आरएसएस प्रमुख भागवत का बयान - विविधताओं के बावजूद भारत एक राष्ट्र और एक समाज है

Edited By Radhika,Updated: 01 Jul, 2024 04:24 PM

rss chief bhagwat s despite diversities india is one nation and one society

RSS के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि ऊपर से कुछ भी दिखता हो लेकिन मातृभूमि भारत के प्रति प्रेम भक्ति सर्वत्र है और विविधताओं के बावजूद भारत एक राष्ट्र और एक समाज हैं। संघ प्रमुख ने ‘परमवीर चक्र' से सम्मानित वीर अब्दुल हमीद के गाजीपुर स्थित...

नेशनल डेस्क: RSS के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि ऊपर से कुछ भी दिखता हो लेकिन मातृभूमि भारत के प्रति प्रेम भक्ति सर्वत्र है और विविधताओं के बावजूद भारत एक राष्ट्र और एक समाज हैं। संघ प्रमुख ने ‘परमवीर चक्र' से सम्मानित वीर अब्दुल हमीद के गाजीपुर स्थित गांव धामूपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में उन पर लिखी किताब का विमोचन किया। वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध के नायक रहे वीर अब्दुल हमीद को पाकिस्तान के पैटन टैंकों को ध्वस्त करने और दुश्मनों को खदेड़ने के लिए जाना जाता है। उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। पुस्तक विमोचन के बाद अपने संबोधन में संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘हमारे देश में इतनी सारी भाषाएं हैं, इतना बड़ा देश है, बेहद प्राचीन परम्पराएं हैं। जब हर व्यक्ति के अपने-अपने विचार हैं तो पूजा, परम्परा, सम्प्रदाय तो अनेक होंगे ही।''

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उन्होंने कहा, ‘‘खान-पान, रीति-रिवाज भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार बदल जाते हैं। ये सारी विभिन्नताएं (विविधताएं) होने के बावजूद अपना देश हजारों वर्षों से एक राष्ट्र के रूप में चल रहा है और हम एक राष्ट्र तथा एक समाज हैं।'' भागवत ने कहा, ‘‘इसके उदाहरण भी देखे जा सकते हैं। जब भी कोई देश हमारे वतन पर हमला करता है जैसा कि चीन और पाकिस्तान ने किया था। तो ऐसे हालातों में सभी देशवासी आपसी झगड़े भूलकर एक साथ खड़े हो जाते हैं क्योंकि हमारे मूल में यह एकता बसी है।'' उन्होंने कहा, ‘‘इसका आधार यह है कि हम सब अपने देश से केवल प्रेम नहीं करते बल्कि उसकी भक्ति भी करते हैं। हम उस समय यह नहीं सोचते कि देश ने हमें क्या दिया है?।''

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उन्होंने कहा कि अगर हम सोचते हैं कि देश ने हमें यह नहीं दिया, वह नहीं दिया तो वास्तव में देश ने ही हमको सबकुछ दिया है। संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘ऊपर से कुछ भी दिखता हो लेकिन अपनी इस मातृभूमि भारत के प्रति प्रेम भक्ति सर्वत्र है। अपनी मातृभूमि और प्राचीन संस्कृति के लिए खून-पसीना बहाने वाले हमारे पूर्वजों के आदर्श हम सबको आपस में जोड़ते हैं। यही सब चीजें हमें एक बनाती हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘अब्दुल हमीद जैसे वीर हमारे लिये अनुकरणीय उदाहरण हैं। उन्होंने देश के लिये बलिदान दिया। जीवन कैसा होना चाहिये, यह हम ग्रंथों में पढ़ सकते हैं, भाषणों में सुन सकते हैं लेकिन ऐसा करने की हिम्मत तभी आती है जब कोई अपने जैसा यह हिम्मत करके दिखाये।'' भागवत ने कहा, ‘‘देशवासियों को इस तरह के आदर्शों का अनुकरण करके खुद को ऐसा बनना चाहिए। जब हम ऐसे बनते हैं तभी देश बड़ा होता है और दुनिया को सुख-शांति मिलती है। हम सभी को शहीदों के स्मरण और अनुकरण से अपने जीवन में बदलाव लाना चाहिए।'' 

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