Edited By Rahul Singh,Updated: 16 Aug, 2024 07:54 PM
कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में 14 अगस्त की रात को हुई व्यापक तोड़फोड़ पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने इस घटना को राज्य की पूर्ण नाकामी का उदाहरण बताते हुए कहा कि यह स्थिति अत्यंत गंभीर है।
नई दिल्ली। कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में 14 अगस्त की रात को हुई व्यापक तोड़फोड़ पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने इस घटना को राज्य की पूर्ण नाकामी का उदाहरण बताते हुए कहा कि यह स्थिति अत्यंत गंभीर है। हाई कोर्ट ने कहा कि यह सरकार की नाकामी है और मेडिकल कॉलेज को बंद कर देना चाहिए। पश्चिम बंगाल सरकार की कार्यक्षमता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा है कि इस तरह की घटनाएं हेल्थ प्रफेशनल्स के बीच भय और अनिश्चितता का माहौल पैदा करती हैं।
अस्पताल बंद करने का दिया सुझाव
हाईकोर्ट ने सुझाव दिया कि अस्पताल को बंद कर दिया जाए और मरीजों को अन्य अस्पतालों में शिफ्ट कर दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि जब पुलिस बल अस्पताल में मौजूद था, लेकिन वे अपने ही लोगों की सुरक्षा नहीं कर सके, तो यह स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। कोर्ट ने पूछा कि डॉक्टर अब निडर होकर कैसे काम करेंगे?
राज्य सरकार की बनती है जवाबदेही
चीफ जस्टिस ने राज्य सरकार से पूछा कि इस घटना के बाद वे क्या कदम उठा रहे हैं। एहतियात के तौर पर क्या कदम उठाए गए थे? राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता, विकास रंजन भट्टाचार्य, ने कहा कि दोपहर तीन बजे सीबीआई जांच के निर्देश दिए गए थे। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि अगर 7000 लोगों की भीड़ अस्पताल में घुस सकती है और पुलिस इसे रोक नहीं पाई, तो यह राज्य की पूरी विफलता है।
राज्य सरकार के वकील ने दी सफाई तो...
राज्य सरकार के वकील ने बताया कि अचानक 7000 लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई, जिसके बाद आंसू गैस छोड़ी गई और पुलिस भी घायल हुई। इस अफरा-तफरी की स्थिति में तोड़फोड़ की घटना हुई। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर इतनी बड़ी संख्या में लोग अस्पताल में घुस सकते हैं, तो यह प्रशासन की 100 फीसदी नाकामी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर 15 लोग घुसे होते, तो सुरक्षा में चूक समझी जा सकती थी, लेकिन 7000 लोगों की भीड़ का इकट्ठा होना एक गंभीर समस्या है।
राज्य सरकार ने कहा कि अब स्थिति को संभाल लिया गया है और आरोपियों की पहचान कर गिरफ्तार करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन कोर्ट ने फटकारते हुए सवाल किया कि घटना के बाद ही क्यों कार्रवाई की जा रही है? पहले इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया?
सुरक्षा पर उठे सवाल
कोर्ट ने कहा कि जनता और अदालत को यह समझने की जरूरत है कि क्या यह कानून और व्यवस्था की विफलता है। राज्य सरकार को इस घटना से जनता की पीड़ा और विश्वास को लेकर चिंतित होना चाहिए। कोर्ट ने टिप्पणी की कि अगर ऐसा कुछ करना है जिससे जनता और कोर्ट को विश्वास हो, तो शायद सबसे अच्छा यही है कि अस्पताल को बंद कर दिया जाए और मरीजों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कर दिया जाए।