स्वच्छ भारत अभियान के प्रभाव से घरेलू टॉयलेट क्लीनर उपयोग में वृद्धि

Edited By Parminder Kaur,Updated: 16 Dec, 2024 02:52 PM

rise in household toilet cleaner usage impact of swachh bharat abhiyan

भारत में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत को अब लगभग एक दशक हो चुका है और इस दौरान भारत में टॉयलेट क्लीनर के उपयोग में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी। तब केवल 19% घरों में टॉयलेट...

नेशनल डेस्क. भारत में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत को अब लगभग एक दशक हो चुका है और इस दौरान भारत में टॉयलेट क्लीनर के उपयोग में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी। तब केवल 19% घरों में टॉयलेट क्लीनर का इस्तेमाल होता था। अब 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 53% हो गया है, यानी अब हर दो में से एक भारतीय घर में टॉयलेट क्लीनर का इस्तेमाल हो रहा है।

स्वच्छ भारत अभियान का असर

स्वच्छ भारत अभियान का मुख्य उद्देश्य था खुले में शौच को खत्म करना, अधिक से अधिक शौचालय बनाना और ठोस कचरा प्रबंधन में सुधार लाना। इस अभियान ने न केवल शौचालयों की संख्या बढ़ाई, बल्कि स्वच्छता के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई।

अर्थशास्त्रियों और डेटा के अनुसार, 2014 में जहां टॉयलेट क्लीनर का उपयोग केवल 19% घरों में होता था। वहीं आज यह आंकड़ा बढ़कर 53% हो गया है। फ्लोर क्लीनर्स का उपयोग भी बढ़ा है, जो अब 22% घरों में पहुंच चुका है, जबकि 2014 में यह आंकड़ा केवल 8% था।

स्वच्छता उत्पादों की बढ़ती मांग

देश के प्रमुख स्वच्छता उत्पादों की कंपनियां जैसे रेकिट बेंकिजर, हिंदुस्तान यूनिलीवर और दाबर ने स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दाबर के होम केयर के विपणन प्रमुख वैभव राठी का कहना है कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों का निर्माण स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मददगार रहा और इसके साथ ही सफाई उत्पादों की आवश्यकता भी बढ़ी।

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव

भारत में सर्फेस क्लीनर का बाजार करीब ₹4,200 करोड़ का है, जिसमें टॉयलेट क्लीनर का हिस्सा ₹2,000 करोड़ है। दस साल पहले यह उत्पाद मुख्य रूप से शहरी इलाकों में ही सीमित था, लेकिन अब ग्रामीण इलाकों में भी इसकी पहुंच बढ़ी है। दस साल पहले टॉयलेट क्लीनर खरीदने वाले 82% ग्राहक शहरी थे, लेकिन अब यह आंकड़ा घटकर 48% हो गया है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों का योगदान अब 52% हो चुका है।

कंतर के दक्षिण एशिया प्रबंध निदेशक के रामकृष्णन ने कहा- "स्वच्छ भारत अभियान ने भारतीय households में स्वच्छता की महत्ता को प्रमुखता दी, जिससे स्वच्छता उत्पादों का उपयोग बढ़ा और यही कारण है कि इन उत्पादों की पैठ अब ग्रामीण इलाकों तक भी बढ़ गई है।"

ग्रामीण स्वच्छता में सुधार

स्वच्छ भारत अभियान के तहत अब तक 500,000 से अधिक गांवों को ओडीएफ (ओपन डिफेकेशन-फ्री) प्लस का दर्जा मिल चुका है और ग्रामीण स्वच्छता दर 39% से बढ़कर 100% तक पहुंच गई है। फिल्म टॉयलेट: एक प्रेम कथा (2017) ने भी ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों की आवश्यकता पर जोर दिया और इस संदेश को फैलाने में मदद की। इस फिल्म में अक्षय कुमार ने मुख्य भूमिका निभाई थी। इसके अलावा हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी कंपनियों ने अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी कार्यक्रम के तहत 2016 में सुविधा केंद्र जैसे सामुदायिक शौचालय ब्लॉक लॉन्च किए थे। अब तक इनकी संख्या 16 हो चुकी है।

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