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26/11 का Mastermind राणा बना 'जेल का नवाब', पेन, कुरान के बाद अब नॉनवेज डिमांड पर मचा बवाल!

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 20 Apr, 2025 04:55 PM

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26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को भारत लाया जा चुका है और अब वह जेल में रहते हुए कुछ खास सुविधाएं मांग रहा है। सूत्रों के मुताबिक राणा न केवल अपने परिवार से बात करना चाहता है बल्कि उसने जेल अधिकारियों से पेन, कागज और कुरान की मांग की...

नेशनल डेस्क। 26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को भारत लाया जा चुका है और अब वह जेल में रहते हुए कुछ खास सुविधाएं मांग रहा है। सूत्रों के मुताबिक राणा न केवल अपने परिवार से बात करना चाहता है बल्कि उसने जेल अधिकारियों से पेन, कागज और कुरान की मांग की थी जो पूरी कर दी गई। अब उसने नॉनवेज खाने की भी मांग कर दी है।

लेकिन सवाल यह है कि क्या जेल में बंद हर कैदी को उसकी हर मांग पूरी की जा सकती है? भारत में कैदियों के अधिकारों को लेकर क्या नियम-कानून हैं? आइए जानते हैं।

➤ जेल में कैदियों के लिए बनाए गए नियम

भारत में प्रिज़न्स एक्ट 1894, मॉडल प्रिज़न्स मैनुअल और दिल्ली प्रिज़न्स एक्ट 2002 जैसे कानूनों के तहत जेल में बंद कैदियों के अधिकार और सुविधाएं तय की गई हैं।

अंडर ट्रायल कैदी यानी जिन पर मुकदमा चल रहा है लेकिन सजा नहीं हुई उन्हें कुछ अतिरिक्त अधिकार मिलते हैं।

कैदी होने का मतलब यह नहीं कि उसके मौलिक अधिकार खत्म हो जाते हैं। संविधान के तहत कुछ अधिकार हर नागरिक को मिलते हैं चाहे वह जेल में हो या बाहर।

➤ जेल में कौन-कौन सी सुविधाएं मिलती हैं?

- पीने का साफ पानी, कपड़े, स्वस्थ भोजन, सोने के लिए बिस्तर, और चिकित्सा सेवाएं

- कानूनी सलाह लेने का अधिकार, परिवार से मिलने और पत्र लिखने की अनुमति

 

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- अंडर ट्रायल कैदियों को मीडिया से बातचीत की भी इजाजत होती है

- हर दिन का खाना करीब 2000 से 2400 कैलोरी का होना जरूरी है

➤ कैदियों की आम मांगें क्या होती हैं?

- किताबें, दवाएं, घर का खाना, मच्छरदानी, अपना बिस्तर और चादर

- हाई-प्रोफाइल कैदी होने पर वह अपनी सुरक्षा के लिए अतिरिक्त व्यवस्था की मांग कर सकता है

- अगर कोर्ट अनुमति दे तो कैदी अपने कपड़े पहन सकता है और बाहर से सामान मंगवा सकता है

- कई कैदी जेल के अंदर काम करके मेहनताना भी कमाते हैं

➤ क्या हर मांग पूरी की जाती है?

- नहीं जेल में कैदी की हर मांग पूरी नहीं की जाती।

- कोई भी चीज बाहर से लाने के लिए कोर्ट की मंजूरी जरूरी होती है

 

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- जेल प्रशासन कोई खास ट्रीटमेंट या भेदभाव नहीं कर सकता

- स्पेशल खाना, जैसे नॉनवेज, सिर्फ मेडिकल या धार्मिक आधार पर ही मंजूर किया जा सकता है

- प्रिजन एक्ट 1894 यह भी साफ करता है कि जेल अधिकारी किसी भी कैदी से व्यवसायिक लेन-देन नहीं कर सकते और न ही उसे कोई विशेष सुविधा दे सकते हैं।

- तहव्वुर राणा जैसे हाई-प्रोफाइल कैदियों की मांगें भले ही चर्चा में रहें लेकिन भारत में जेल नियमों के तहत सभी कैदियों को समान और न्यायपूर्ण तरीके से ट्रीट किया जाता है।

- हर मांग को कानूनी प्रक्रिया और जेल के नियमों के अनुसार ही स्वीकार या अस्वीकार किया जाता है।

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