एक बार फिर बोले रक्षा मंत्री Rajnath Singh- किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहे नौसेना

Edited By Yaspal,Updated: 19 Sep, 2024 06:22 PM

rajnath singh once again said navy should be ready to deal with any situation

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आर्थिक, व्यापार, परिवहन और समग्र राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए मजबूत नौसैनिक क्षमता की जरूरत पर बल देते हुए नौसेना के शीर्ष कमांडरों से मौजूदा अस्थिर वैश्विक परिद्दश्य में हर तरह की स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को...

नई दिल्लीः रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आर्थिक, व्यापार, परिवहन और समग्र राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए मजबूत नौसैनिक क्षमता की जरूरत पर बल देते हुए नौसेना के शीर्ष कमांडरों से मौजूदा अस्थिर वैश्विक परिद्दश्य में हर तरह की स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है। राजनाथ सिंह ने गुरूवार को यहां नौसेना के शीर्ष कमांडरों के सम्मेलन के दूसरे संस्करण में कमांडरों को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत को और अधिक मजबूत बनाया जाना चाहिए और कमांडरों को समय-समय पर स्थिति की समीक्षा कर आज के अस्थिर वैश्विक परिद्दश्य में हर स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।

राजनाथ सिंह ने आर्थिक, व्यापार, परिवहन और समग्र राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए एक मजबूत नौसैनिक क्षमता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने हिंद महासागर में शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए भारतीय नौसेना की सराहना की और इस क्षेत्र को आर्थिक, भू-राजनीतिक, व्यापार और सुरक्षा पहलुओं की द्दष्टि से संवेदनशील बताया। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत एक समय समुद्र तटों से घिरा हुआ देश था, लेकिन अब इसे भूमि सीमाओं के साथ एक द्वीप देश के रूप में देखा जा सकता है। र

क्षा मंत्री ने देश के समुद्री हितों की रक्षा के लिए क्षेत्र में प्रथम उत्तरदाता के रूप में विश्वसनीयता के लिए भारतीय नौसेना की तत्परता की सराहना की। सिंह ने कहा, ‘‘दुनिया के व्यापार का एक बड़ा हिस्सा इस क्षेत्र से होकर गुजरता है, जो इसे मूल्यवान बनाता है। वहीं, समुद्र में समुद्री डकैती, अपहरण, ड्रोन हमले, मिसाइल हमले और समुद्री केबल कनेक्शन में व्यवधान जैसी घटनाएं इसे बेहद संवेदनशील बनाती हैं। हमारी नौसेना ने इंडो-पैसिफिक के सभी हितधारक देशों के आर्थिक हितों की रक्षा करने और हिंद महासागर क्षेत्र में माल की सुचारू आवाजाही में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके समुद्री डकैती विरोधी अभियानों को न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी सराहना मिल रही है। भारत को अब इस पूरे क्षेत्र में एक पसंदीदा सुरक्षा भागीदार के रूप में देखा जाता है। जब भी जरूरत होगी, हम क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।''

रक्षा मंत्री ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए क्षमता विकास के लिए अत्याधुनिक जहाजों, पनडुब्बियों आदि को शामिल करके भारतीय नौसेना को और अधिक शक्तिशाली बनाने के सरकार के प्रयास को दोहराया। उन्होंने कहा कि अभी भारतीय शिपयाडरं में 64 जहाज और पनडुब्बियां निर्माणाधीन हैं, और 24 अतिरिक्त प्लेटफार्मों के लिए ऑडर्र दिए गए हैं।

राजनाथ सिंह ने कहा कि, पिछले पांच वर्षों में, नौसेना के आधुनिकीकरण बजट का दो-तिहाई से अधिक हिस्सा स्वदेशी खरीद पर खर्च किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप घरेलू रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र का त्वरित विकास हुआ है। नौसेना के स्वदेशीकरण की दिशा में किये जा रहे प्रयासों की सराहना की और कमांडरों को ‘आत्मनिर्भरता' हासिल करने के संकल्प को और मजबूत बनाने के तरीके तलाशने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने विश्वास जताया कि नौसेना को ‘खरीदार' से ‘निर्माता' में बदलने का द्दष्टिकोण 2047 तक इसे पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होगा।  

रक्षा मंत्री ने एकीकरण और संसाधनों के इष्टतम उपयोग के महत्व पर भी बात की। उन्होंने कहा कि हालांकि भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल की अपनी ताकत, जनादेश और काम करने के तरीके हैं, लेकिन देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए और अधिक समन्वय की आवश्यकता है। इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में आयोजित ‘टेक डेमो' में भी भाग लिया।

नौसेना के प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संगठन हथियार और इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियरिंग प्रतिष्ठान सहित विभिन्न एजेंसियों ने स्वदेशी समाधानों का प्रदर्शन किया, जिसमें स्वायत्त प्रणाली, डोमेन जागरूकता, सॉफ्टवेयर परिभाषित रेडियो और अन्य विशिष्ट तकनीकी पहल शामिल हैं। इस अवसर पर प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने और अन्य वरिष्ठ नागरिक तथा सैन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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