Edited By Rahul Rana,Updated: 08 Nov, 2024 11:59 AM
कभी आपने सुना है कि किसी की निजी जिंदगी में चल रही परेशानी का खामियाजा उसको नौकरी में भी भुगतना पड़ा सकता हो। जी हां कुछ ऐसा हुआ है छत्तीसगढ़ के रायपुर में। जहां स्टेशन मास्टर की एक छोटी सी गलती की वजह से न सिर्फ उसकी नौकरी चली गई बल्कि रेलवे को 3...
नेशनल डेस्क। कभी आपने सुना है कि किसी की निजी जिंदगी में चल रही परेशानी का खामियाजा उसको नौकरी में भी भुगतना पड़ा सकता हो। जी हां कुछ ऐसा हुआ है छत्तीसगढ़ के रायपुर में। जहां स्टेशन मास्टर की एक छोटी सी गलती की वजह से न सिर्फ उसकी नौकरी चली गई बल्कि रेलवे को 3 करोड़ रुपए का खर्च फालतू ही भुगतना पड़ा। एक ट्रेन उस ट्रैक पर चली गई, जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था। इस गलती के लिए स्टेशन मास्टर को सस्पेंड भी कर दिया गया। पत्नी से तलाक हो गया और उसकी निजी जिंदगी भी तहस-नहस हो गई।
सिर्फ एक 'OK' ने तहस नहस की रेलवेकर्मी की जिंदगी
जानकारी के लिए बता दें कि एक स्टेशन मास्टर का उसकी पत्नी से साथ झगड़ा चल रहा था। उसकी पत्नी का किसी और से अफेयर था। जिसकी वजह से आए दिन उनका झगड़ा होता था। एक रात जब स्टेशन मास्टर ड्यूटी पर था, इस दौरान पत्नी से फोन पर उसका झगड़ा हो गया। काम में बिजी होने की वजह से उसने वह फोनकॉल ये कहकर खत्म कर दी कि "हम घर पर बात करेंगे, ओके?
रेलवे को भुगतना पड़ा 3 करोड़ का नुकसान
स्टेशन मास्टर ये बात कहां जानता था कि उसका काम के लिए इस्तेमाल होने वाला माइक्रोफोन चालू है। दूसरी तरफ उनके सहयोगी ने केवल 'ओके' सुना और मालगाड़ी को माओवाद प्रभावित क्षेत्र में प्रतिबंधित रास्ते पर रवाना करने के लिए हरी झंडी समझ लिया। भगवान का शुक्र है कि कोई दुर्घटना नहीं घटी, फिर भी यह रात के समय उस इलाके में जाने पर लगे प्रतिबंधों का उल्लंघन था। जिसकी वजह से रेलवे को 3 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।
नौकरी से धोया हाथ फिर हुआ तलाक
इस घटना के बाद रेलवे ने स्टेशन मास्टर को सस्पेंड कर दिया। नौकरी जाते ही उसकी शादीशुदा जिंदगी भी बदतर हो गई। उसने परेशान होकर विशाखापत्तनम फैमली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल कर दी। वहीं उसकी पत्नी ने उसके 70 साल के पिता, उसके सरकारी कर्मचारी बड़े भाई, भाभी और मामा के खिलाफ आईपीसी की धारा 498 ए (क्रूरता और उत्पीड़न) के तहत शिकायत दर्ज करवा दी। पत्नी ने अपनी जान को खतरा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और मामले को दुर्ग ट्रांसफर करवा लेने में कामयाब हो गई।
बता दें कि स्टेशन मास्टर विशाखापत्तनम का रहने वाला है और उसकी पत्नी दुर्ग की रहने वाली है। अदालती सबूतों के मुताबिक उनकी शादी 12 अक्टूबर, 2011 को हुई थी लेकिन महिला का किसी अन्य पुरुष के साथ अफेयर था। जिसकी वजह से पति के साथ उसकी नहीं बनती थी और घर में इस वजह से कलह रहता था।
पत्नी की हरकतों को क्रूरता मानते हुए तलाक मंजूर
रेलवेकर्मी के वकील विपिन कुमार तिवारी ने बताया कि दुर्ग फैमली कोर्ट से उसकी तलाक की याचिका खारिज हो गई तो उसने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अपील दायर की। हालही में दिए फैसले में जस्टिस रजनी दुबे और संजय कुमार जयसवाल की बेंच ने उसकी पत्नी की हरकतों को क्रूरता मानते हुए फैमली कोर्ट के फैसले को पलट दिया और उसे तलाक दे दिया।
वहीं हाईकोर्ट को पता चला कि उसकी पत्नी ने अपने पति पर उसकी भाभी के साथ संबंध होने का झूठा आरोप लगाया था। उसकी दहेज और क्रूरता की शिकायत भी झूठी थी। पत्नी दहेज के बारे में खास जानकारी कोर्ट को नहीं दे सकी। वहीं ससुराल वालों के खिलाफ क्रूरता का आरोप भी साबित नहीं हो सका, क्योंकि वो उसके साथ नहीं रहते थे। हाईकोर्ट की बेंच ने ये कहते हुए रेलवेकर्मी का तलाक मंजूर कर लिया कि पत्नी की उसके साथ बहस की वजह से ही ओके वाली घटना हुई। झूठी रिपोर्ट दर्ज करना और बिना मतलब आरोप लगाना उसके प्रति मानसिक क्रूरता है।