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बच्चे पैदा करने का तरीका बदलने वाला है, अब लैब में तैयार होंगे भ्रूण

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 11 Feb, 2025 04:42 PM

researchers grow sperm and eggs from stem cells to produce life in a lab

आजकल के जीवनशैली और खराब खानपान की वजह से बांझपन एक आम समस्या बन चुकी है, जिससे निपटने के लिए कपल्स को IVF और अन्य तकनीकों का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन अब एक नई तकनीक सामने आई है, जो इस प्रक्रिया को और भी सरल बना सकती है। इस नई तकनीक का नाम है...

नेशनल डेस्क: आजकल के जीवनशैली और खराब खानपान की वजह से बांझपन एक आम समस्या बन चुकी है, जिससे निपटने के लिए कपल्स को IVF और अन्य तकनीकों का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन अब एक नई तकनीक सामने आई है, जो इस प्रक्रिया को और भी सरल बना सकती है। इस नई तकनीक का नाम है "इन-विट्रो गैमेटोजेनेसिस" (IVG), जिसके जरिए अब बच्चों का निर्माण स्टेम सेल्स से होगा।

IVG तकनीक क्या है?

इन-विट्रो गैमेटोजेनेसिस (IVG) एक ऐसी क्रांतिकारी तकनीक है, जिससे बच्चे को पैदा करने की प्रक्रिया पूरी तरह बदलने वाली है। IVF और अन्य पारंपरिक विधियों में काफी लंबा समय लगता है और कई दर्दनाक प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, जैसे अंडे और शुक्राणु का निकालना, फिर उनकी फ्यूजन और गर्भ में ट्रांसप्लांट करना। इसके विपरीत IVG में इन सारी परेशानियों से छुटकारा मिलेगा। इस प्रक्रिया में डॉक्टर स्टेम सेल्स का उपयोग करते हुए अंडे और शुक्राणु तैयार करेंगे, जिसे बाद में भ्रूण में बदलकर महिला के गर्भ में ट्रांसप्लांट किया जाएगा।

स्टेम सेल्स से बनेगा बच्चा

IVG तकनीक में डॉक्टर आपकी त्वचा, बालों के स्ट्रैंड या रक्त से स्टेम सेल्स का उपयोग करेंगे। इन स्टेम सेल्स को अंडे और शुक्राणु में बदलकर भ्रूण तैयार किया जाएगा। भ्रूण तैयार होते ही इसे महिला के गर्भ में ट्रांसप्लांट किया जाएगा और फिर सामान्य गर्भावस्था की प्रक्रिया के अनुसार बच्चा 9 महीने में जन्म लेगा। इस प्रक्रिया का फायदा यह है कि इसमें अंडे और शुक्राणु के इकट्ठा करने की झंझट नहीं होगी।

सेम जेंडर कपल्स के लिए एक नई उम्मीद

IVG तकनीक का एक और बड़ा लाभ यह है कि यह सेम जेंडर कपल्स के लिए भी माता-पिता बनने का अवसर प्रदान कर सकती है। गे और लेस्बियन कपल्स जो बायोलॉजिकल तरीके से बच्चे पैदा नहीं कर सकते, उनके लिए यह तकनीक किसी वरदान से कम नहीं है। इसके जरिए वे अपने स्टेम सेल्स का उपयोग करके बच्चा पैदा कर सकते हैं।

जेनेटिक बीमारियों की पहचान

इस तकनीक का एक और बड़ा लाभ यह है कि यदि किसी व्यक्ति में जेनेटिक बीमारी है, तो वह आसानी से पहले ही पहचान ली जाएगी। इससे उन लोगों को भी फायदा होगा जिनके शुक्राणु की गुणवत्ता खराब है या अंडे की गुणवत्ता में समस्या है। इस तकनीक से वे भी माता-पिता बन सकते हैं, जो पहले पारंपरिक तरीके से बच्चा नहीं पैदा कर सकते थे।

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