‘देश में और भी मुद्दे संसद चलने दो…’, कांग्रेस और TMC के बीच फूट, संसद में हंगामा

Edited By Mahima,Updated: 28 Nov, 2024 11:58 AM

rift between congress and tmc uproar in parliament

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दो दिन हंगामे की वजह से कोई कामकाज नहीं हो सका। कांग्रेस अडाणी मुद्दे पर सरकार को घेर रही है, जबकि टीएमसी ने इस पर अलग रुख अपनाया और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जरूरत जताई। दोनों पार्टियों के बीच मतभेद सामने आए,...

नेशनल डेस्क: संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दो दिन हंगामे के कारण कोई भी महत्वपूर्ण कामकाज नहीं हो सका। विपक्षी दलों ने अडाणी मामले और वक्फ बिल बोर्ड पर नारेबाजी करते हुए सदन की कार्यवाही को स्थगित करवा दिया। कांग्रेस सरकार को अडाणी मुद्दे पर घेर रही है, लेकिन इस दौरान इंडिया गठबंधन के भीतर भी फूट नजर आई। TMC (तृणमूल कांग्रेस) ने अडाणी मामले से अलग रुख अपनाते हुए संसद में अन्य मुद्दों पर चर्चा की बात की।  

कांग्रेस और TMC के बीच मतभेद  
कांग्रेस और TMC के बीच इस सत्र में एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर मतभेद सामने आए हैं। कांग्रेस पार्टी अडाणी समूह के खिलाफ सरकार को घेरने के लिए लगातार जोर दे रही है, जबकि TMC का रुख कुछ अलग है। TMC के नेताओं का कहना है कि अडाणी मामले को लेकर संसद में हंगामा करने की बजाय अन्य जरूरी मुद्दों पर ध्यान दिया जाए।

TMC के नेताओं का कहना
TMC ने संसद में अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जरूरत पर जोर दिया। TMC के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने बुधवार को कहा, "हम चाहते हैं कि संसद चले ताकि आम लोगों के मुद्दों को उठाया जा सके। अडाणी मुद्दे के कारण अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पा रही है।" उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि संसद का सत्र बिना किसी रुकावट के चले और किसी एक मुद्दे के कारण संसद ठप न हो। TMC की लोकसभा सांसद काकोलि घोष ने भी इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, "हम नहीं चाहते कि किसी एक मुद्दे की वजह से संसद का कामकाज रुक जाए। हमारी पार्टी चाहती है कि संसद में कामकाज हो और अन्य जरूरी मुद्दों पर भी चर्चा की जाए।"  

TMC की रणनीति  
TMC की रणनीति इस समय अडाणी मुद्दे से हटकर सरकार को अन्य मुद्दों पर घेरने की है। पार्टी ने कुछ ऐसे मुद्दे उठाए हैं, जिन पर वे केंद्र सरकार से जवाब मांगना चाहती है, जैसे:  

- दक्षिण बंगाल में कुपोषण 
- मणिपुर हिंसा
- पूर्वोत्तर में अशांति
- खाद्य सामग्री की कमी  
- महिला सुरक्षा बिल 

TMC ने खासतौर पर पश्चिम बंगाल विधानसभा में पारित अपराजिता बिल का जिक्र किया, जिसे राज्यपाल ने रोक दिया था। पार्टी ने घोषणा की है कि वे इस बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास लेकर जाएंगी और इसके लिए राज्यव्यापी आंदोलन चलाएंगी।  

स्थगन प्रस्तावों पर विवाद  
बुधवार को राज्यसभा और लोकसभा में विभिन्न दलों के सांसदों ने कुल 18 स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिए थे। इनमें से अधिकांश प्रस्ताव मणिपुर हिंसा, दिल्ली में बढ़ते अपराध, और संभल हिंसा से जुड़े थे। इन मुद्दों पर चर्चा की मांग की जा रही थी। हालांकि, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इन स्थगन प्रस्तावों को खारिज कर दिया। इसके बाद भी संसद में विपक्षी दलों की नारेबाजी और हंगामा जारी रहा, जिसके कारण सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।  

संसद में हंगामा  
शीतकालीन सत्र के पहले दो दिनों में लगातार हंगामा हुआ। विपक्षी दलों ने अडाणी मामले और वक्फ बिल बोर्ड को लेकर जोरदार नारेबाजी की, जिससे सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी। इस हंगामे के कारण संसद में कोई भी महत्वपूर्ण कामकाज नहीं हो सका।  

आगे की स्थिति  
संसद में जारी गतिरोध को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज है। कांग्रेस और TMC दोनों के अपने-अपने राजनीतिक लक्ष्य हैं, लेकिन इस सत्र में दोनों दलों के बीच मतभेद सामने आने से सरकार और विपक्ष के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। यह देखना होगा कि अगले कुछ दिनों में संसद के कामकाज को सामान्य किया जा सकेगा या नहीं। इस बीच, विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह अडाणी मामले और अन्य मुद्दों को दबाने के लिए संसद की कार्यवाही को रोकने की कोशिश कर रही है, जबकि सरकार ने इन आरोपों को नकारा है। संसद के शीतकालीन सत्र में हालात अभी तक अनुकूल नहीं दिख रहे हैं। अडाणी मामले पर कांग्रेस का जोर और TMC का अन्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना, इंडिया गठबंधन में अंदरूनी मतभेदों को भी उजागर कर रहा है। अगर यही स्थिति रही, तो सत्र का संचालन सुचारू रूप से नहीं हो पाएगा और सरकार तथा विपक्ष के बीच की खाई और गहरी हो सकती है।

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