भारतीय अस्पतालों में कैंसर की देखभाल में Artificial Intelligence का तेजी से बढ़ता हुआ उपयोग

Edited By Mahima,Updated: 08 Jan, 2025 01:56 PM

rapidly growing use of ai in cancer care in indian hospitals

भारत में कैंसर की देखभाल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का तेजी से उपयोग बढ़ रहा है। AI कैंसर का प्रारंभिक निदान, उपचार की सटीकता, और व्यक्तिगत इलाज में मदद करता है। बेंगलुरु की स्ट्रैंड लाइफ साइंसेज और अन्य संस्थानों ने AI के माध्यम से स्तन कैंसर,...

नेशनल डेस्क: भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, विशेषकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के निदान और उपचार में। विशेषज्ञों का मानना है कि AI की मदद से न केवल कैंसर का सटीक निदान और उपचार संभव हो रहा है, बल्कि इसके माध्यम से मरीजों के परिणामों की भविष्यवाणी, उपचार की प्रक्रिया में सुधार और समग्र देखभाल की गुणवत्ता में भी वृद्धि हो रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग न केवल चिकित्सकीय कार्यों को सुव्यवस्थित कर रहा है, बल्कि यह स्वास्थ्य प्रणाली में लागत कम करने और समय की बचत करने में भी सहायक साबित हो रहा है।

भारतीय अस्पतालों में AI का क्रांतिकारी कदम
कैंसर के इलाज में AI का उपयोग भारत में तेजी से बढ़ रहा है, जहां कई प्रमुख अस्पताल और चिकित्सा संस्थान इस तकनीक को अपनाकर इलाज की गुणवत्ता में सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं। AI के माध्यम से कैंसर के निदान, उपचार, और निगरानी के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव आ रहे हैं। इससे न केवल कैंसर का प्रारंभिक पता लगाने में मदद मिल रही है, बल्कि उपचार की योजना भी अधिक सटीक और व्यक्तिगत बन रही है।

स्ट्रैंड लाइफ साइंसेज और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों का योगदान
बेंगलुरु स्थित रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी स्ट्रैंड लाइफ साइंसेज ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से कैंसर की देखभाल को एक नई दिशा दी है। कंपनी ने एजिलेंट, सेलेमिक्स और सोफिया जेनेटिक्स जैसी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ साझेदारी की है। इन साझेदारियों के माध्यम से स्ट्रैंड लाइफ साइंसेज ने कैंसर के इलाज में AI को शामिल करने के लिए कई नए टूल्स और प्लेटफार्म विकसित किए हैं। इन टूल्स का उद्देश्य कैंसर का जल्दी पता लगाना, उपचार की सटीकता को बढ़ाना, और मरीजों के इलाज की लागत को कम करना है। स्ट्रैंड लाइफ साइंसेज के जैव सूचना विज्ञान इंजीनियर स्वराज बसु ने बताया कि AI न केवल कैंसर के निदान को तेज करता है, बल्कि ट्यूमर की विशेषताओं का सटीकता से पता लगाना और उपचारात्मक प्रभावों का मूल्यांकन भी करता है। इस प्रकार, AI का उपयोग कैंसर के उपचार की लागत और समय-सीमा को बहुत कम करने में मदद कर रहा है। 

स्तन कैंसर में AI का योगदान
स्तन कैंसर के निदान में AI का उपयोग विशेष रूप से प्रभावी साबित हो रहा है। स्ट्रैंड लाइफ साइंसेज के अनुसार, AI तकनीक मेलेनोमैमोग्राम (स्तन कैंसर की जांच) में मदद करती है, जो सौम्य और घातक त्वचा के घावों में अंतर कर सकती है। यह तकनीक शुरुआती चरण में ही कैंसर का पता लगाने में मदद करती है और उपचार में दक्षता बढ़ाती है। इसके अलावा, AI सटीकता से उपचार की योजना बनाने में भी मदद करती है और रोगी के भविष्य के परिणामों की भविष्यवाणी करने के लिए संसाधनों का अनुकूलन करती है। इससे न केवल उपचार की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि अस्पतालों के संसाधनों का अधिकतम उपयोग भी सुनिश्चित होता है। स्वराज बसु ने यह भी कहा कि मशीन लर्निंग (एम.एल.) आधारित मॉडल्स 94.2% सटीकता के साथ त्वचा कैंसर का वर्गीकरण कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में संवेदनशीलता और विशिष्टता 90% से अधिक होती है, जिससे उपचार की गुणवत्ता में बेहतरी आती है। 

रेडिएशन ऑन्कोलॉजी में AI का प्रभाव
मुंबई स्थित पी. डी. हिंदुजा अस्पताल में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी की सलाहकार रितिका हरजानी हिंदुजा ने कहा कि रेडिएशन ऑन्कोलॉजी में AI का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण हो रहा है। AI सामान्य संरचनाओं की रूपरेखा बनाने, जांच की योजना तैयार करने, और रेडिएशन डोज़ की सही मात्रा निर्धारित करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह कैंसर के इलाज के बाद होने वाली जटिलताओं का आकलन भी कर सकता है। रितिका हिंदुजा ने यह भी कहा कि AI प्रारंभिक स्तन कैंसर में आगे के उपचार की आवश्यकता को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 

अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप का AI का दृष्टिकोण
अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के ऑन्कोलॉजी प्रमुख दिनेश माधवन ने इस बात पर जोर दिया किAI कैंसर के निदान, उपचार, और निरंतर देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि AI की समग्र सफलता दर अभी तक पूरी तरह से निर्धारित नहीं हो पाई है। इसके परिणाम अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों के अनुभव, तकनीकी संसाधनों, और मरीजों की स्थिति पर निर्भर करते हैं। दिनेश माधवन ने कहा कि AI के माध्यम से कैंसर के इलाज में सफलता की दर मरीजों के परिणामों पर आधारित होती है, और इस तकनीक की सफलता का मूल्यांकन इससे जुड़ी विभिन्न चिकित्सा प्रक्रियाओं की प्रभावशीलता पर निर्भर करेगा।

क्या है AI का भविष्य
भारत में कैंसर के इलाज में AI का उपयोग एक बड़ा कदम है, जो भविष्य में स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है। यदि इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो यह न केवल कैंसर के निदान और उपचार को और अधिक सटीक और प्रभावी बना सकता है, बल्कि इससे उपचार की लागत में कमी और समय की बचत भी संभव हो सकती है। इसके अलावा, AI का उपयोग अन्य बीमारियों के इलाज में भी किया जा सकता है, जिससे समग्र स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में सुधार हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि AI की भूमिका आने वाले वर्षों में और भी महत्वपूर्ण हो सकती है, खासकर जब यह अधिक उन्नत तकनीकों और मॉडल्स के साथ और अधिक सटीकता से काम करेगा। इसके साथ ही, AI के विकास से अस्पतालों और चिकित्सकों को रोगियों के इलाज के लिए बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलेगी। 

भारत में कैंसर की देखभाल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग न केवल बीमारी के निदान और उपचार में सुधार कर रहा  है, बल्कि यह समग्र स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को भी अधिक कुशल बना रहा है। अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों का उद्देश्य AI का उपयोग करके उपचार की सटीकता और गुणवत्ता को बढ़ाना है, साथ ही साथ संसाधनों का अधिकतम उपयोग भी सुनिश्चित करना है। हालांकि, AI की समग्र सफलता दर पर अभी भी सवाल उठाए जा रहे हैं, लेकिन यदि इसका सही तरीके से और सावधानी से उपयोग किया गया, तो यह कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 

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