Edited By Anu Malhotra,Updated: 05 Feb, 2025 07:50 AM
शांतनु नायडू को टाटा मोटर्स का जनरल मैनेजर और हेड - स्ट्रैटेजिक इनिशिएटिव्स नियुक्त किया गया है। उन्होंने इस नई जिम्मेदारी को लेकर लिंक्डइन पर एक भावुक पोस्ट साझा किया, जिसमें उन्होंने अपने बचपन की यादें भी साझा कीं।
नेशनल डेस्क: शांतनु नायडू को टाटा मोटर्स का जनरल मैनेजर और हेड - स्ट्रैटेजिक इनिशिएटिव्स नियुक्त किया गया है। उन्होंने इस नई जिम्मेदारी को लेकर लिंक्डइन पर एक भावुक पोस्ट साझा किया, जिसमें उन्होंने अपने बचपन की यादें भी साझा कीं।
उन्होंने लिखा, "मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मैं टाटा मोटर्स में जनरल मैनेजर और हेड - स्ट्रैटेजिक इनिशिएटिव्स के रूप में एक नई भूमिका शुरू कर रहा हूं! मुझे याद है जब मेरे पिता टाटा मोटर्स प्लांट से सफेद शर्ट और नेवी पैंट में घर लौटते थे, और मैं खिड़की में खड़ा उनका इंतजार करता था। आज यह सब पूरा होता हुआ महसूस हो रहा है।"
शांतनु नायडू का सफर
शांतनु नायडू ने 2014 में सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की और 2016 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से एमबीए पूरा किया। 2018 में, उन्होंने दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के सहायक के रूप में काम करना शुरू किया। जल्द ही, दोनों के बीच करीबी दोस्ती विकसित हुई, जिसने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। शांतनु नायडू का एक वीडियो, जिसमें वे रतन टाटा के लिए जन्मदिन का गाना गा रहे थे, काफी वायरल हुआ था।
रतन टाटा के साथ गहरा रिश्ता
शांतनु नायडू एक डिज़ाइन इंजीनियर हैं, जिन्होंने 2014 में एक इनोवेशन विकसित किया था, जो सड़क पर घूमने वाले कुत्तों को तेज़ रफ्तार वाहनों से बचाने के लिए बनाया गया था। यह विचार रतन टाटा तक पहुंचा, जो स्वयं पशु प्रेमी थे। उन्होंने इस प्रोजेक्ट में निवेश किया और बाद में शांतनु के मेंटॉर, बॉस और करीबी दोस्त बन गए। शांतनु नायडू ने अपनी किताब 'I Came Upon a Lighthouse' में रतन टाटा के साथ अपनी अनूठी दोस्ती के बारे में लिखा है। यह किताब सिर्फ टाटा के बिजनेस उपलब्धियों पर नहीं, बल्कि उनके व्यक्तित्व, जीवनशैली और उनकी मानवीयता पर केंद्रित है। जब शांतनु ने इस दोस्ती पर किताब लिखने की इच्छा जताई, तो रतन टाटा सहमत हो गए और कहा कि कोई एक किताब उनके जीवन को पूरी तरह से समेट नहीं सकती।
गुडफेलोज और रतन टाटा की अंतिम भेंट
2021 में, शांतनु नायडू ने गुडफेलोज (Goodfellows) नामक स्टार्टअप की स्थापना की, जो भारत में अकेले रहने वाले बुजुर्गों को सहायता और साथी प्रदान करता है। रतन टाटा ने इस कंपनी में अपनी हिस्सेदारी छोड़ दी और एक अंतिम उपहार के रूप में, अपने वसीयतनामे में शांतनु नायडू की शिक्षा ऋण माफ कर दिया।
रतन टाटा को खोने का दर्द
9 अक्टूबर 2024 को, 86 वर्ष की आयु में रतन टाटा का निधन हो गया। अपने मार्गदर्शक और प्रिय मित्र के निधन के बाद, शांतनु नायडू ने लिंक्डइन पर एक भावुक पोस्ट साझा की: "इस दोस्ती के जाने से जो खालीपन रह गया है, उसे भरने में मैं अपना पूरा जीवन लगा दूंगा। दुख ही प्यार की कीमत है। अलविदा, मेरे प्रिय लाइटहाउस।"