राहुल गांधी ने दलित परिवार के साथ किचन में बिताया अनूठा समय, बनाया चने का साग और बैगन

Edited By Mahima,Updated: 07 Oct, 2024 02:45 PM

rahul gandhi spent a unique time in the kitchen with a dalit family

राहुल गांधी ने हाल ही में कोल्हापुर के उंचगांव गांव में एक दलित परिवार के घर जाकर खाना बनाने का अनुभव साझा किया। उन्होंने चने के साग और तुवर दाल बनाते समय जाति और भेदभाव पर चर्चा की। इस दौरे का वीडियो साझा करते हुए उन्होंने दलित खानपान की जागरूकता...

नेशनल डेस्क: हाल ही में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र का दौरा किया, जिसमें कोल्हापुर में एक दलित परिवार के साथ बिताया गया समय विशेष रूप से चर्चा का विषय बना। इस दौरे के दौरान, राहुल गांधी ने न केवल उनके घर जाकर भोजन का आनंद लिया, बल्कि खुद रसोई में जाकर सब्जियां भी बनाई। यह घटना स्थानीय लोगों के लिए एक अनोखी और प्रेरणादायक रही, और राहुल गांधी ने इसका वीडियो अपने एक्स अकाउंट पर साझा किया।

हेलीकॉप्टर से रखा उंचगांव गांव में कदम
राहुल गांधी ने जब हेलीकॉप्टर से उंचगांव गांव में कदम रखा, तो वहां की आबादी लगभग 50,000 है। इस गांव में पहुंचने के बाद, राहुल गांधी ने राज्य कांग्रेस के बड़े नेताओं और सुरक्षाकर्मियों के साथ एक पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के बिना अजय कुमार तुकाराम सनदे के घर जाने का फैसला किया। यह एक अप्रत्याशित कदम था, जिसने सनदे परिवार को हैरान कर दिया। 

चाय से शुरुआत और खाना बनाने की इच्छा
राहुल गांधी ने सनदे परिवार के साथ पहले चाय पी और उसके बाद अचानक भूख की बात की। जब परिवार ने उनसे पूछा कि उन्हें क्या खाना पसंद है, तो राहुल ने आश्चर्यचकित करते हुए कहा कि वे खुद खाना बनाना चाहेंगे। यह सुनकर परिवार थोड़े घबराए, लेकिन फिर भी उन्होंने राहुल को रसोई में ले जाने का निर्णय लिया।

रसोई में हाथ बंटाना
रसोई में जाकर, राहुल गांधी ने अजय तुकाराम और उनकी पत्नी अंजना के साथ मिलकर चने के साग की सब्जी, जिसे स्थानीय भाषा में 'हरभऱ्याची भाजी' कहा जाता है, और बैंगन के साथ तुवर दाल बनाने का काम किया। इस अनुभव ने न केवल राहुल के लिए, बल्कि सनदे परिवार के लिए भी एक खास पल बना दिया। उन्होंने रसोई में काम करते हुए मजे किए और पूरे परिवार के साथ एकजुटता का अनुभव किया।

मिलकर बनाया बैंगन के साथ तुवर दाल बनाई
इस अनुभव को साझा करते हुए, राहुल गांधी ने लिखा, "दलित किचन के बारे में आज भी बहुत कम लोग जानते हैं। जैसा कि शाहू पटोले जी ने कहा, ‘दलित क्या खाते हैं, कोई नहीं जानता।’ मैंने अजय तुकाराम सनदे जी और अंजना तुकाराम सनदे जी के साथ एक दोपहर बिताई, जहां उन्होंने मुझे अपने घर बुलाकर रसोई में हाथ बंटाने का मौका दिया।" उन्होंने आगे लिखा, "हमने मिलकर चने के साग और बैंगन के साथ तुवर दाल बनाई। पटोले जी और सनदे परिवार के जाति और भेदभाव के निजी अनुभवों पर बात करते हुए, हमने दलित खानपान के प्रति जागरूकता की कमी और इस संस्कृति के दस्तावेजीकरण के महत्व पर चर्चा की।"

जाति और भेदभाव के अनुभव
राहुल गांधी ने इस दौरान अजय तुकाराम से जाति और भेदभाव के विषय में गहरी चर्चा की। अजय ने उन्हें बताया कि दलित होने के कारण उन्हें कई सामाजिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा है। इस बातचीत में, उन्होंने शाहू पटोले की किताब 'दलित किचन ऑफ मराठवाड़ा' भी राहुल को सौंपी, जिसमें दलित संस्कृति और खानपान पर विस्तृत जानकारी दी गई है।


संविधान और समानता की आवश्यकता
राहुल गांधी ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि भारत के संविधान में बहुजनों को हिस्सेदारी और अधिकार दिए गए हैं, और हमें मिलकर उस संविधान की रक्षा करनी होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि समाज में सभी की सच्ची समावेशिता और समानता तभी संभव होगी जब हर भारतीय भाईचारे की भावना के साथ आगे आए।

समाज में जागरूकता का प्रयास
राहुल का यह कदम न केवल राजनीतिक महत्व रखता है, बल्कि यह समाज में जाति और भेदभाव के मुद्दों पर एक महत्वपूर्ण चर्चा को भी जन्म देता है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि हमें एक ऐसा समाज बनाना होगा जहां सभी वर्गों के लोग एक साथ मिलकर आगे बढ़ सकें।

 

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