Edited By Rahul Rana,Updated: 14 Nov, 2024 04:08 PM
दिल्ली में एक रिटायर्ड इंजीनियर के साथ साइबर अपराधियों ने बेहद चालाकी से ठगी की। ठगों ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर आठ घंटे तक उन्हें मानसिक रूप से कैद रखा और फिर उनके बैंक खाते से 10 करोड़ रुपये से अधिक की रकम निकाल ली।
नेशनल डेस्क। दिल्ली में एक रिटायर्ड इंजीनियर के साथ साइबर अपराधियों ने बेहद चालाकी से ठगी की। ठगों ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर आठ घंटे तक उन्हें मानसिक रूप से कैद रखा और फिर उनके बैंक खाते से 10 करोड़ रुपये से अधिक की रकम निकाल ली। फिलहाल दिल्ली पुलिस की साइबर शाखा इस मामले की जांच कर रही है।
कैसे हुआ ठगी का शिकार?
यह घटना दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र की है, जहां 72 वर्षीय बुजुर्ग प्रेमचंद नरवाल रहते हैं। वे मूल रूप से मुरैना मध्य प्रदेश के निवासी हैं और रिटायरमेंट के बाद ग्वालियर में रहते थे। प्रेमचंद नरवाल 29 सितंबर को साइबर अपराधियों के निशाने पर आ गए। ठगों ने पहले खुद को एक पार्सल कंपनी का अधिकारी बताया और कहा कि ताइवान से उनके नाम एक पार्सल भेजा गया है, जिसमें प्रतिबंधित दवाइयां हैं।
ठगों ने बुजुर्ग को बताया कि मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारी इस मामले की जांच करना चाहते हैं, और इसके बाद उन्होंने बुजुर्ग से कहा कि वे स्काइप डाउनलोड करें और वीडियो कॉल पर उनसे बात करें। स्काइप कॉल पर उन्होंने मुंबई पुलिस के अधिकारी की आवाज में बात की और बुजुर्ग को डराया-धमकाया कि वह और उनका परिवार मुश्किल में फंस सकते हैं।
डिजिटल अरेस्ट का डर
ठगों ने बुजुर्ग से कहा कि उन्हें डिजिटल अरेस्ट का सामना करना पड़ेगा, अगर वे मामले को हल नहीं करते। उन्हें बताया गया कि उनका और उनके परिवार का नाम अपराधियों की लिस्ट में है। इसके बाद ठगों ने बुजुर्ग से उनके बैंक खातों की जानकारी ली और उन्हें अपने कमरे में बंद कर दिया। साइबर अपराधियों ने धमकी दी कि अगर वह उनकी बात नहीं मानते तो उनके बेटे-बेटी को भी फंसा लिया जाएगा। डर के मारे बुजुर्ग ने ठगों के निर्देश पर अपने अलग-अलग बैंक खातों में कुल 10.30 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए।
ठगी का खुलासा
बुजुर्ग को 8 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट के झांसे में रखने के बाद, उन्होंने संदेह किया और लैपटॉप बंद कर दिया। इसके बाद वह कमरे से बाहर निकले और परिवार को पूरी घटना बताई। उन्होंने 1 अक्टूबर को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
वहीं पुलिस ने जांच की तो पता चला कि ठगों ने जिन बैंक खातों में पैसे जमा कराए थे, वे अलग-अलग खातों में विभाजित थे। लगभग 60 लाख रुपये इन खातों में जमा किए गए थे और बाद में इसे छोटे-छोटे हिस्सों में देश भर में निकाला गया था।
ठगों का तरीका
यह पहली बार नहीं है जब 'डिजिटल अरेस्ट' का सहारा लिया गया है। 'डिजिटल अरेस्ट' एक ऐसा शब्द है, जो कानूनी रूप से कोई मान्यता नहीं रखता। ठग किसी को ऑनलाइन बताकर यह कह देते हैं कि उसे किसी सरकारी एजेंसी ने गिरफ्तार कर लिया है और उसे जुर्माना देना होगा। इसके बाद वे व्यक्ति से पैसे निकलवाने के लिए उसे डराते-धमकाते हैं।
सावधानी बरतने की सलाह:
अगर आपको कोई धमकी भरा कॉल आता है, तो उसे तुरंत नकार दें।
किसी संदिग्ध ईमेल या लिंक पर क्लिक न करें।
कॉलर से कहे गए किसी भी ऐप को डाउनलोड न करें।
किसी भी ऐसे मामले की सूचना तुरंत पुलिस को दें।
डिजिटल अरेस्ट का कोई कानूनी आधार नहीं है, इसलिए इस तरह के किसी भी झांसे में आने से बचें और हमेशा सतर्क रहें।
अंत में बता दें कि दिल्ली पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और जल्द ही आरोपियों को पकड़ने की कोशिश करेगी। इस घटना ने यह भी साबित किया कि साइबर अपराधियों के द्वारा किए गए इस प्रकार के ठगी के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है, और आम नागरिकों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।