Edited By Anu Malhotra,Updated: 28 Oct, 2024 08:18 AM
हाल ही में प्रकाशित रतन टाटा की जीवनी 'रतन टाटा: ए लाइफ' में खुलासा हुआ है कि टाटा समूह के दिवंगत प्रमुख रतन टाटा अपने सौतेले भाई नोएल टाटा को उत्तराधिकारी बनाने के पक्ष में नहीं थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि नोएल को इस भूमिका के लिए और अधिक अनुभव...
नई दिल्ली: हाल ही में प्रकाशित रतन टाटा की जीवनी 'रतन टाटा: ए लाइफ' में खुलासा हुआ है कि टाटा समूह के दिवंगत प्रमुख रतन टाटा अपने सौतेले भाई नोएल टाटा को उत्तराधिकारी बनाने के पक्ष में नहीं थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि नोएल को इस भूमिका के लिए और अधिक अनुभव की जरूरत है। यह पुस्तक, जो सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी थॉमस मैथ्यू ने लिखी है, रतन टाटा की निजी सोच और उत्तराधिकार के निर्णयों पर प्रकाश डालती है।
जीवनी के अनुसार, 2011 में रतन टाटा के उत्तराधिकारी की खोज के दौरान कई उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया गया था, जिनमें नोएल टाटा भी शामिल थे। हालांकि, रतन टाटा ने खुद को इस चयन प्रक्रिया से दूर रखा। पुस्तक में बताया गया है कि रतन टाटा केवल व्यक्ति की प्रतिभा और मूल्य को महत्व देते थे, न कि पारिवारिक संबंधों को।
रतन टाटा का मानना था कि उत्तराधिकार का फैसला केवल परिवार पर निर्भर नहीं होना चाहिए। यहां तक कि उनका कोई पुत्र भी होता, तो भी वह सुनिश्चित करते कि उसे इस पद के लिए अपने दम पर योग्य बनना पड़े।
रतन टाटा के इस फैसले ने बाद में उन्हें पश्चाताप में डाल दिया, लेकिन टाटा ट्रस्ट के लिए उनके सिद्धांत स्पष्ट थे। रतन टाटा के निधन के बाद नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन नियुक्त किया गया, जो अप्रत्यक्ष रूप से 165 अरब अमेरिकी डॉलर के टाटा समूह को नियंत्रित करता है।
बता दें कि आईआईएफएल वेल्थ हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2022 के मुताबिक, टाटा ग्रुप के चेयरमैन टाटा की कुल संपत्ति 3,800 करोड़ रुपये आंकी गई थी और वे इस लिस्ट में 421 वें पायदेन पर हैं. दरअसल, रतन टाटा ने अपनी संपत्ति का भारी हिस्सा टाटा ट्रस्ट को दे दिया था, टाटा संस में उनकी हिस्सेदारी दो तिहाई थी