Rahul Gandhi की टेंशन बढ़ी: महाराष्ट्र चुनाव से पहले शिंदे सरकार ने एक ही बार में OBC और SC वोटरों को लुभाने के लिए चलाए दो तीर

Edited By Mahima,Updated: 11 Oct, 2024 10:36 AM

rahul gandhi s tension increased before maharashtra elections

महाराष्ट्र की शिंदे सरकार आगामी नवंबर चुनावों से पहले ओबीसी और एससी वोटरों को लुभाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। सरकार ने केंद्रीय सरकार से ओबीसी क्रीमी लेयर की आय सीमा 8 लाख से बढ़ाकर 15 लाख रुपये करने का अनुरोध किया है और एससी आयोग को...

नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल गरमाता जा रहा है। हाल ही में हरियाणा में भाजपा की हैट्रिक जीत के बाद, कांग्रेस की स्थिति कमजोर पड़ी है। इसी बीच, एकनाथ शिंदे की नेतृत्व वाली भाजपा-एनसीपी-शिवसेना सरकार ने ओबीसी और अनुसूचित जाति (एससी) वोटरों को लुभाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

ओबीसी के हित में बड़ा निर्णय
महाराष्ट्र कैबिनेट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसके तहत सरकार केंद्र से ओबीसी में गैर-क्रीमी लेयर की आय सीमा को बढ़ाकर 15 लाख रुपये करने का अनुरोध करेगी। मौजूदा सीमा 8 लाख रुपये है, जो ओबीसी वर्ग के लोगों को आरक्षण का लाभ उठाने में बाधा डालती है। यह निर्णय विधानसभा चुनाव से पहले आया है, जिसका उद्देश्य ओबीसी वर्ग के वोटरों को आकर्षित करना है। गैर-क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति की पारिवारिक आय निर्धारित सीमा से कम है, जिससे वह आरक्षण का लाभ उठा सकता है। इस निर्णय का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि ओबीसी वोटर हमेशा से राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं। अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो इससे सरकार को ओबीसी समुदाय में व्यापक समर्थन मिल सकता है। 

अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा
शिंदे सरकार ने ओबीसी के अलावा अनुसूचित जाति के वोटरों को लुभाने के लिए एक और कदम उठाया है। महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए एक मसौदा अध्यादेश पर मुहर लगा दी गई है। इस अध्यादेश को अगले विधानमंडल सत्र में पेश किया जाएगा। इस प्रस्ताव के तहत आयोग के लिए 27 पद स्वीकृत किए गए हैं, जो एससी समुदाय के मुद्दों को प्राथमिकता देंगे। इस कदम का मुख्य उद्देश्य एससी समुदाय के बीच भाजपा की स्वीकार्यता बढ़ाना है, खासकर ऐसे समय में जब राज्य में मराठा आरक्षण का मुद्दा गर्म है। 

केंद्रीय ओबीसी लिस्ट में जातियों का समावेश
महाराष्ट्र सरकार ने साथ ही सात प्रमुख जातियों और उपजातियों को केंद्रीय ओबीसी लिस्ट में शामिल करने के लिए सिफारिश की है। इनमें शामिल हैं: सूर्यवंशी गुजर, लेवे गुजर, लोध, लोधी, लोढ़ा, रेव गुजर, पवार, कपेवार, और अन्य। यदि केंद्र सरकार इस सिफारिश को स्वीकार करती है, तो इससे उन जातियों के वोटरों का समर्थन मिल सकता है, जो पहले से ही ओबीसी लिस्ट में शामिल हैं।

राहुल गांधी की चिंता
इन नए फैसलों से राहुल गांधी और महाविकास अघाड़ी गठबंधन की स्थिति पर संकट आ सकता है। हरियाणा के चुनाव परिणामों ने कांग्रेस को चिंतित कर दिया है, और अब महाराष्ट्र में होने वाले चुनावों में भी उनकी स्थिति कमजोर होती नजर आ रही है। राहुल गांधी ने बार-बार जाति जनगणना की बात की है, लेकिन शिंदे सरकार के इस ओबीसी और एससी के प्रति लुभावने कदम ने उनकी रणनीति को कमजोर किया है। कांग्रेस पार्टी इस समय ओबीसी और एससी वोटरों को आकर्षित करने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन शिंदे सरकार के इस कदम ने उनकी योजनाओं पर पानी फेर दिया है।

फैसले महाराष्ट्र के चुनावी परिदृश्य को बदल सकते हैं
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि शिंदे सरकार के ये फैसले महाराष्ट्र के चुनावी परिदृश्य को बदल सकते हैं। भाजपा, एनसीपी और शिवसेना का यह गठबंधन मिलकर एक ठोस चुनावी रणनीति तैयार कर रहा है, जो कांग्रेस के लिए चुनौती बन सकती है। अगर केंद्र सरकार ओबीसी की क्रीमी लेयर की सीमा को बढ़ाती है, तो यह चुनाव में भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक जीत साबित हो सकती है। वर्तमान में, एकनाथ शिंदे की सरकार मराठा आरक्षण आंदोलन के मुद्दे से जूझ रही है, और यह सरकार के लिए एक बड़ा दबाव बना हुआ है। लेकिन ओबीसी और एससी वोटरों को लुभाने के इन नए उपायों के माध्यम से, भाजपा ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है।यह देखना दिलचस्प होगा कि महाराष्ट्र चुनाव में परिणाम किस दिशा में जाते हैं। क्या राहुल गांधी अपनी पार्टी की स्थिति को सुधारने में सफल हो पाते हैं, या फिर शिंदे सरकार की ये नई रणनीतियाँ चुनाव में बड़ा अंतर डालेंगी? राजनीतिक पंडितों की नजरें इन चुनावों पर टिकी हैं, और सभी पार्टियाँ अपने-अपने तरीके से चुनावी माहौल को अपने अनुकूल बनाने में जुटी हैं।

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