पेपर बैलेट प्रणाली को पुनः लागू करने की मांग संबंधित दायर जनहित याचिका खारिज

Edited By Archna Sethi,Updated: 26 Nov, 2024 07:04 PM

re implementation of paper ballot rejected

पेपर बैलेट प्रणाली को पुनः लागू करने की मांग संबंधित दायर जनहित याचिका खारिज

 
चंडीगढ़, 26 नवंबर: (अर्चना
सेठी) पंजाब के मुख्य चुनाव अधिकारी के एक प्रवक्ता  ने बताया कि  भारत के सुप्रीम कोर्ट ने आज (26 नवंबर) डॉ. के.ए. पाल द्वारा भारत में बैलट पेपर के माध्यम से चुनाव कराए जाने की मांग को खारिज कर दिया है। दायर की गई अन्य याचिकाओं में चुनावों के दौरान पैसे, शराब और अन्य उपहार बांटने वाले उम्मीदवारों को कम से कम 5 साल के लिए अयोग्य ठहराने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग भी की गई थी।

पिटीशनर के रूप में पेश हुए डॉ. पाल ने शुरुआत में जस्टिस विक्रम नाथ और पी.बी. वरले की बेंच के सामने अपनी रिपोर्ट पेश की। डॉ. पाल ने इस याचिका के बारे में बात करते हुए कहा कि उन्हें हाल ही में लॉस एंजिलिस में आयोजित ग्लोबल पीस सम्मेलन से लौटकर समर्थन मिला है। उन्होंने कहा, "मैं शनिवार को सम्मेलन की सफलता के बाद वापस आया हूं और मुझे लगभग 180 सेवानिवृत्त आई  ए एस, आई पी एस  अधिकारियों और न्यायाधीशों से समर्थन मिला है। मैं ग्लोबल पीस का प्रमुख हूं और मैंने 3,10,000 अनाथों और 40 लाख विधवाओं की मदद की है। दिल्ली में हमारे पास 5,000 विधवाएं हैं।"

जस्टिस नाथ ने पूछा कि वे राजनीतिक क्षेत्र में क्यों शामिल होना चाहते हैं। इस पर डॉ. पाल ने जवाब दिया, "यह राजनीति से संबंधित नहीं है। मैंने 155 देशों का दौरा किया है और पूरी दुनिया में चुनाव बैलट पेपर से होते हैं। दुनियाभर में 180 देश हैं, और तानाशाह देशों को छोड़कर बाकी सभी देशों में बैलट पेपर से चुनाव होते हैं।" उन्होंने कहा, "मैं पुतिन के साथ रूस गया हूं और असद के साथ सीरिया और चार्ल्स टेलर के साथ लाइबेरिया भी गया हूं। वह अब जेल में हैं, और उनकी पत्नी ने भी शनिवार को सम्मेलन में भाग लिया। इसलिए हम लोकतंत्र की रक्षा कर रहे हैं।"

डॉ. पाल ने आगे तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने कहा, "आज संविधान दिवस है।" इस पर जस्टिस नाथ ने टिप्पणी की कि इस मामले की सुनवाई के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण दिन है। डॉ. पाल ने अपनी दलीलें जारी रखते हुए कहा कि अनुच्छेद 32 उन्हें अदालत में जाने और तथ्यों को पेश करने की अनुमति देता है। उन्होंने कहा, "तथ्य पूरी तरह से स्पष्ट हैं। सभी को इसके बारे में पता है, लेकिन इसका कोई समाधान क्यों नहीं है?" उन्होंने यह भी कहा, "मैं 43 सालों से मानवता के लिए काम कर रहा हूं और दुनिया के प्रमुख नेताओं और राष्ट्रपतियों का राजनीतिक सलाहकार रहा हूं। यहां तक कि पिछले 6 मुख्यमंत्री और राष्ट्रपतियों जिन में मौजूदा प्रधान मंत्री भी शामिल हैं,ने मेरे सम्मेलन में भाग लिया।" उन्होंने कहा कि 8 अगस्त को नई दिल्ली के ले मेरिडियन में 18 राजनीतिक पार्टियों ने इस याचिका का समर्थन किया था।

उन्होंने यह भी कहा कि याचिका में यह मांग की गई है कि हमें 197 देशों में से 180 देशों के समान काम करना चाहिए। जस्टिस नाथ ने मौखिक रूप से पूछा, "क्या आप नहीं चाहते कि भारत बाकी दुनिया से अलग हो?" इस पर डॉ. पाल ने जवाब दिया, "भारत में भ्रष्टाचार है।" जस्टिस नाथ ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा, "यहां कोई भ्रष्टाचार नहीं है। कौन कहता है कि यहां भ्रष्टाचार है?" डॉ. पाल ने कहा कि उनके पास भ्रष्टाचार के सबूत हैं। उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग ने इस साल जून में घोषणा की थी कि उन्होंने 9,000 करोड़ रुपये और एक अरब डॉलर से अधिक की नकदी और सोना जब्त किया है। इसका क्या परिणाम निकला? मैंने पहले ही पिछले तीन चुनाव आयुक्तों से इस मामले में सबूत लिए हैं।" उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों से इस मामले में सवाल पूछा जाना चाहिए।

इस पर जस्टिस नाथ ने टिप्पणी की, "राजनीतिक पार्टियों को इस प्रणाली से कोई समस्या नहीं है, आपको समस्या है।" डॉ. पाल ने आगे दावा किया कि चुनावों के दौरान पैसे बांटे जाते हैं। उन्होंने कहा कि एक व्यापारी, जिसका नाम वे नहीं बताना चाहते थे, ने कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी सहित सभी 6 प्रमुख पार्टियों को 1,200 करोड़ रुपये दिए हैं। इस पर जस्टिस नाथ ने कहा, "हमें चुनावों के दौरान कभी पैसे नहीं मिले। हमें कुछ नहीं मिला..." डॉ. पाल ने आगे कहा, "हालिया चुनावों के दौरान, मैंने माफिया का सामना किया। मैं पुलिस के पास गया था, लेकिन पुलिस ने मुझे छोड़ दिया क्योंकि पुलिस और अन्य लोग मेरा सम्मान करते हैं।" उन्होंने कहा, "आप शायद सुने होंगे कि स्वामी सहित कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें  विधायकों ने अविश्वास योग्य भ्रष्टाचार कारण ई.वी.एम. मशीनों को तोड़ दिया था , जो पूरी तरह से कल्पना से बाहर था। हमारे सम्मेलन में एलोन मस्क जैसे विशेषज्ञ भी शामिल हुए थे, जिन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि ई.वी.एम. के साथ छेड़छाड़ हो सकती है।"

2018 में, पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने ट्वीट किया था कि ई.वी.एम. के साथ छेड़छाड़ हो सकती है और अब जगन मोहन रेडी ने ट्वीट किया है कि ई.वी.एम. के साथ छेड़छाड़ की गई है। उन्होंने कहा कि उन्होंने इस ट्वीट को याचिका में उल्लेखित किया है। जस्टिस नाथ ने जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इसका मतलब है कि जब आप चुनाव जीतते हैं, तो कहते हैं कि ई.वी.एम. के साथ छेड़छाड़ नहीं हुई है, लेकिन जब आप चुनाव हार जाते हैं, तो कहते हैं कि ई.वी.एम. के साथ छेड़छाड़ की गई है। इसी तरह, जब चंद्रबाबू नायडू हार गए, तो उन्होंने कहा था कि ई.वी.एम. के साथ छेड़छाड़ हो सकती है। अब, इस बार जब जगन मोहन रेडी हार गए हैं, तो उन्होंने कहा कि ई.वी.एम. के साथ छेड़छाड़ की गई है।

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