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ईयरबड्स और हेडफोन यूज करने वाले हो जाएं सावधान! WHO ने अपनी रिपोर्ट में किया हैरान कर देने वाला खुलासा

Edited By Harman Kaur,Updated: 13 Aug, 2024 06:04 PM

risk of deafness increasing among youth

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम सुनाई देने और बहरेपन के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO ) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, हाल के वर्षों में युवाओं में भी कानों की समस्याएं बढ़ रही हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, विशेषकर...

नेशनल डेस्क: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम सुनाई देने और बहरेपन के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO ) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, हाल के वर्षों में युवाओं में भी कानों की समस्याएं बढ़ रही हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, विशेषकर ईयरबड्स और हेडफोन के बढ़ते उपयोग के कारण हो रही हैं।
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शोरगुल वाली जगहों पर रहने से भी होता है कानों को गंभीर नुकसान
WHO की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 12 से 35 वर्ष की आयु के एक अरब (100 करोड़) से अधिक लोगों में सुनने की क्षमता में कमी या बहरेपन का जोखिम है। रिपोर्ट के मुताबिक, लंबे समय तक तेज आवाज में संगीत सुनने और शोरगुल वाली जगहों पर रहने से कानों को गंभीर नुकसान हो सकता है। तेज आवाज वाले उपकरण आंतरिक कान की कोशिकाओं को क्षति पहुंचाते हैं, जिससे सुनने की क्षमता कम हो सकती है।
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ईयरबड्स और हेडफोन का हानिकारक प्रभाव
रिपोर्ट के अनुसार, ईयरबड्स या हेडफोन का इस्तेमाल करने वाले 65 प्रतिशत लोग लगातार 85 डेसिबल से अधिक आवाज में संगीत सुनते हैं, जो कानों के लिए हानिकारक होता है। आंतरिक कान की क्षति के ठीक होने की संभावना कम होती है, और समय के साथ कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होती जाती हैं, जिससे सुनने की क्षमता में और कमी आ सकती है। कोलोराडो विश्वविद्यालय के ईएनटी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. डैनियल फिंक का कहना है कि चिकित्सा और ऑडियोलॉजी समुदाय को इस गंभीर खतरे को लेकर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। उनका कहना है कि युवाओं में ईयरबड्स का बढ़ता उपयोग 40 वर्ष की आयु तक सुनने की क्षमता को कम कर सकता है।

सुनने की क्षमता में कमी और डिमेंशिया का जोखिम
एक अध्ययन के अनुसार, सुनने की क्षमता में कमी केवल कानों की समस्याओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों जैसे डिमेंशिया का जोखिम भी बढ़ जाता है। सुनने की क्षमता में कमी वाले लोगों में डिमेंशिया का जोखिम दो गुना अधिक पाया गया है, जबकि पूरी तरह बहरे लोगों में यह जोखिम पांच गुना अधिक होता है। डॉ. फिंक का कहना है कि कुछ आशाजनक अध्ययनों से पता चलता है कि सुनने की समस्याओं का इलाज करने से संज्ञानात्मक गिरावट और डिमेंशिया के जोखिम को कम किया जा सकता है।

सावधानीपूर्वक ध्वनि का उपयोग
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, ध्वनि को डेसिबल (dB) में मापा जाता है। 60-70 डेसिबल की ध्वनि सामान्यतः सुरक्षित मानी जाती है, जबकि 85 डेसिबल या उससे अधिक की ध्वनि के लंबे समय तक संपर्क में रहने से सुनने की क्षमता में कमी हो सकती है। ईयरबड्स और हेडफोन्स जैसी ध्वनि 100 डेसिबल से अधिक हो सकती है, जिससे कानों की कोशिकाओं को क्षति पहुंचने और सुनने की समस्याएं बढ़ने का जोखिम हो सकता है।

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