सरकारी नियुक्तियों में आरक्षण जरूरी, इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं : चिराग पासवान

Edited By rajesh kumar,Updated: 19 Aug, 2024 08:32 PM

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केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने ‘लेटरल एंट्री' के जरिए सरकारी पदों पर नियुक्तियों के किसी भी कदम की सोमवार को आलोचना करते हुए कहा कि वह केंद्र के समक्ष यह मुद्दा उठाएंगे।

 

नेशनल डेस्क: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने ‘लेटरल एंट्री' के जरिए सरकारी पदों पर नियुक्तियों के किसी भी कदम की सोमवार को आलोचना करते हुए कहा कि वह केंद्र के समक्ष यह मुद्दा उठाएंगे। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब हाल ही में केंद्र सरकार ने ‘लेटरल एंट्री' के माध्यम से 45 विशेषज्ञों की विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उपसचिव जैसे प्रमुख पदों पर अनुबंध आधार पर नियुक्ति करने की घोषणा की।

आमतौर पर ऐसे पदों पर अखिल भारतीय सेवाओं - भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) - और अन्य ‘ग्रुप ए' सेवाओं के अधिकारी तैनात होते हैं। विपक्ष का आरोप है कि ‘लेटरल एंट्री' के जरिये लोक सेवकों की भर्ती करने का यह कदम ‘‘राष्ट्र विरोधी कदम'' है और इस तरह की कार्रवाई से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण ‘‘खुलेआम छीना जा रहा है।''

चिराग पासवान ने इस मुद्दे को लेकर कहा, ‘‘किसी भी सरकारी नियुक्ति में आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए। इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं है। निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं है और अगर सरकारी पदों पर भी इसे लागू नहीं किया जाता है... यह जानकारी रविवार को मेरे सामने आई और यह मेरे लिए चिंता का विषय है।'' पासवान केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में सहयोगी हैं। पासवान ने कहा कि सरकार के सदस्य के रूप में उनके पास इस मुद्दे को उठाने का मंच है और वह ऐसा करेंगे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जहां तक ​​उनकी पार्टी का सवाल है, वह इस तरह के कदम के बिल्कुल समर्थन में नहीं है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने शनिवार को 45 पदों के लिए विज्ञापन दिया, जिनमें 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक/उप सचिव के पद शामिल हैं। इन पदों को अनुबंध के आधार पर ‘लेटरल एंट्री' के माध्यम से भरा जाना है। 

 

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