Edited By Parminder Kaur,Updated: 20 Feb, 2025 04:51 PM
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1976 में दो साल की उम्र में हरियाणा के जींद जिले के नंवगढ़ गांव से दिल्ली आईं रेखा गुप्ता अब दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता संभालने जा रही हैं। 2015 और 2020 के चुनावों में हार के बावजूद भाजपा ने 2025 में उन पर भरोसा जताया और...
नेशनल डेस्क. 1976 में दो साल की उम्र में हरियाणा के जींद जिले के नंवगढ़ गांव से दिल्ली आईं रेखा गुप्ता अब दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता संभालने जा रही हैं। 2015 और 2020 के चुनावों में हार के बावजूद भाजपा ने 2025 में उन पर भरोसा जताया और उन्हें टिकट दिया। पहली बार विधायक बनने के बाद उनकी किस्मत ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा दिया है।
राजनीति की शुरुआत
रेखा गुप्ता की राजनीतिक यात्रा 1992 में दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज से शुरू हुई थी, जब उन्होंने एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) से जुड़कर छात्र राजनीति में कदम रखा। 1995-96 में वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की सचिव बनीं और 1996-97 में अध्यक्ष के पद तक पहुंचीं। छात्र हितों के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लेने में उनका योगदान रहा।
स्थानीय राजनीति में योगदान
2007 में रेखा गुप्ता ने उत्तर पीतमपुरा से पार्षद चुनाव जीता। इस दौरान उन्होंने अपने क्षेत्र में लाइब्रेरी, पार्क और स्विमिंग पूल जैसी सुविधाओं को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा उन्होंने 'सुमेधा योजना' की शुरुआत की, जिसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहायता मिली।
महिला सशक्तीकरण की समर्थक
महिला कल्याण और बाल विकास समिति की अध्यक्ष के रूप में रेखा ने महिला सशक्तीकरण के लिए कई योजनाएं और पहल कीं। उन्होंने दिल्ली में भाजपा महिला मोर्चा की महासचिव के रूप में भी कार्य किया और महिलाओं तथा हाशिए पर पड़े समुदायों के कल्याण के लिए कई अभियान चलाए।
रेखा गुप्ता की राजनीति में योगदान और महिलाओं के लिए उनके प्रयासों ने उन्हें दिल्ली की राजनीति में एक अहम स्थान दिलाया है। अब मुख्यमंत्री के रूप में वह राज्य की समृद्धि और विकास की दिशा में काम करेंगी।