Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 21 Feb, 2025 05:32 PM
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15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ ने एक दिल दहला देने वाली घटना को जन्म दिया, जिसमें 18 लोगों की जान चली गई। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर तेजी से वायरल हो गया। इन वीडियोज में भीड़ की भयावह स्थिति और...
नेशनल डेस्क: 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ ने एक दिल दहला देने वाली घटना को जन्म दिया, जिसमें 18 लोगों की जान चली गई। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर तेजी से वायरल हो गया। इन वीडियोज में भीड़ की भयावह स्थिति और घटनास्थल के दृश्य दिखाए गए थे, जिनमें मृतकों के शव भी शामिल थे। इस मामले को लेकर रेलवे मंत्रालय ने X को नोटिस भेजा और उन वीडियोज को हटाने का निर्देश दिया। मंत्रालय ने इस पर कार्रवाई करने के लिए X को 36 घंटे का समय दिया और कहा कि ऐसे वीडियोज सार्वजनिक रूप से नैतिक मानदंडों और प्लेटफॉर्म की कॉन्टेंट पॉलिसी के खिलाफ हैं। मंत्रालय ने यह भी कहा कि ऐसे कंटेंट से कानून और व्यवस्था बनाए रखने में समस्या उत्पन्न हो सकती है, और यह भारतीय रेलवे के संचालन पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
क्यों हटाए गए ये वीडियोज?
रेलवे मंत्रालय का तर्क था कि इस प्रकार के वीडियोज सार्वजनिक रूप से प्रसारित होने से न केवल संवेदनशील और परेशान करने वाली जानकारी फैलती है, बल्कि यह कानून व्यवस्था को भी प्रभावित कर सकता है। ऐसे वीडियोज को देख कर लोग डर और तनाव का अनुभव कर सकते हैं, जिससे यात्रियों की भीड़-भाड़ और अधिक बढ़ सकती है, और इससे रेलवे के संचालन में दिक्कतें उत्पन्न हो सकती हैं।
साथ ही, मंत्रालय ने यह भी चिंता जताई कि इन वीडियोज में शवों को दिखाया गया था, जो किसी भी प्लेटफॉर्म पर संवेदनशील और अशोभनीय सामग्री मानी जाती है।
सरकारी नियम और अधिकार
रेलवे मंत्रालय को अब नया अधिकार मिला है, जिसके तहत वह सीधे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को नोटिस जारी कर सकता है। 24 दिसंबर 2023 से सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79(3)(B) के तहत रेलवे मंत्रालय को यह अधिकार दिया गया है। इससे पहले, ऐसे नोटिस आईटी मंत्रालय के माध्यम से ब्लॉकिंग समिति के द्वारा भेजे जाते थे। अब मंत्रालय स्वयं इन कंटेंट्स को हटवाने के लिए नोटिस जारी कर सकता है।
X की कॉन्टेंट पॉलिसी क्या कहती है?
X की कॉन्टेंट पॉलिसी के अनुसार, किसी भी ग्राफिक मीडिया (फोटो या वीडियो) को प्लेटफॉर्म पर तभी शेयर किया जा सकता है जब उसे सही तरीके से लेबल किया जाए। इसका मतलब है कि सामग्री की संवेदनशीलता या हिंसा से जुड़ी जानकारी प्रदान करना जरूरी है।
इस पॉलिसी के अनुसार, प्लेटफॉर्म पर हिंसा को महिमामंडित करने वाले कंटेंट की अनुमति नहीं होती। यदि वीडियो में मृतकों के शव या किसी की गरिमा से समझौता होता है, तो वह भी X के नियमों के खिलाफ है। इसी वजह से, मंत्रालय ने X को चेतावनी दी कि यह सामग्री प्लेटफॉर्म पर नहीं होनी चाहिए।
कानूनी अधिकार और कार्रवाइयाँ
रेलवे मंत्रालय ने जो नोटिस भेजा, उसमें यह उल्लेख किया गया कि यदि X ने समय पर कार्रवाई नहीं की, तो उसे देश में कानूनी सुरक्षा का खतरा हो सकता है। धारा 79(3)(B) के तहत, अगर सरकार के निर्देश के बावजूद आपत्तिजनक कंटेंट हटाया नहीं जाता, तो उसे Safe Harbour Protection खोना पड़ सकता है, जो प्लेटफॉर्म को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।
पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
यह पहली बार नहीं है जब सोशल मीडिया पर इस प्रकार की कंटेंट को लेकर कार्रवाई की गई हो। इससे पहले जनवरी में मंत्रालय ने YouTube और Instagram को भी ऐसे कंटेंट हटाने के लिए नोटिस भेजे थे, जो भ्रामक, संवेदनशील और उकसाने वाले थे। इस पर मेटा (Facebook और Instagram की पैरेंट कंपनी) ने कार्रवाई की पुष्टि की थी।