Edited By Mahima,Updated: 05 Sep, 2024 12:24 PM
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं और इस बीच कांग्रेस पार्टी को कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपना रुख स्पष्ट करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया और वहां रामबन...
नेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं और इस बीच कांग्रेस पार्टी को कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपना रुख स्पष्ट करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया और वहां रामबन और अनंतनाग जिलों में दो बड़े चुनावी रैलियां कीं। उन्होंने इन रैलियों में जम्मू-कश्मीर के लोगों से जुड़ने की कोशिश की और यह वादा किया कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो राज्य को दोबारा पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा।
हालांकि, राहुल गांधी के भाषण में एक महत्वपूर्ण मुद्दा अनुपस्थित था—अनुच्छेद 370। कांग्रेस पार्टी की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं, खासकर इस संवेदनशील मुद्दे पर पार्टी के मौन को लेकर। अनुच्छेद 370 को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर हमले तेज कर दिए हैं और सवाल उठाए हैं कि कांग्रेस और राहुल गांधी का स्टैंड इस विषय पर क्या है।
अनुच्छेद 370 पर स्पष्ट रुख
बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वे अनुच्छेद 370 पर अपने रुख को स्पष्ट करने से बच रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस से 10 सवाल किए हैं, जिनमें प्रमुख सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी अनुच्छेद 370 और आर्टिकल 35A की बहाली का समर्थन करती हैं। बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस की चुप्पी इस बात को दर्शाती है कि वे इस मुद्दे पर असमंजस में हैं और राजनीतिक लाभ के लिए कोई ठोस रुख नहीं अपनाना चाहते।
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा
राहुल गांधी का कहना है कि उनकी प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनका राज्य का दर्जा वापस दिलाने की है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी ने 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटा कर लोगों के अधिकारों का उल्लंघन किया है। राहुल ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी एक गठबंधन सरकार बनाएगी जो जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा लौटाएगी। हालांकि, कांग्रेस ने अनुच्छेद 370 पर सीधे टिप्पणी करने से परहेज किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह एक सोची-समझी रणनीति हो सकती है, जिससे पार्टी विवादों से बचना चाहती है और अपनी आंतरिक एकता बनाए रखना चाहती है। कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर विभिन्न धड़ों और विचारधाराओं के बीच संतुलन बनाए रखना चाहती है और इसलिए उन्होंने इस पर खुलकर बात करने से मना कर दिया है।
कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का गठबंधन
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एक गठबंधन का ऐलान किया है। इस गठबंधन के तहत 90 विधानसभा सीटों में से 51 पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और 32 सीटों पर कांग्रेस अपने उम्मीदवार उतारेगी। यह चुनाव जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने और अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पहला चुनाव है, इसलिए यह चुनाव विशेष महत्व रखता है।
चुनाव की तारीखें
जम्मू-कश्मीर में चुनाव तीन चरणों में होंगे—18 सितंबर, 25 सितंबर और 8 अक्टूबर। यह चुनाव उन बड़े बदलावों के बाद हो रहे हैं जो 2019 में हुए थे, और इस बार चुनावी प्रक्रिया की देखरेख में खास सावधानी बरती जा रही है। राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर स्टेटहुड लौटाने का वादा तो किया है, लेकिन अनुच्छेद 370 के मामले में मौन रहकर वे एक जटिल स्थिति को टाल रहे हैं। चुनाव के नजदीक आने के साथ ही यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस अपनी रणनीति को कैसे आकार देती है और क्या पार्टी इस मुद्दे पर अपने रुख को स्पष्ट करेगी।