलिस की गाड़ी में बैठकर भी वहां जाना चाहते थे। राहुल गांधी ने कहा, "यदि मुझे अकेला संभल जाने की अनुमति दी जाए, तो मैं पुलिस की गाड़ी में बैठकर चलने को तैयार हूं।" हालांकि, प्रशासन ने इस पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया और राहुल के काफिले को उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ काफिले में कांग्रेस के अन्य नेता भी थे, जिनमें केसी वेणुगोपाल, केएल शर्मा, उज्जल रमन सिंह, तनुज पूनिया और इमरान मसूद शामिल थे। इस पर कांग्रेस नेताओं ने प्रशासन के इस कदम की कड़ी आलोचना की और इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया। 

कांग्रेस का विरोध, विपक्षी नेताओं का आरोप
कांग्रेस नेता अजय कुमार लल्लू ने कहा, "यह लोकतंत्र की हत्या है। विपक्षी नेताओं को शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए वहां जाने से क्यों रोका जा रहा है?" उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर विपक्ष को दबाने की कोशिश कर रही है और यह लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है। यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने भी कहा कि यह पूरी तरह से तानाशाही का उदाहरण है। उनका कहना था, "हम वहां किसी राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि पीड़ितों से मिलकर उनकी मदद करने और उन तक न्याय पहुंचाने के लिए जा रहे थे।" राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के काफिले को गाजियाबाद के पास ही रोकने के बाद कांग्रेस नेताओं ने जोरदार प्रदर्शन भी किया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गाजीपुर NH9 पर बैठकर विरोध प्रदर्शन किया और "रघुपति राघव" जैसे भक्ति गीत गाकर सरकार के इस कदम का विरोध किया। 

अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी का पलटवार
समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "क्या उत्तर प्रदेश सरकार कुछ छिपाने की कोशिश कर रही है? क्या सरकार नहीं चाहती कि लोग संभल में हुई हिंसा के बारे में जाने? यह पूरा घटनाक्रम प्रशासन की गलती है और अब इसे छिपाने की कोशिश की जा रही है।" अखिलेश यादव ने आगे कहा, "संभल में जो हुआ, वह एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा था। सरकार और पुलिस प्रशासन इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि किसी को सच का पता न चले।" एसपी सांसद डिंपल यादव ने भी इस घटनाक्रम पर नाराजगी जताते हुए कहा, "संभल में जो हुआ, वह सरकार और प्रशासन की नाकामी का परिणाम था। यह एक देशव्यापी मुद्दा है क्योंकि बीजेपी समाज में तनाव पैदा करने के प्रयास में लगी हुई है।"

क्या है पूरा मामला?
संभल जिले में 24 नवंबर को जामा मस्जिद के पास स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच हिंसा भड़क गई थी। यह घटना तब हुई जब अदालत के आदेश पर Archaeological Survey of India (ASI) की टीम जामा मस्जिद का सर्वे करने के लिए आई थी। कोर्ट ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था, क्योंकि हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद को श्री हरिहर मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। इसके बाद मस्जिद के पास झड़प हो गई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। हिंसा के बाद इलाके में तनाव फैल गया और बाजार बंद कर दिए गए थे। स्थानीय प्रशासन ने शांति बनाए रखने के लिए पूरे संभल जिले में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू की और उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी। पुलिस ने अब तक 300 से अधिक आरोपियों के पोस्टर जारी किए हैं और उनकी गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। प्रशासन ने संभल में शांति बनाए रखने के लिए किसी भी तरह के धार्मिक या राजनीतिक जुलूसों पर भी रोक लगा दी है। 
 

केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ विपक्ष का हमला
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों ही इस मुद्दे पर सरकार पर हमलावर हैं। कांग्रेस के नेता अजय कुमार लल्लू ने कहा, "हम विपक्षी नेताओं को वहां जाने से रोकने के लिए यह कदम उठा रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरकार की गलतियों पर सवाल न उठे।" उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस तरह से विपक्षी नेताओं को चुप कराना चाहती है ताकि सच सामने न आ सके। वहीं, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा, "बीजेपी सरकार ने देश में शांति और भाईचारे को खतरे में डाल दिया है। यह पूरी घटना एक साजिश के तहत हुई है, ताकि साम्प्रदायिक तनाव फैलाया जा सके।"

डीएम का बयान, प्रशासन की चेतावनी
संभल के जिला मजिस्ट्रेट (DM) राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि हिंसा के कारण स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, और इसलिए बाहरी नेताओं और कार्यकर्ताओं का शहर में प्रवेश 10 दिसंबर तक प्रतिबंधित किया गया है। पेंसिया ने कहा कि इस फैसले का मकसद शांति और सद्भाव बनाए रखना है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे की जांच के लिए एक विशेष आयोग गठित किया गया है, जो हिंसा के पीछे की वजहों की जांच करेगा। संभल में धारा 144 के तहत पांच से अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगाया गया है। प्रशासन ने यह कदम हिंसा को और बढ़ने से रोकने के लिए उठाया है। 

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का आरोप
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के यात्रा को रोकने के बाद विपक्षी पार्टियों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि इस तरह के प्रतिबंध साबित करते हैं कि बीजेपी सरकार लोकतंत्र की हत्या कर रही है। उन्होंने कहा, "अगर प्रशासन और पुलिस ने समय रहते कार्रवाई की होती, तो संभल में ऐसा माहौल नहीं बनता। बीजेपी की नाकामी की वजह से ही यह सब हुआ है।" कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र की हत्या और तानाशाही करार देते हुए कहा कि यह कदम विपक्ष को चुप कराने के लिए उठाया गया है।

संभल हिंसा के बाद की स्थिति और प्रशासन की तैयारी
संभल में हिंसा के बाद की स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है। प्रशासन ने संभल जिले में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है और पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है। स्थानीय अधिकारियों ने गाजियाबाद, बुलंदशहर, अमरोहा और गौतम बुद्ध नगर के पुलिस कप्तानों को यह निर्देश दिए हैं कि वे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के काफिले को संभल जाने से रोकने के लिए पूरी सतर्कता बरतें। गाजियाबाद और दिल्ली बॉर्डर पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है ताकि कांग्रेस नेताओं को उत्तर प्रदेश की सीमा में घुसने से रोका जा सके।

संभल में हुई हिंसा को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियां लगातार मोर्चा खोले हुए हैं। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के दौरे को रोकने के प्रशासन के कदम ने इसे और अधिक राजनीतिक रूप दे दिया है। विपक्ष का कहना है कि यह कदम लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश है, जबकि सरकार इसे शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी कदम मानती है। यह मामला अब सिर्फ एक स्थानीय हिंसा से बढ़कर राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा बन चुका है, और देखना होगा कि इस मुद्दे पर आगे कौन सी प्रतिक्रिया सामने आती है।

 

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!