एडवांस टेक्नोलॉजी से कैंसर के क्रांतिकारी उपचार में RGCIRC निभा रहा अग्रणी भूमिका

Edited By Nitika,Updated: 19 Jun, 2024 02:58 PM

rajiv gandhi cancer institute created history

राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र (आरजीसीआईआरसी) ने कैंसर के क्षेत्र में भारत की पहली टेलीसर्जरी कर इतिहास रच दिया है। मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में मील का पत्थर बनी अपनी तरह की इस पहली प्रक्रिया सटीकता के साथ-साथ सुरक्षा सुनिश्चित...

 

नई दिल्लीः राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र (आरजीसीआईआरसी) ने कैंसर के क्षेत्र में भारत की पहली टेलीसर्जरी कर इतिहास रच दिया है। मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में मील का पत्थर बनी अपनी तरह की इस पहली प्रक्रिया सटीकता के साथ-साथ सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए भौगौलिक बाध्यताओं का भी समाधान प्रदान करती है।

आरजीसीआईआरसी के मेडिकल डायरेक्टर एवं जेनिटल यूरिनरी ऑन्कोलॉजी के चीफ डॉ. सुधीर रावल की अगुवाई में डॉ. अमिताभ सिंह और डॉ आशीष की विशेषज्ञ टीम ने सफलतापूर्वक दोतरफा लिम्फ नोड हटाकर क्रांतिकारी सिस्टो-प्रोस्टेटक्टोमी ऑपरेशन किया। जहां ओपन सर्जरी में तीन घंटे लगते हैं, वहीं यह सर्जरी बिना किसी त्रुटि के एक घंटा 45 मिनट में ही हो गई, जो दर्शाता है कि टेलीसर्जरी कितनी प्रभावी, विश्वसनीय और सुरक्षित है। इस सर्जरी को गुरुग्राम स्थित एसएसआई के कार्यालय से भारतीय रोबोट 'एसएसआई मंत्रा' के माध्यम से किया गया। एसएसआई के सीईओ डॉ. सुधीर श्रीवास्तव और उनकी टीम ने ऑपरेटिव फील्ड के विजन और ऑपरेटिंग साइट पर इंस्ट्रूमेंट की चाल के टेक्निकल हिस्से (ठीक ऑपरेशन थिएटर की तरह) को संभाला, जबकि जबकि 54 वर्षीय मरीज आरजीसीआईआरसी के दिल्ली में रोहिणी स्थित सेंटर में भर्ती था, जिसे यूरिनरी ब्लाडर का कैंसर था।

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"मरीज के आरजीसीआईआरसी में होते हुए गुरुग्राम में एसएसआई के ऑफिस में बैठकर सर्जरी करना टेलीसर्जरी की अपार संभावनाओं को दर्शाता है," डॉ. रावल ने कहा। "परिणाम एक दम त्रुटिहीन थे, जो इस एडवांस टेक्नोलॉजी के सटीक और सुरक्षित होने पर मुहर लगाता है। यह उपलब्धि नवीन कैंसर देखभाल के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है।"

टेलीसर्जरी का यह नवीन तरीका खासकर कैंसर के उपचार में जटिल सर्जिकल प्रक्रियाओं को काफी बेहतर बना देता है, जो बेहतर परिणाम और मरीज की तेज रिकवरी सुनिश्चित करता है। इससे उच्च-गुणवत्ता की सर्जिकल देखभाल सुदूर क्षेत्रों के मरीजों को उपलब्ध होगी, जिससे थकान भरी यात्रा और उससे जुड़े हुए खर्चों से राहत मिलेगी। मरीज की दशा इस समय स्थिर है, और एक सप्ताह के भीतर डिस्चार्ज किया जा सकता है।

"कैंसर केयर को बेहतर बनाने के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी को इस्तेमाल करने में आरजीसीआईआरसी हमेशा से आगे रहा है," आरजीसीआईआरसी के सीईओ डी एस नेगी ने कहा। "इस ऐतिहासिक सर्जरी के साथ-साथ देश में कई पहली उपलब्धियां अपने मरीजों को सबसे बेहतर परिणाम उपलब्ध कराने की हमारी अनवरत प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। हमें डॉ. रावल एवं उनकी अद्वितीय टीम के समर्पणभाव और विशेषज्ञता पर गर्व है। इस उपलब्धि के साथ हमें पूरा विश्वास है कि इससे कैंसर के खिलाफ हमारे प्रयासों को और बल मिलेगा।"

"टेलीसर्जरी क्षमता के साथ होने से विशेषज्ञ सर्जिकल उपचार के लिए भौगौलिक बाध्यताएं अब कोई रोड़ा नहीं रह गई हैं," डॉ. रावल ने आगे कहा, जिन्होंने 5000 से ज्यादा रोबोटिक सर्जरी की हैं, जोकि भारत में किसी भी कैंसर सर्जन द्वारा सर्वाधिक हैं। "सुदूर स्थानों पर रहने वाले मरीज अब बिना किसी लंबी एवं थकान भरी यात्रा के सर्वश्रेष्ठ देखभाल का लाभ ले सकेंगे, जिससे देशभर में हेल्थकेयर की डिलीवरी सुनिश्चित होगी।"

वर्ष 2018 से आरजीसीआईआरसी निरंतर नवाचार और सर्जिकल परिणामों को बेहतर बनाने के लिए डॉ. श्रीवास्तव और उनकी टीम (एसएसआई) के साथ मिलकर भारतीय रोबोट बनाने में अग्रणी भूमिका निभाता रहा है। इस टेलीसर्जरी की सफलता न केवल आरजीसीआईआरसी के लिए ऐतिहासिक क्षण है, बल्कि रोबोट की सहायता से होने वाली सर्जरी के क्षेत्र में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि भी है। इससे लेजर टेक्नोलॉजी और इंटीग्रेटेड एनर्जी डिवाइसों जैसे एडवांस फंक्शन से लैस अपेक्षाकृत छोटे और अधिक फुर्तीले रोबोट सिस्टम के लिए रास्ता खुलेगा। इन नवाचारों से सर्जिकल सटीकता और भी पैनी होगी और न्यूनतम छेदन प्रक्रियाओं के दायरे में वृद्धि होगी। टेली सर्जरी से टेली-प्रॉक्टरिंग का भी रास्ता खुलेगा, जिसमें एक अनुभवी सर्जन टियर 2 और 3 शहरों के सर्जनों को प्रशिक्षण दे सकेंगे, क्योंकि भारतीय रोबोट बहुत किफायती है, और इसके पूरे देश में उपलब्ध होने की पूरी आशा है।

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"भविष्य में हमें रोबोटिक सिस्टम के और भी एडवांस संस्करण दिखाई देंगे," डॉ रावल ने आशा जताई। "ये सिस्टम अपेक्षाकृत छोटे, बहुगुणी और अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से युक्त होंगे, जो सर्जिकल उत्कृष्टता में नये मानक स्थापित करेंगे।"

आरजीसीआईआरसी के बारे में:
वर्ष 1996 में स्थापित हुआ राजीव गांधी कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र (आरजीसीआईआरसी) कैंसर के उपचार के लिए एशिया के प्रमुख अद्वितीय केंद्रों में गिना जाता है, जहां अत्याधुनिक तकनीक का अनूठा फायदा और सुपर स्पेशलिस्टों की विशेषज्ञता उपलब्ध है। लगभग 2 लाख वर्ग फुट में फैले और नीति बाग में एक और सुविधा के साथ रोहिणी में 500+ बिस्तरों की वर्तमान क्षमता के साथ आरजीसीआईआरसी महाद्वीप के सबसे बड़े टर्टियरी कैंसर देखभाल केंद्रों में से एक है। साढ़े तीन लाख (3.5) से ज्यादा मरीजों के सफल इलाज के ट्रैक रिकॉर्ड के साथ संस्थान पूरे शरीर की रोबोटिक सर्जरी, साइबर नाइफ, टोमोथेरेपी, ट्रू बीम (अगली पीढ़ी की इमेज गाइडेड रेडिएशन थेरेपी), इंट्रा-ऑपरेटिव ब्रैकीथेरेपी, पीईटी-एमआरआई फ्यूजन और अन्य जैसी सर्वश्रेष्ठ तकनीकें उपलब्ध कराता है। आरजीसीआईआरसी में थ्री स्टेज एयर फिल्ट्रेशन और गैस स्केवेंजिंग सिस्टम के साथ 14 अत्याधुनिक सुसज्जित मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर और और डे-केयर सर्जरी के लिए 3 माइनर ऑपरेशन थिएटर हैं। संस्थान को लगातार भारत के सर्वश्रेष्ठ ऑन्कोलॉजी अस्पतालों में घोषित किया जाता रहा है और इसे कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। आरजीसीआईआरसी भारत का इकलौता संस्थान है, जिसके पास कैंसर की सर्जरी के लिए तीन रोबोट हैं।
अधिक जानकारी के लिए, कृपया https://www.rgcirc.org/ पर क्लिक करें।

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