Edited By Anu Malhotra,Updated: 10 Oct, 2024 09:12 AM
रतन टाटा अपने कर्मचारियों के प्रति अपनी असाधारण संवेदनशीलता और देखभाल के लिए जाने जाते थे, और यह उनकी मानवता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। भारतीय समाज में यह धारणा बनी हुई थी कि "टाटा की नौकरी" सरकारी नौकरी से भी बेहतर होती थी, और इसका श्रेय रतन टाटा के...
नेशनल डेस्क: भारतीय उद्योगपति रतन टाटा का हाल ही में निधन हो गया, जो 86 वर्ष की आयु में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हुआ। उनके निधन से न केवल टाटा समूह, बल्कि पूरे देश में एक गहरा शोक छा गया है। रतन टाटा के निधन पर महाराष्ट्र में एक दिन का शोक घोषित किया गया है। महाराष्ट्र सरकार ने एक दिन का शोक रखने की घोषणा करते हुए सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं।
वहीं बता दें कि रतन टाटा अपने कर्मचारियों के प्रति अपनी असाधारण संवेदनशीलता और देखभाल के लिए जाने जाते थे, और यह उनकी मानवता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। भारतीय समाज में यह धारणा बनी हुई थी कि "टाटा की नौकरी" सरकारी नौकरी से भी बेहतर होती थी, और इसका श्रेय रतन टाटा के नेतृत्व और उनके कर्मचारियों के कल्याण के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को जाता है।
रतन टाटा न केवल अपने कर्मचारियों को अच्छी तनख्वाह देते थे, बल्कि उनके स्वास्थ्य और परिवार की भलाई का भी विशेष ध्यान रखते थे। 2021 में, जब उन्हें पता चला कि उनका एक पूर्व कर्मचारी दो साल से गंभीर रूप से बीमार है, तो बिना किसी प्रचार या ध्यान आकर्षित करने के इरादे से, रतन टाटा स्वयं मुंबई से पुणे जाकर उस कर्मचारी से मिलने पहुंचे।
रतन टाटा ने यह सुनिश्चित किया कि उनके कर्मचारियों को उनके काम का उचित मुआवजा मिले, साथ ही उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं, बीमा, रिटायरमेंट प्लान्स, और परिवार के लिए अन्य सामाजिक लाभ भी उपलब्ध कराए जाएं। उन्होंने कर्मचारियों के लिए वेलफेयर योजनाएं लागू कीं, जिससे उनकी कंपनियों में कार्यरत कर्मचारियों को एक स्थिर और सुरक्षित जीवन मिल सके।
इतना ही नहीं, रतन टाटा का मानना था कि एक कर्मचारी तभी पूरी तरह से अपने काम में जुट सकता है जब वह अपने और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतामुक्त हो। यही कारण है कि टाटा समूह में काम करना न सिर्फ सैलरी के मामले में बल्कि एक सम्मानजनक और सुरक्षित कार्यस्थल के तौर पर भी सराहा जाता था।
उनकी यही विशेषता थी कि वह अपनी उदारता और सहायता को कभी सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित नहीं करते थे। इसके बावजूद, उनके इन कामों की सराहना करने वाले लोग उन्हें असली नायक मानते हैं। उनकी कंपनी भी कभी इन बातों का प्रचार नहीं करती थी, जिससे उनकी विनम्रता और भी स्पष्ट हो जाती है। यह उदाहरण दिखाता है कि रतन टाटा सिर्फ एक महान उद्योगपति ही नहीं, बल्कि एक महान इंसान भी थे, जो अपने कर्मचारियों को अपने परिवार की तरह मानते थे।