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ठाणे में जाली दस्तावेजों के जरिए राहत कोष से 4.75 लाख रुपये की धोखाधड़ी, तीन आरोपी गिरफ्तार

Edited By Rahul Rana,Updated: 19 Apr, 2025 10:59 AM

rs 4 75 lakh fraud from relief fund through fake

महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक अस्पताल में जाली दस्तावेजों और मरीजों के फर्जी रिकॉर्ड के जरिए मुख्यमंत्री राहत कोष (सीएमआरएफ) से कथित तौर पर 4.75 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई। इस मामले में एक चिकित्सक और दो अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया...

नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक अस्पताल में जाली दस्तावेजों और मरीजों के फर्जी रिकॉर्ड के जरिए मुख्यमंत्री राहत कोष से कथित तौर पर 4.75 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई। इस मामले में एक चिकित्सक और दो अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। खडकपाडा पुलिस थाने के अधिकारी ने बताया कि मामले की जानकारी 15 अप्रैल 2025 को दी गई, जब एक सहायक निदेशक, सीएमआरएफ, ने धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई। आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (आपराधिक विश्वासघात), 471 (जाली दस्तावेजों को असली के रूप में इस्तेमाल करना), और अन्य संबंधित प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया।

मुख्य आरोप और घटनाक्रम

मामले के अनुसार, आरोपी डॉक्टर अनुदुर्ग धोनी (45), प्रदीप बापू पाटिल (41) और ईश्वर पवार ने मई और जुलाई 2023 के बीच ठाणे जिले के मोहणे स्थित गणपति मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल में कुल 13 ऐसे मरीजों को भर्ती किया जिनका वास्तविक अस्तित्व नहीं था। आरोपियों ने फर्जी सर्जरी और उपचार रिकॉर्ड तैयार कर के मुख्यमंत्री राहत कोष से 4.75 लाख रुपये की राशि हासिल की। इस राशि को प्राप्त करने के लिए आरोपियों ने जाली दस्तावेज पेश किए, जिससे यह जताया गया कि असली मरीजों का इलाज हुआ है।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार, आरोपियों ने इन दस्तावेजों को इतनी कुशलता से तैयार किया कि यह न केवल सर्जरी और उपचार के रिकॉर्ड को सही साबित कर सके, बल्कि यह भी दिखा सके कि इन मरीजों का इलाज अस्पताल में हुआ था। जाली दस्तावेजों में ऑपरेशन की तारीखें और उपचार विवरण भी शामिल थे, जो पूरी तरह से नकली थे। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आंतरिक जांच में इस धोखाधड़ी का खुलासा हुआ और मामले की गहन जांच शुरू की गई।

पुलिस जांच और गिरफ्तारी की स्थिति

खडकपाडा पुलिस ने बताया कि शिकायत दर्ज होने के बाद मामले की जांच की जा रही है, लेकिन फिलहाल आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। पुलिस का कहना है कि दस्तावेजों की जांच और अस्पताल के रिकॉर्ड के सत्यापन की प्रक्रिया जारी है। इस मामले में अस्पताल प्रबंधन और आरोपियों के बीच किसी प्रकार के सहयोग की संभावना पर भी विचार किया जा रहा है।

धोखाधड़ी के खिलाफ कार्रवाई का संकल्प

यह धोखाधड़ी न केवल अस्पताल के कार्यों पर सवाल उठाती है, बल्कि यह मुख्यमंत्री राहत कोष जैसे महत्वपूर्ण सरकारी वित्तीय सहायता से संबंधित मामलों की गंभीरता को भी उजागर करती है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं पर पूरी तरह से नियंत्रण पाने के लिए कड़ी कार्रवाई की जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी की घटनाओं को रोका जा सके।

केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से आगे की जांच

ठाणे पुलिस ने यह भी कहा है कि इस मामले की गहरी जांच के लिए राज्य और केंद्र सरकार से सहयोग लिया जाएगा। साथ ही, यह भी बताया गया कि जिन व्यक्तियों या संस्थाओं ने इस धोखाधड़ी में किसी प्रकार की मदद की है, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस को उम्मीद है कि जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा और मामले की जांच में तेजी लाएगी।

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