आईटी रेड: "रैफर गेेम" से डाक्टर कमा रहे थे करोडों ,100 करोड़ जब्त

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Dec, 2017 12:07 AM

referred gere was earning rs 100 crore from doctors 100 million seized

आयकर विभाग ने मेडिकल सेंटरों और डॉक्टरों की मिलीभगत का पर्दाफाश किया है। विभाग ने कई आईवीएफ क्लीनिक्स और डायग्नोस्टिक सेंटरों पर छापा मारा।  इस मामले में सौ करोड़ रुपए की अघोषित संपत्ति का पता चला है। आयकर विभाग ने दावा किया कि मेडिकल जांच के नाम पर...

नेशनल डेस्क: आयकर विभाग ने मेडिकल सेंटरों और डॉक्टरों की मिलीभगत का पर्दाफाश किया है। विभाग ने कई आईवीएफ क्लीनिक्स और डायग्नोस्टिक सेंटरों पर छापा मारा।  इस मामले में सौ करोड़ रुपए की अघोषित संपत्ति का पता चला है। आयकर विभाग ने दावा किया कि मेडिकल जांच के नाम पर मरीजों को रैफर करने के लिए डॉक्टरों को पैसे दिए जा रहे थे।

बताया जा रहा है कि डॉक्टरों को मेडिकल टेस्ट्स के लिए लैब रैफर करने पर पैसे मिलते थे। आयकर विभाग ने लगभग 1.4 करोड़ रुपए कैस और 3.5 किलो जेवर जब्त किए हैं। इसके लिए तीन दिन तक दो आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) सेंटरों और पांच डायग्नोस्टिक सेंटरों की जांच की गई थी।

विभाग के अधिकारियों ने विदेश मुद्रा भी बरामद की है। जांच में कई करोड़ रुपए विदेशी बैंकों में जमा होने की बात भी सामने आई है। अधिकारियों को ऐसे कई तरीकों के बारे में भी पता चला है जिनसे डॉक्टरों को केस रैफर करने के पैसे मिलते थे।

विभाग की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि डॉक्टरों को अलग-अलग लैब से अलग-अलग राशि मिलती थी। एमआरआई कराने पर लगभग 35 प्रतिशत कमीशन और सीटी स्कैन के लिए 20 प्रतिशत कमीशन डॉक्टरों को दिया जाता था। इसी तरह दूसरे टेस्ट्स के लिए भी उन्हें कमीशन दी जाती थी। इन सभी का ब्यौरा मार्केटिंग के खर्च के नाम पर दिया जाता था। यहां तक कि चेक से भुगतान होने पर उसे 'प्रफेशनल फी' का नाम दे दिया जाता था।

विभाग ने कहा कि आयकर अधिकारियों ने दो इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) सेंटरों एवं पांच डायग्नॉस्टिक सेंटरों के खिलाफ अपनी तीन दिन की कार्रवाई के दौरान 1.4 करोड़ रुपए नगद और 3.5 किलोग्राम आभूषण एवं सोना-चांदी बरामद किए उन्होंने विदेशी मुद्रा और विदेशी बैंक खातों का पता लगाया जिनमें करोड़ों रुपए जमा थे।

विभाग ने एक बयान में कहा कि जिन लैबों की तलाशी ली गई, उन्होंने 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की ऐसी धनराशि घोषित की है, जिन्हें कहीं दिखाया नहीं गया है, जबकि एक ही लैब के मामले में रेफरल फीस यानी मरीजों को लैब जांच के लिए भेजने की एवज में डॉक्टरों को दी जाने वाली रकम 200 करोड़ रुपए से ज्यादा है।

इन लैब्स और सेंटर्स ने डॉक्टरों तक रकम पहुंचाने के लिए एजेंट्स भी रखे हुए थे। ये एजेंट्स एक लिफाफे में पैसे पहुंचाते थे। इसके अलावा एजेंट इन लिफाफों में एक छोटा सा चिट डालते हैं ,जिनके अंदर मरीजों की जानकारी, टेस्ट्स के नाम, बिल जैसी जानकारियां दी जाती थीं। 

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