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आरजी कर मामला: अदालत ने आरोपी संजय रॉय को दोषी करार दिया, कल सुनाई जाएगी सजा

Edited By Pardeep,Updated: 19 Jan, 2025 05:42 AM

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कोलकाता की एक अदालत ने आरजी कर अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात महिला चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपी संजय रॉय को शनिवार को दोषी करार दिया। इस जघन्य अपराध के बाद देश भर में आक्रोश फैल गया था और लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन जारी रहा।

कोलकाताः कोलकाता की एक अदालत ने आरजी कर अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात महिला चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपी संजय रॉय को शनिवार को दोषी करार दिया। इस जघन्य अपराध के बाद देश भर में आक्रोश फैल गया था और लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन जारी रहा। मामले की सुनवाई कर रही सियालदह की अदालत के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास ने कहा कि वह इस मामले में सोमवार को सजा सुनाएंगे। यह फैसला पिछले साल नवंबर में बंद कमरे में शुरू हुई सुनवाई के लगभग दो महीने बाद और नौ अगस्त 2024 को घटित इस जघन्य अपराध के 162 दिन बाद सुनाया गया। 

मामले की शुरुआत में जांच कर रही कोलकाता पुलिस ने 10 अगस्त को रॉय को गिरफ्तार किया था। इससे एक दिन पहले महिला चिकित्सक का शव अस्पताल के सेमिनार रूम में मिला था। उसे भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64 (बलात्कार), 66 (मौत का कारण बनने के लिये सजा) और 103(1) (हत्या) के तहत आरोपित किया गया था। बीएनएस 103(1) के तहत कम से कम आजीवन कारावास और अधिकतम फांसी की सजा के प्रावधान हैं। न्यायाधीश ने कहा कि रॉय को प्रशिक्षु चिकित्सक का यौन उत्पीड़न करने और उसकी गला घोंटकर हत्या करने का दोषी पाया गया है और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उसके खिलाफ सभी आरोप साबित कर दिए हैं। 

दास ने दोषसिद्धि का आदेश सुनाते हुए कहा कि रॉय सुबह करीब चार बजे अस्पताल में दाखिल हुआ और ड्यूटी पर मौजूद प्रशिक्षु चिकित्सक पर उस वक्त हमला किया, जब वह अस्पताल के सेमिनार रूम में सो रही थी। उन्होंने कहा, ‘‘तुमने चिकित्सक पर यौन हमला किया। तुमने उसका गला घोंटा और उसका चेहरा ढक दिया तथा इस हमले के कारण आखिरकार उसकी मौत हो गई।'' 

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘गवाहों के बयानों और इस मामले में पेश किए गए दस्तावेजों के आधार पर तुम्हारा अपराध साबित हो गया है और तुम्हें दोषी ठहराया जा रहा है।'' न्यायाधीश ने कहा कि 160 से अधिक पृष्ठों का फैसला सोमवार को सजा सुनाए जाने के बाद पूरा हो जाएगा और इसमें शिकायतकर्ता, पीड़िता के पिता द्वारा उठाए गए कुछ सवालों का भी स्पष्ट रूप से जवाब दिया जाएगा। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैंने पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ अस्पताल के अधिकारियों की कुछ गतिविधियों की आलोचना की है, जो साक्ष्य में सामने आई हैं।'' 

उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष का मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है। दास ने कहा कि रॉय का बयान सोमवार को दोपहर 12:30 बजे सुना जाएगा और उसके बाद सजा सुनाई जाएगी। दोषसिद्धि का फैसला सुनाये जाने के वक्त रॉय ने अदालत के समक्ष दावा किया कि उसे फंसाया गया है। रॉय ने अपने बचाव में कहा, ‘‘मैं रुद्राक्ष की माला पहनता हूं और अगर मैंने अपराध किया होता, तो वह टूट जाती।'' फैसले के बाद रॉय को कड़ी निगरानी में अदालत कक्ष से प्रेसीडेंसी सुधार गृह ले जाया गया और पुलिस ने वहां प्रतीक्षा कर रहे मीडियाकर्मियों को दोषी से किसी भी तरह की बातचीत करने से रोक दिया। मृत महिला चिकित्सक के माता-पिता ने आरोपी को दोषी करार दिए जाने के लिए न्यायाधीश को धन्यवाद दिया। 

मृत चिकित्सक के पिता ने कहा, ‘‘जो भरोसा हमने आपमें जताया था, आपने उसका पूरा सम्मान किया है।'' दरिंदगी की शिकार चिकित्सक की मां ने फैसले को स्वीकार तो किया, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि न्याय पूरी तरह से नहीं हुआ है। उन्होंने मीडिया से कहा, ‘‘संजय दोषी है, यह मेडिकल साक्ष्यों से साबित हो चुका है। वह सुनवाई के दौरान चुप रहा, जिससे मेरी बेटी को प्रताड़ित करने और उसकी हत्या करने में उसकी भूमिका साबित हुई। लेकिन, वह अकेला नहीं था। जिन अन्य लोगों को अभी गिरफ्तार किया जाना शेष है, उन्हें भी न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिये।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम आखिरी सांस तक न्याय के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।'' 

सीबीआई ने अपने आरोप-पत्र में कोलकाता पुलिस के एक नागरिक स्वयंसेवक रॉय को राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पताल में तैनात स्नातकोत्तर प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या करने का मुख्य संदिग्ध बताया था। रॉय की बड़ी बहन ने अपने भवानीपुर स्थित आवास पर कहा कि उसका परिवार अदालत के निर्णय को चुनौती नहीं देगा। उन्होंने कहा, ‘‘अगर उसने (रॉय ने) कोई अपराध किया है, तो उसे उचित सजा मिलनी चाहिए। आदेश को चुनौती देने की हमारी कोई योजना नहीं है।'' उन्होंने यह भी कहा कि रॉय के परिजन सुनवाई में शामिल नहीं हुए थे। इस घटना के बाद विरोध-प्रदर्शन में सबसे आगे रहे कनिष्ठ चिकित्सकों ने पीड़िता के माता-पिता द्वारा लगाए गए बड़े षड्यंत्र के आरोपों की आगे की जांच का अनुरोध किया है। एक कनिष्ठ चिकित्सक ने कहा, ‘‘बहुत सारे अनुत्तरित प्रश्न हैं। 

आरोप है कि अपराध स्थल के साथ छेड़छाड़ की गई थी और इसमें प्रभावशाली लोग शामिल थे, इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। यह सिर्फ आंशिक न्याय है। लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।'' इस फैसले पर मिली-जुली राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं। भाजपा के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने फैसले का स्वागत किया, लेकिन पीड़िता के परिवार द्वारा लगाए गए षड्यंत्र के आरोपों की आगे की जांच का अनुरोध भी किया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें खुशी होती अगर आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष और कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त विनीत गोयल को भी आज सजा सुनाई जाती। हमें जांच करनी चाहिए कि अपराध में कोई और शामिल था या नहीं।'' तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने भी फैसले का स्वागत किया और रॉय को ‘कठोरतम सजा' देने की मांग की, ताकि मिसाल कायम हो सके। 

शुरुआत में इस मामले की जांच कोलकाता पुलिस ने की। लेकिन बाद में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सीबीआई ने रॉय को मौत की सजा सुनाने की मांग की है। प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में 12 नवंबर को बंद कमरे में सुनवाई शुरू हुई और 50 गवाहों से पूछताछ की गई। सुनवाई नौ जनवरी को समाप्त हुई। 

इस अपराध के कारण देश भर में आक्रोश फैल गया और कोलकाता में कनिष्ठ चिकित्सकों ने पीड़िता के लिए न्याय और राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की मांग करते हुए लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन किया था। कोलकाता और कुछ अन्य शहरों में नागरिक संगठनों के सदस्यों ने भी इस भयावह घटना के खिलाफ प्रदर्शन किया और मृत महिला चिकित्सक के लिये न्याय की मांग करते हुए आधी रात को रैलियां निकालीं, जिन्हें 'रिक्लेम द नाइट' कहा गया। फैसला सुनाए जाने से पहले सियालदह अदालत परिसर में सुरक्षा काफी कड़ी कर दी गई थी। 

कोलकाता पुलिस ने अदालत परिसर में प्रवेश को नियंत्रित करने और सभी उपस्थित लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई अवरोधक लगाए थे। मृत महिला चिकित्सक को लोगों के एक वर्ग ने 'अभया' और 'तिलोत्तमा' नाम दिया था। इस घटना के कारण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) जैसे विपक्षी दलों ने कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर निशाना साधा था। 

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