Edited By Harman Kaur,Updated: 13 Aug, 2024 01:07 PM
हंसराज की 24 साल पुरानी इच्छा आखिरकार पूरी हो गई है। पाकिस्तान से आकर जालंधर में बसने के बाद उनकी जिंदगी में पहचान पाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा। कई बार उन्हें अपनी दर्द भरी कहानी पुलिस के सामने बतानी पड़ी। उनकी शादी जालंधर में बबली नाम की महिला...
नेशनल डेस्क: हंसराज की 24 साल पुरानी इच्छा आखिरकार पूरी हो गई है। पाकिस्तान से आकर जालंधर में बसने के बाद उनकी जिंदगी में पहचान पाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा। कई बार उन्हें अपनी दर्द भरी कहानी पुलिस के सामने बतानी पड़ी। उनकी शादी जालंधर में बबली नाम की महिला से हुई थी, और उनके दो बच्चे, साहिल और कोमल, का जन्म भी यहीं हुआ था। जबकि उनकी पत्नी और बच्चे भारतीय नागरिक थे, हंसराज एक शरणार्थी थे। इस दर्द का सिलसिला सोमवार को खत्म हुआ, जब चंडीगढ़ में उन्हें और जालंधर में रह रहे अन्य 9 लोगों को भारतीय नागरिकता मिली। ये सभी लोग पाकिस्तान से आकर भारत में बस गए थे।
सोमवार को हंसराज को जैसे राज मिल गया। अब वे भी अपने परिवार और समाज में पूरी तरह से शामिल हो गए हैं। चंडीगढ़ के गृह मंत्रालय के जनगणना भवन में शपथ लेने के बाद उन्हें भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र मिला। जालंधर के अलावा अमृतसर के दो और लोगों को भी भारतीय नागरिकता मिली है। सभी को नागरिकता की शपथ दिलाई गई है। अब ये लोग सरकारी रोजगार योजनाओं, शिक्षा, होम लोन, और स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ले सकेंगे। जालंधर में कई अन्य लोग भी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने की तैयारी में हैं। यह सिलसिला 1998 से शुरू हुआ था और 2005 तक चलता रहा।
27 दिसंबर 1999 को जालंधर आया था हंसराज का परिवार
पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यक होने के कारण हंसराज और उनके परिवार को दबाव और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। हंसराज के पिता, चमन लाल, ने तय किया कि वे जालंधर चले जाएंगे और पाकिस्तान कभी वापस नहीं लौटेंगे। 27 दिसंबर 1999 को हंसराज का परिवार जालंधर आ गया। हंसराज के पिता का 2008 में निधन हो गया था, और तब से उनकी मां सरगोदेवी नागरिकता का इंतजार कर रही थीं। अब जब उन्हें नागरिकता मिल गई है, तो वे बहुत खुश हैं। हंसराज के साथ उनकी बहन वीरो देवी, भाई कृष्ण लाल और भाभी प्रवीला देवी को भी नागरिकता मिली है।
हंसराज का कहना है कि 24 साल नागरिकता का इंतजार करना आसान नहीं था, लेकिन अब उन्हें अपनी पहचान मिल गई है। उन्होंने बताया कि नागरिकता का मतलब है कि उन्हें अपने देश की मिट्टी मिल गई है। उनकी शादी जालंधर में हुई थी और उनके बच्चे भारतीय नागरिक हैं। हंसराज सर्जिकल उपकरण बनाने का काम करते हैं, और अब वे भारतीय नागरिकों को मिलने वाली सभी सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे।