Edited By Radhika,Updated: 18 Apr, 2025 12:55 PM
अयोध्या के प्रसिद्ध राम मंदिर में भगवान रामलला का शृंगार अब गर्मी के मौसम के अनुसार बदल चुका है। रेशमी वस्त्र, हल्के चांदी के आभूषण और मौसमी फल-भोग अब उन्हें अर्पित किए जा रहे हैं। यह बदलाव वैदिक परंपरा का पालन करते हुए किया गया है ताकि भगवान को...
नेशनल डेस्क : अयोध्या के प्रसिद्ध राम मंदिर में भगवान रामलला का शृंगार अब गर्मी के मौसम के अनुसार बदल चुका है। रेशमी वस्त्र, हल्के चांदी के आभूषण और मौसमी फल-भोग अब उन्हें अर्पित किए जा रहे हैं। यह बदलाव वैदिक परंपरा का पालन करते हुए किया गया है ताकि भगवान को शीतलता प्रदान की जा सके।
गर्मी के हिसाब से बदलाव-
रामलला को अब गर्मियों के मद्देनजर रेशमी वस्त्र पहनाए जा रहे हैं। यह वस्त्र हल्के और मुलायम हैं। भारी स्वर्ण आभूषणों की जगह अब हल्के चांदी के आभूषण पहनाए जा रहे हैं। इसके अलावा भगवान के मुकुट, कुंडल, कंठहार और अंगवस्त्र भी बदले जा रहे हैं।

वैदिक परंपरा का पालन-
मंदिर के पुजारियों और श्रृंगार समिति के अनुसार, यह परिवर्तन पूरी तरह से वैदिक परंपरा के समान है। इस परंपरा में भगवान की सेवा ऋतु और मौसम के हिसाब से की जाती है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इस बदलाव को सुनिश्चित किया है ताकि भगवान को गर्मी में पूरी शीतलता मिले। इसके लिए विशेष खादी और रेशम के वस्त्रों को चुना गया है, जो शरीर को ठंडक प्रदान करते हैं। फूलों की मालाओं में अब गुलाब, बेला और चंपा जैसे शीतल प्रभाव वाले फूलों का उपयोग किया जा रहा है।
भगवान के भोग में भी बदलाव
गर्मी के मौसम को देखते हुए भगवान के भोग में भी बदलाव किए गए हैं। अब भगवान को ठंडक देने वाले मौसमी फल, खीर, रबड़ी, मिश्री-पानी और गुलकंद अर्पित किए जा रहे हैं।
भक्तों का भावुक अनुभव
भक्तों के लिए रामलला का यह ग्रीष्म शृंगार एक खास आकर्षण बन चुका है। हर सुबह जब रामलला रेशमी पीले वस्त्रों में सजे होते हैं, तो भक्तों को ऐसा लगता है जैसे प्रभु स्वयं धरती पर अवतरित हो गए हों। इस शृंगार के माध्यम से न केवल भगवान की सेवा की जा रही है, बल्कि भक्तों की भावनाओं का भी सम्मान किया जा रहा है। यह पहल भक्ति की परंपरा को मजबूत करती है और यह भी दर्शाती है कि रामलला सिर्फ मंदिर में नहीं, बल्कि हर ऋतु और हर भाव में जीवित हैं।