Edited By Rahul Singh,Updated: 17 Dec, 2024 04:25 PM
केजरीवाल का मॉडल ऑफ पॉलिटिक्स आम लोगों को जरूरी सुविधाएं देना रहा है। पानी से शुरू कर इसे बिजली, बस में सफर, तीर्थ यात्रा, इलाज, दवाएं, सर्जरी, ट्यूशन फी तक ‘फ्री’ का उपयोग अरविन्द केजरीवाल ने किया।
पानी में आग लगाना बोलें या फिर मुफ्त में पानी मुफ्त देकर चमत्कार करना। पानी सियासत का घड़ा भर सकता है, पानी सियासत के मकसद को अंजाम पहुंचाने का माध्यम भी बन सकता है, पानी आम लोगों की प्यास बुझाकर सबकी आंखों का तारा बनाने में मददगार बन सकता है, पानी के माध्यम से सत्ता में बने रहने की राजनीति हो सकती है...दिल्ली उदाहरण है, मॉडल है ऐसे तमाम निष्कर्षों या मंतव्यों का। देश में पहला ऐसा राज्य दिल्ली है जहां अरविन्द केजरीवाल की सरकार ने 2013 में ही मुफ्त पानी आम लोगों को उपलब्ध कराने का एलान कर दिया था।
केजरीवाल का मॉडल ऑफ पॉलिटिक्स आम लोगों को जरूरी सुविधाएं देना रहा है। पानी से शुरू कर इसे बिजली, बस में सफर, तीर्थ यात्रा, इलाज, दवाएं, सर्जरी, ट्यूशन फी तक ‘फ्री’ का उपयोग अरविन्द केजरीवाल ने किया। एजुकेशन लोन तक को इतना अफोर्डेबल बना दिया कि शिक्षा के क्षेत्र में यह उल्लेखनीय बन गया। स्मार्ट स्कूल भी उसी सोच का नतीजा है कि लोगों को फ्री या अफोर्डेबल एजुकेशन मिल सके।
फ्री और कैश का कॉंबिनेशन 15 लाख के जुमले पर भारी
केजरीवाल की सियासत नरेंद्र मोदी की उस सियासत के करीब जरूर है जिसमें सत्ता में आने पर हरके के अकाउंट में 15-15 लाख रुपये देने का वादा किया किया गया था। बाद में इसे असंभव जानकर ‘जुमला’ करार दिया गया। मगर, केजरीवाल की सियासत में जुमलेबाजी की की जगह नहीं रही है। केजरीवाल ने फ्री सुविधाएं देकर आम लोगों के पॉकेट के छेद बंद किए। फिर नकद देने की योजना से भी महिलाओं को जोड़ा। इस तरह फ्री और कैश के कॉंबिनेशन से वो कर दिखाया जो करने से नरेंद्र मोदी चूक गये हैं।
मोदी और केजरीवाल का राष्ट्रीय राजनीति में उदय लगभग एक ही समय में हुआ है। मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी 2014 में केंद्र में आए जबकि अरविन्द केजरीवाल ने 2013 में अन्ना आंदोलन के बाद राजनीति शुरू करते हुए दिल्ली की सत्ता हासिल की। वहां से केजरीवाल अब राष्ट्रीय पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं जिनके पास में दिल्ली और पंजाब की सरकारें हैं। एक ‘जुमला मैन’ हैं तो दूसरे ‘रेवड़ी मैन’।
जुमला मैन ने अगर 15-15 लाख रुपए हर भारतीय के अकाउंट में डालने का वादा भुला दिया तो ‘रेवड़ी मैन’ ने लगातार ‘रेवड़ियां’ बांटने का क्रम कभी तोड़ा ही नहीं। जुमला मैन सुनने में नरेंद्र मोदी को भले ही अच्छा नहीं लगता हो लेकिन अरविन्द केजरीवाल को ‘रेवड़ी मैन’ सुनना बहुत अच्छा लगता है। वे कहते हैं कि उनका वश चले तो आम जनता के लिए वे हमेशा ऐसी रेवड़ियां बांटते रहें। अगर हर क्षेत्र में बांटी गयी रेवड़ी को मॉनेटाइज किया जाए तो रकम ‘जुमले’ से डबल हो जाती है। पंद्रह नहीं 30 लाख से भी ज्यादा।
जल जीवन है तो सम्मान भी
जल ही जीवन है और जरूरत भर पानी मिलना हर परिवार और नागरिक की गरिमा के ख्याल से जरूरी है। आम आदमी पार्टी की सरकार ने पहली बार सत्ता में आते ही पानी की अहमियत, जरूरत और जनता तक सुलभ उपलब्धता को भांप लिया था। 2013 में ही 20 हजार लीटर पानी हर परिवार को मुफ्त में देने का एलान क्रांतिकारी था। उसके बाद कई राज्यों ने इसकी नकल करने की कोशिश की, मगर घोषणा पर अमल उस तरीके से कहीं नहीं हो सका जैसे दिल्ली में होता रहा है।
अरविन्द केजरीवाल ने मुफ्त पानी देकर आम लोगों के केवल पैसे नहीं बचाए हैं। आम जनता की गरिमा और सम्मान को बचाया है। नागरिक कर्त्तव्यों के लिए एक सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा किया है। नर्मदा बचाओ आंदोलन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सन् 2000 में फैसला सुनाया था कि पानी जीवन के अधिकार का हिस्सा है और इस तरह यह मौलिक अधिकार है। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह साफ पानी नागरिकों तक पहुंचाए। कहने की जरूरत नहीं कि सुप्रीम कोर्ट ने जो ऑब्जर्व किया था उसे केजरीवाल सरकार ने पहले ही अमल कर दिखा दिया था।
दिल्ली जैसा नहीं है दूजा
देश के अलग-अलग हिस्सों में फ्री पानी उपलब्ध कराने के लिए सरकारें अपने-अपने स्तर पर सक्रिय हैं। मुफ्त पानी भारतीय सियासत का अभिन्न हिस्सा भी बन चुका है। इसका श्रेय आम आदमी पार्टी को जाता है।
कुछ उदाहरणों पर गौर करते हैं-
-केरल में 15 हजार लीटर मुफ्त पानी दिए जा रहे हैं। मगर केरल वाटर अथॉरिटी अब इस योजना को आगे नहीं बढ़ा पा रहा है। वह मुफ्त पानी की सुविधा को बीपीएल फैमिली तक सीमित करने का आग्रह केरल सरकार से कर रहा है और बजटीय समर्थन की भी मांग कर रहा है। वामपंथी सरकार असमंजस में है।
-बीजेपी ने भी आम आदमी पार्टी से मुफ्त पानी उपलब्ध कराने को लेकर सीख ली। हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की सरकार ने मई 2022 में 10 हजार लीटर फ्री वाटर सप्लाई योजना शुरू की। मगर, ये योजना सबके लिए फ्री नहीं रह सकी। 50 हजार रुपये महीने की इनकम होते ही 100 रुपये देने की शर्त आ जाती है।
-गोवा में भी बीजेपी सरकार 2015 में स्कीम लेकर आयी कि 16,000 लीटर तक मुफ्त पानी दिए जाएंगे। नारा दिया ‘सेव वाटर टु गेट फ्री वाटर’। मगर, दिल्ली की जनता को दी जा रही सुविधा की बराबरी यहां भी नहीं दिखी।
-चंडीगढ़ में म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन ने मार्च 2024 में 20 हजार लीटर मुफ्त पानी देने का एलान किया तो चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने कह दिया कि यह संभव ही नहीं है।
एक रिसर्च के मुताबिक 60 वर्गमीटर के घर में पांच सदस्यों के परिवार की जरूरत साल में 3,64,800 लीटर पानी होता है। एक साल में यह जरूरत 30,400 लीटर होती है। दिल्ली में 20 हजार लीटर पानी मुफ्त मिलता है। आदर्श रूप में इतने से भी जरूरत पूरी नहीं होती। मगर, देश में दिल्ली पहला ऐसा राज्य है जहां हर परिवार को पानी इतनी मात्रा में मुफ्त मिलता है।
दिल्ली में हर इंसान को पानी से 10 साल में सवा लाख की बचत
दिल्ली में उपभोक्ताओं को पानी पर 602 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिलती है। दिल्ली में 67.6 लाख परिवार रहते हैं। मतलब प्रति व्यक्ति 200 रुपये से ज्यादा की सब्सिडी दिल्लीवालों को मिलती है। अगर एक परिवार में औसतन पांच लोग रहते हैं तो हर परिवार को हजार रुपये की सब्सिडी केवल पानी पर मिल रही है। यानी सालाना 12 हजार रुपये की सब्सिडी हर परिवार को मिल रही है जो पांच साल में 60 हजार और 10 साल में 1 लाख 20 हजार हो जाती है।
दिल्ली में 20 हजार लीटर से कम पानी उपभोग करने वाले उपभोक्ता 6.5 लाख हैं जो कुल उपभोक्ता परिवारों का 10 प्रतिशत से थोड़ा ज्यादा है। मगर, ये उपभोक्ता बेहद जरूरतमंद हैं। वे पानी खरीद नहीं सकते। ऐसे में उन्हें फ्री पानी मिले, तो उनका जीवन आसान हो जाता है। यही सहूलियत आम नागरिकों को अपनी सरकार से चाहिए होती है। अरविन्द केजरीवाल की सियासत आम लोगों को सहूलियत उपलब्ध कराने और उन्हें आत्मसात करने की रही है। सत्ता की राजनीति के बजाए आम लोगों की राजनीति से सत्ता तक पहुंचने की सियासत इसे कह सकते हैं।
अरविन्द केजरीवाल ने पानी, बिजली, परिवहन, तीर्थ यात्रा, ट्यूश फीस, एजुकेशन लोन, इलाज के बिल हर क्षेत्र में उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष बचत कराई है। यह बचत कैश उपलब्ध कराने के समान है। बस यहीं पर आम आदमी पार्टी की सियासत के सामने पानी-पानी हो जाता है विरोधी पक्ष। केजरीवाल के विरोधी चुनाव के मैदान में पानी मांगने लग जाते हैं तो इसकी वजह मुफ्त पानी और उसकी सियासत में आप आसानी से ढूंढ़ सकते हैं।
हरि शंकर जोशी, वरिष्ठ पत्रकार
Disclaimer : यह लेखक के अपने निजी विचार हैं।