भारत में है एशिया का सबसे अमीर गांव, यहां पेड़ों पर उगते हैं पैसे... हर घर करोड़पति

Edited By Utsav Singh,Updated: 14 Sep, 2024 01:33 PM

richest village in asia not just the country where money grows on trees

देश की राजधानी दिल्ली से मात्र 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक गांव है, जिसका नाम मड़ावग गांव है जो हिमाचल प्रदेश की राजधानी से केवल 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गांव भारत ही नहीं बल्की एशिया के सबसे अमीर गांवों में से एक माना जाता है।

नेशनल डेस्क : हम जिस देश में रहते हैं उसका नाम भारत है। आज के समय में भले ही लोग जीवन यापन के लिए गांव से शहर की ओर पलायन कर रहे हैं, लेकिन वास्तविकता यही है कि भारत हमेशा से गांवों का देश रहा है और आज भी है। देश की अधिकांश आबादी अभी भी गांवों में निवास करती है। जब आप गांव का नाम सोचते हैं, तो आपके मन में किसान, बैलगाड़ी, झोपड़ी, खेती-बाड़ी, सादा जीवन और पिछड़े लोगों की छवि उभरती होगी। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जो इन सभी धारणाओं को बदल देगा।

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यह गांव भारत का सबसे अमीर गांव ही नहीं बल्कि पूरे एशिया का सबसे अमीर गांव है। इस गांव के लोग इतनी संपत्ति के मालिक हैं कि उनकी लाइफस्टाइल देखकर आप दंग रह जाएंगे। इसके साथ ही गांव को लेकर आपके मन में जो भी गलतफहमियां होंगी, वे सब खत्म हो जाएंगी। आइए, विस्तार से जानते हैं इस अनोखे गांव के बारे में।

दिल्ली से मात्र 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित...
देश की राजधानी दिल्ली से मात्र 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक गांव है, जिसका नाम मड़ावग गांव है जो हिमाचल प्रदेश की राजधानी से केवल 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।     यह गांव भारत ही नहीं बल्की एशिया के सबसे अमीर गांवों में से एक माना जाता है। इस गांव की छवि किसी भी सामान्य भारतीय गांव के विपरीत है। यहां झोपड़ियों के बजाय आलीशान मकान हैं, घरों के सामने बैलगाड़ियों के बजाय लग्जरी कारें खड़ी होती हैं, और ग्रामीण साधारण नहीं, बल्कि एक उच्च श्रेणी की जीवनशैली जीते हैं। यहां के लोग गरीब नहीं बल्कि हर घर में करोड़पति हैं। आश्चर्यचकित मत होइए, यह गांव केवल भारत ही नहीं, बल्कि एशिया का सबसे अमीर गांव है। यदि हम कहें कि इस गांव में 'पेड़ों पर पैसे' उगते हैं, तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

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गांव समृद्धि और भव्य जीवनशैली के लिए जाना जाता है
मड़ावग गांव हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गांव अपनी समृद्धि और भव्य जीवनशैली के लिए जाना जाता है। यहां के लोग इतनी संपत्ति के मालिक हैं कि उनके रहन-सहन और ऐश्वर्य को देखकर ऐसा लगता है कि यह कोई मेट्रो सिटी है, न कि एक सामान्य ग्रामीण इलाका। यह गांव अपनी समृद्धि और ऐश्वर्य के लिए प्रसिद्ध है। यहां के निवासी उच्चस्तरीय जीवन जीते हैं, जिसमें आलीशान मकान, लग्जरी गाड़ियां और भव्य जीवनशैली शामिल हैं।

230 परिवारों से मिलकर बना है यह गांव 
मड़ावग के लोग मुख्य रूप से सेब की खेती करते हैं। यह गांव 230 परिवारों से मिलकर बना है और यहां के निवासी सेब की खेती करके विशाल संपत्ति कमा रहे हैं। प्रारंभ में यहां आलू की खेती की जाती थी, लेकिन 1953-54 में गांव के निवासी चइयां राम मेहता ने सेब के बाग लगाए। इसके बाद से गांव के लोग सेब की खेती के प्रति उत्साहित हो गए और यह गांव सेब उत्पादन का केंद्र बन गया।

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सेब की गुणवत्ता देश और दुनिया भर में मशहूर
मड़ावग के सेब देश और दुनिया भर में मशहूर हैं। यहां के सेबों की गुणवत्ता इतनी उच्च है कि यह जम्मू-कश्मीर के सेबों को भी पीछे छोड़ देते हैं। मड़ावग के सेब की बिक्री से सालाना लगभग 175 करोड़ रुपये की आय होती है। प्रत्येक परिवार साल भर में सेब बेचकर करोड़ों की कमाई करता है। गांव के किसान परिवारों की सालाना आमदनी 35 लाख रुपये से लेकर 80 लाख रुपये तक है।

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उत्पादन और रिकॉर्ड
मड़ावग के सेब केवल स्वाद और गुणवत्ता में ही बेहतरीन नहीं हैं, बल्कि प्रति एकड़ उत्पादन के मामले में भी यह गांव रिकार्ड स्थापित कर चुका है। यहां के बागवान उच्च गुणवत्ता के सेब का उत्पादन करते हैं, जो उन्हें ग्रामीण विकास और आर्थिक समृद्धि की दिशा में एक प्रमुख उदाहरण बनाता है। मड़ावग का यह विकास और समृद्धि दर्शाता है कि सही तकनीक और मेहनत से एक छोटे से गांव को भी समृद्ध किया जा सकता है। इस गांव का उदाहरण एशिया के सबसे अमीर गांव के रूप में उसकी पहचान को और मजबूत करता है।

 

 

 

 

 

 

 


 

 

 

 

 

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