जल्दी आइए बेटी की हालत खराब है... आरजी कर हॉस्पिटल ने डॉक्टर की फैमिली को किए थे 3 कॉल, जानें क्या हुई थी बात

Edited By Yaspal,Updated: 29 Aug, 2024 10:38 PM

rg kar hospital made three calls to the doctor s family

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के अधिकारियों द्वारा नौ अगस्त की सुबह दुष्कर्म-हत्या की पीड़िता के माता-पिता को किए गए फोन कॉल की तीन कथित ऑडियो रिकॉर्डिंग सामने आई हैं, जिसके बाद नया विवाद पैदा हो गया है

कोलकाताः कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के अधिकारियों द्वारा नौ अगस्त की सुबह दुष्कर्म-हत्या की पीड़िता के माता-पिता को किए गए फोन कॉल की तीन कथित ऑडियो रिकॉर्डिंग सामने आई हैं, जिसके बाद नया विवाद पैदा हो गया है। अस्पताल प्रशासन की ओर से किए गए फोन कॉल की तीन कथित ऑडियो रिकॉर्डिंग को बृहस्पतिवार को सार्वजनिक कर दिया गया, जिसके बाद महिला डॉक्टर के माता-पिता को बुरी खबर देने में संस्थान के प्रबंधन की 'असंवेदनशीलता' और 'गलत सूचना' को लेकर एक नया विवाद छिड़ गया। उन फोन कॉल में अधिकारी द्वारा पीड़िता की स्थिति के बारे में दिए गए बयानों में आए परिवर्तन से यह सवाल उठता है कि क्या अस्पताल शुरू में इस जघन्य अपराध को छुपाने की कोशिश कर रहा था।

पहली कॉल- क्या आप जल्दी से अस्पताल आ सकते हैं
कॉल करने वाली महिला ने खुद को अस्पताल की सहायक अधीक्षक बताया और उसने कथित तौर पर उसी नंबर से पीड़िता के माता-पिता को करीब 30 मिनट के भीतर तीन बार फोन किया और उनसे जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचने के लिए कहा। सुबह करीब 10.53 बजे पीड़िता के पिता ने जब पहली बार फोन उठाया तो अस्पताल की ओर से फोन करने वाली महिला को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘‘मैं आर.जी. कर अस्पताल से बोल रही हूं। क्या आप तुरंत आ सकते हैं? '' इस पर पीड़िता के पिता ने कहा, ‘‘क्यों? क्या हुआ है? ''। इस पर कॉल करने वाली महिला ने कहा, ‘‘आपकी बेटी थोड़ी बीमार हो गई है। हम उसे अस्पताल में भर्ती करा रहे हैं। क्या आप जल्दी से अस्पताल आ सकते हैं?''

जब माता-पिता ने अधिक जानकारी देने पर जोर दिया तो फोन करने वाली महिला को यह कहते हुए सुना गया, ‘‘यह जानकारी केवल डॉक्टर ही दे सकते हैं। हम केवल आपका नंबर ढूंढ पाए और आपको कॉल कर पाए। कृपया जल्दी से अस्पताल आ जाएं। मरीज बीमार होने के बाद भर्ती हो गया है। बाकी जानकारी डॉक्टर आपके आने के बाद बताएंगे।'' पीड़िता की चिंतित मां को फोन पर यह पूछते हुए सुना जा सकता है, ‘‘ क्या उसे बुखार है?'' इस पर कॉल करने वाली महिला ने कहा, ‘‘जल्दी से आ जाइए। '' पिता ने पूछा, ‘‘क्या उसकी हालत बहुत ही गंभीर है?''इस पर कॉल करने वाली महिला ने कहा, ‘‘हां, उसकी हालत बहुत ही गंभीर है। आप जल्द से जल्द आ जाइए।'' यह बातचीत एक मिनट 11 सेकंड तक चली।

दूसरा कॉल-बेटी के साथ क्या हुआ...?
पीड़िता के माता-पिता को दूसरा फोन कॉल, जो लगभग 46 सेकंड तक चला, लगभग पांच मिनट बाद आया। यह उसी महिला की ओर से था और उसे यह कहते हुए सुना गया, ‘‘उसकी हालत बहुत गंभीर है। कृपया जल्द से जल्द आएं।'' पिता ने हताश होकर पूछा कि उनकी बेटी के साथ क्या हुआ, तो दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘यह तो डॉक्टर ही बता सकते हैं। आप कृपया आ जाइए।'' जब पिता ने उससे उसकी पहचान बताने को कहा तो फोन करने वाली महिला ने कहा, ‘‘मैं सहायक अधीक्षक हूं। मैं डॉक्टर नहीं हूं। हम आपकी बेटी को आपातकालीन वार्ड में लेकर आए हैं। आप कृपया आकर हमसे संपर्क करें। '' इस दौरान एक घबराई हुई मां की आवाज सुनी जा सकती है, ‘‘लेकिन उसे क्या हो सकता है? वह तो ड्यूटी पर थी।'' इस पर जवाब आया, ‘‘ आप अस्पताल आ जाइए, जितना जल्दी हो सके।''

तीसरी कॉल- आपकी बेटी... शायद... आत्महत्या कर चुकी है...
तीसरी और अंतिम कॉल में पीड़िता की मृत्यु की घोषणा की गई, हालांकि इसमें थोड़ा बदलाव किया गया। अस्पताल की ओर से कॉल करने वाली महिला ने पीड़िता के माता-पिता से कहा, ‘‘हां, कृपया सुनिए... हम आपको पहले भी बार-बार बता रहे थे... आपकी बेटी... शायद... आत्महत्या कर चुकी है... या, उसकी मृत्यु हो चुकी है। पुलिस यहां मौजूद है। अस्पताल से हम सभी यहां हैं। हम आपको जल्दी से अस्पताल आने के लिए कह रहे हैं।'' यह अंतिम कॉल 28 सेकंड तक चली।

एक अधिकारी ने कहा कि अस्पताल के बयान में स्पष्ट परिवर्तन, जिसमें पीड़िता के 'थोड़ा बीमार होने' से लेकर 'बहुत गंभीर और आपातकालीन वार्ड में भर्ती होने' और अंत में, 'संभवतः आत्महत्या से मृत्यु हुई' तक, ने जांचकर्ताओं के लिए कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अधिकारी ने कहा, ‘‘खासकर तब जब फोन करने वाली महिला ने अपने अंतिम कॉल में पीड़िता की मौत के कारण के बारे में परिवार को गुमराह करते हुए स्वीकार किया कि वह पुलिस और अस्पताल अधिकारियों की मौजूदगी में बात कर रही थी। '' इस विवाद को लेकर एक प्रदर्शनकारी ने छात्र पूछा, ‘‘ अस्पताल प्रबंधन, जो अपराध की वीभत्सता से पूरी तरह परिचित था, अभिभावकों को यह खबर बताने में इतना लापरवाह और चालाक कैसे हो सकता है?''

कोलकाता (मध्य) की पुलिस उपायुक्त इंदिरा मुखर्जी ने बाद कहा कि कथित क्लिप से पुलिस का यह दावा सही साबित होता है कि माता-पिता को 'आत्महत्या' की जानकारी किसने दी। इंदिरा मुखर्जी ने कहा, ‘‘ हम लगातार कह रहे हैं कि कोलकाता पुलिस ने कभी भी माता-पिता को यह नहीं बताया कि पीड़िता ने आत्महत्या की है। ये ऑडियो क्लिप केवल उसी बात की पुष्टि करते हैं जो हम अब तक कहते आ रहे हैं।''

पुलिस उपायुक्त ने जांच की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा, ‘‘अपराध स्थल पर हमारी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी का सत्र उस दिन अपराह्न 12.25 बजे शुरू हुआ और पूछताछ, फॉरेंसिक जांच और पोस्टमार्टम के दौरान चरणों में रिकॉर्डिंग की गई। हमारे सभी रिकॉर्ड में पीड़िता के शरीर को ढकने वाली चादर का रंग नीला था। इसे जब्त कर लिया गया और बाद में सीबीआई को सौंप दिया गया। '' मुखर्जी ने पीड़िता के माता-पिता के इस दावे को खारिज कर दिया कि जब उन्हें पीड़िता को देखने की अनुमति दी गई थी, तब शव को हरे रंग की चादर से ढका गया था। इस दावे के कारण इस बात पर अटकलें लगाई जाने लगीं कि क्या साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की गई थी।

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