Edited By Rahul Rana,Updated: 19 Apr, 2025 05:06 PM
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को बाली में 24वें एफआईएमएमडीए-पीडीएआई वार्षिक सम्मेलन में कहा कि केंद्रीय बैंक तेजी से बदल रही वैश्विक परिस्थितियों पर लगातार नजर रखेगा और अपनी नीतिगत कार्रवाई में 'सक्रिय और तत्पर'...
नेशनल डेस्क: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को बाली में 24वें एफआईएमएमडीए-पीडीएआई वार्षिक सम्मेलन में कहा कि केंद्रीय बैंक तेजी से बदल रही वैश्विक परिस्थितियों पर लगातार नजर रखेगा और अपनी नीतिगत कार्रवाई में 'सक्रिय और तत्पर' बना रहेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों ने उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया है, लेकिन वैश्विक अनिश्चितताओं से अछूते नहीं हैं।
वैश्विक परिस्थितियों पर आरबीआई की कड़ी नजर
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेजी से हो रहे बदलावों को देखते हुए आरबीआई लगातार आर्थिक परिदृश्य की निगरानी और आकलन कर रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्रीय बैंक हमेशा की तरह नीतिगत मोर्चे पर सक्रिय और तत्पर रहेगा। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब वैश्विक आर्थिक हालात अनिश्चित बने हुए हैं और विभिन्न देशों के बीच व्यापार युद्ध की आशंकाएं बढ़ रही हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों का लचीलापन
मल्होत्रा ने भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों के लचीलेपन की सराहना की। उन्होंने कहा कि वृद्धि-मुद्रास्फीति संतुलन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और मुद्रास्फीति भी सहनशील दायरे के भीतर है। उन्होंने यह भी बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.5 प्रतिशत वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जो भारत को अभी भी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनाता है।
वैश्विक अनिश्चितताओं से मुद्रास्फीति पर खतरा
गवर्नर ने आगाह किया कि वैश्विक अनिश्चितताएं और मौसम की गड़बड़ी मुद्रास्फीति के लिहाज से जोखिम पैदा कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है, लेकिन यह अस्थिर वैश्विक वातावरण की अनिश्चितताओं से अछूती नहीं है।
वित्तीय बाजारों में स्थिरता
भारतीय वित्तीय बाजारों के बारे में बात करते हुए, मल्होत्रा ने कहा कि विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार, सरकारी प्रतिभूतियां और मुद्रा बाजार सहित सभी बाजार खंड काफी हद तक स्थिर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुछ महीने पहले रुपये पर थोड़ा दबाव आया था, लेकिन बाद में इसने बेहतर प्रदर्शन किया और कुछ हद तक खोई हुई जमीन वापस पा ली।
आरबीआई की नीतिगत कार्रवाई
गवर्नर ने कहा कि आरबीआई ने दो बार रेपो दरों में कटौती की है और पर्याप्त नकदी उपलब्ध कराई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्रीय बैंक आर्थिक विकास को समर्थन देने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अपनी नीतिगत कार्रवाई में सक्रिय रहेगा।