Edited By Anu Malhotra,Updated: 04 Mar, 2025 01:02 PM

अब सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों को इलाज के लिए आर्थिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि सड़क हादसों में घायल होने वाले लोगों को देशभर के अस्पतालों में 1.50 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिलेगा। यह नियम सरकारी ही...
नई दिल्ली: अब सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों को इलाज के लिए आर्थिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि सड़क हादसों में घायल होने वाले लोगों को देशभर के अस्पतालों में 1.50 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिलेगा। यह नियम सरकारी ही नहीं, बल्कि प्राइवेट अस्पतालों पर भी लागू होगा। नेशनल हाईवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) इस योजना की नोडल एजेंसी होगी और इसी महीने से इसे पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा।
6 राज्यों में सफल रहा पायलट प्रोजेक्ट
सरकार ने इस योजना को लागू करने से पहले पुदुचेरी, असम, हरियाणा और पंजाब समेत छह राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर परीक्षण किया, जो पूरी तरह सफल रहा। मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 162 में संशोधन के बाद इस योजना को पूरे देश में लागू करने का फैसला लिया गया है।
कैसे मिलेगा इलाज, कौन करेगा भुगतान?
- हादसे के बाद घायल को पुलिस, आम नागरिक या कोई संस्था अस्पताल पहुंचाएगी, तो बिना किसी फीस के तुरंत इलाज शुरू होगा।
- चाहे सरकारी हो या प्राइवेट अस्पताल, सभी को कैशलेस इलाज देना अनिवार्य होगा, भले ही वे पैनल में रजिस्टर्ड हों या नहीं।
- मरीज के साथ परिजन हों या न हों, अस्पताल को इलाज मुहैया कराना होगा।
- अगर मरीज को बड़े अस्पताल में रेफर करने की जरूरत होगी, तो पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वहां इलाज मिल सके।
- इलाज का पूरा खर्च NHAI वहन करेगा, मरीज या उसके परिवार को 1.50 लाख तक की कोई भी रकम नहीं देनी होगी।
क्या होगा 1.50 लाख से ज्यादा का खर्च होने पर?
अगर इलाज का खर्च 1.50 लाख से अधिक होता है, तो अतिरिक्त राशि मरीज या परिजनों को देनी होगी। हालांकि, सरकार इस राशि को बढ़ाकर 2 लाख रुपए करने पर विचार कर रही है।
गोल्डन ऑवर के दौरान मौतों को रोकने की योजना
सड़क हादसों में मौतें रोकने के लिए यह योजना बेहद अहम मानी जा रही है। दुर्घटना के बाद का पहला घंटा ‘गोल्डन ऑवर’ कहलाता है, इस दौरान सही इलाज न मिलने से कई लोगों की जान चली जाती है। सरकार का लक्ष्य है कि इस योजना के जरिए हादसे में घायल लोगों को तुरंत इलाज मिले और मृत्यु दर में कमी आए।