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RBI ने NPCI को ‘ग्राहक से दुकानदार’ के बीच यूपीआई लेनदेन सीमा बढ़ाने की दी अनुमति

Edited By Rahul Rana,Updated: 09 Apr, 2025 01:06 PM

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए ‘ग्राहक से दुकानदार’ (पी2एम) के बीच यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के माध्यम से होने वाले लेनदेन की सीमा को बढ़ाने की अनुमति दी है। यह कदम...

नेशनल डेस्क: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए ‘ग्राहक से दुकानदार’ (पी2एम) के बीच यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के माध्यम से होने वाले लेनदेन की सीमा को बढ़ाने की अनुमति दी है। यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, ताकि व्यापारियों और ग्राहकों के बीच भुगतान प्रक्रियाओं को अधिक लचीला और समृद्ध बनाया जा सके। हालांकि, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के बीच यूपीआई के माध्यम से लेनदेन की सीमा पहले की तरह एक लाख रुपये ही रहेगी। आरबीआई द्वारा एनपीसीआई को ‘ग्राहक से दुकानदार’ के बीच यूपीआई लेनदेन की सीमा बढ़ाने की अनुमति देना डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। यह निर्णय न केवल व्यवसायियों के लिए बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी उपयोगी होगा, क्योंकि इससे उच्च मूल्य के लेनदेन को डिजिटल रूप से आसान बनाया जा सकेगा। साथ ही, यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के डिजिटल क्षेत्र को बढ़ावा देने में मदद करेगा और बैंकों को आंतरिक नीतियां बनाने का विवेकाधिकार भी देगा।

बदलती जरूरतों के अनुरूप सीमा में संशोधन

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए यह घोषणा की कि एनपीसीआई को ‘ग्राहक से दुकानदार’ के लेनदेन के लिए यूपीआई सीमा में संशोधन की अनुमति दी गई है। इस नई व्यवस्था से, पूंजी बाजार, बीमा, कर भुगतान, शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, और आईपीओ जैसे क्षेत्रों में प्रति लेनदेन की सीमा को दो लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये तक किया जाएगा। साथ ही, आरबीआई ने यह स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत उपयोगकर्ता से एक दूसरे उपयोगकर्ता तक के यूपीआई लेनदेन की सीमा वर्तमान में एक लाख रुपये पर बनी रहेगी। इस निर्णय से दुकानदारों और व्यापारियों को अपनी डिजिटल भुगतान प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी, जबकि साथ ही उपभोक्ताओं को उच्च मूल्य वाले लेनदेन को डिजिटल तरीके से आसानी से करने का अवसर मिलेगा।

नई सीमा का उद्देश्य और आवश्यकता

केंद्रीय बैंक के बयान के अनुसार, इस संशोधन का उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था की बढ़ती डिजिटल जरूरतों को पूरा करना है। एनपीसीआई, बैंकों और अन्य संबंधित पक्षों के परामर्श से यह कदम उठाया गया है, ताकि उपयोगकर्ताओं की बदलती आवश्यकताओं के आधार पर भुगतान सीमा में सुधार और संशोधन किए जा सकें। यह निर्णय डिजिटल लेनदेन के क्षेत्र में लचीलापन और गति को बढ़ाने के लिए लिया गया है, जिससे ग्राहक और व्यापारी दोनों के लिए सुविधाएं बढ़ेंगी।

बैंकों को दी गई विवेकाधिकार की छूट

आरबीआई ने यह भी कहा कि बैंकों को एनपीसीआई द्वारा निर्धारित की गई सीमाओं के भीतर अपनी आंतरिक सीमाएं तय करने का अधिकार रहेगा। इसका मतलब है कि बैंकों को अपनी नीतियों के अनुरूप कुछ लेनदेन पर सीमा निर्धारित करने की स्वतंत्रता होगी, बशर्ते वह एनपीसीआई द्वारा निर्धारित सीमाओं का पालन करें। 

सुरक्षा उपायों पर जोर

आरबीआई ने इस निर्णय के साथ यह भी स्पष्ट किया कि बढ़ी हुई सीमा के कारण उत्पन्न होने वाले जोखिमों को कम करने के लिए उचित सुरक्षा उपाय किए जाएंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि डिजिटल भुगतान प्रणाली सुरक्षित, पारदर्शी और धोखाधड़ी से मुक्त रहे। इस कदम से डिजिटल भुगतान में विश्वास और सुरक्षा की भावना बढ़ेगी, जिससे ग्राहक और व्यापारी दोनों के लिए एक सुरक्षित और सुविधाजनक लेनदेन वातावरण तैयार होगा।

नए उपयोग मामलों के आधार पर सीमा में बदलाव

आरबीआई ने यह भी कहा कि भविष्य में अर्थव्यवस्था के बदलते परिप्रेक्ष्य और नए उपयोग के मामलों को ध्यान में रखते हुए, एनपीसीआई, बैंकों और यूपीआई के अन्य संबंधित पक्षों के साथ मिलकर भुगतान सीमाओं में और संशोधन कर सकता है। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि डिजिटल भुगतान प्रणाली समय-समय पर उपयोगकर्ताओं की जरूरतों के अनुरूप विकसित होती रहे।

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